वर्ष 1981 में 7 जून को एक पैसेंजर ट्रेन बागमती नदी में अचानक समा गई थी तब बिहार का यह दूसरा बड़ा रेल हादसा था
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न्यूज़ डेस्क, पटना
पूजा शर्मा
– अमिट लेख
पटना, (कार्यालय ब्यूरो)। बिहार के बक्सर में रघुनाथपुर स्टेशन के पास बड़ा रेल हादसा हुआ है। इसमें नई दिल्ली से गुवाहाटी जा रही नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस की बोगियां पटरी से उतर गईं तो दो बोगी पलट गई। हादसे में अभी तक 4 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि गैर आधिकारिक सूत्र मृतकों की संख्या 6 से अधिक बता रहे है। जानकारी के अनुसार घटना बीते रात की है और आज दिन के दस बजे तक इस हादसे में ट्रेन की 21 बोगियों के डी-रेल होने के चलते 4 यात्रियों की मरने की खबर है तो वहीँ 70 यात्री घायल हो गए हैं। साफ़ है कि हादसा बड़ा है और दिल दहलाने वाला है।
लेकिन, यह रेल हादसा बिहार की उस ट्रेन दुर्घटना के सामने कुछ नहीं जिसमें 7 डिब्बों में सवार एक भी यात्री बच नहीं सका था। भारत के बड़े ट्रेन हादसों में सबसे बड़ा बिहार का वह ट्रेन एक्सीडेंट है, जिसमें लगभग 800 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। मामला वर्ष 1981 है और तारीख 7 जून थी जब बिहार में भारत का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेन हादसा हुआ था। यात्रियों से खचाखच भरी एक पैसेंजर ट्रेन मानसी से सहरसा के लिए जा रही थी। तभी बागमती नदी के पुल संख्या 51 से गुजरते वक्त हादसे का शिकार हो गई। बागमती नदी पुल के टूटते ही पूरी ट्रेन नदी में समा गई थी। इस हादसे में करीब 800 लोगों की मौत हो गई थी। बताया जाता है कि ट्रेन के 7 डिब्बों में सवार कोई भी यात्री जीवित नहीं बचा था। दावा किया गया 1981 का बिहार ट्रेन हादसा भारत का पहले और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेन हादसा था। स्थानीय लोगों के अनुसार, इसमें 1000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और कई हफ्तों तक शवों की तलाश चलती रही। 10 सितंबर, 2002 को तेज रफ्तार हावड़ा-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस बिहार में गया जिले के रफीगंज के पास धावा नदी पर बने पुल पर बेपटरी हो गई थी। इसके बाद कई डिब्बे नदी में गिर गए थे। इस ट्रेन हादसे में 130 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए थे। दुर्घटना का कारण ट्रेन का बेपटरी होना ही बताया गया था। वर्ष 1999 में 2 अगस्त को बिहार की सीमा के पास पश्चिम बंगाल के गैसल में भी ट्रेन हादसा हुआ था। यहां ब्रह्मपुत्र मेल और अवध असम एक्सप्रेस की टक्कर हो गई थी। इस हादसे में 285 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। उत्तर रेलवे के कटिहार डिवीजन में हुए इस एक्सीडेंट में करीब 300 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।