जिला ब्यूरो नसीम खान “क्या” की रिपोर्ट :
मानव व्यवधानों से सुरक्षित मगरमच्छ नदी के कछारों में करते है मीटिंग व निषेचन
न्यूज़ डेस्क, बगहा पुलिस जिला
दिवाकर पाण्डेय
– अमिट लेख
बगहा, (ब्यूरो न्यूज़)। एशिया महादेश के भारत स्थित चंबल नदी के बाद गंडक नदी मगरमच्छों के अधिवास के लिए सबसे सुरक्षित और माकूल वातावरणीय क्षेत्र माना जाता है। न्यूज़ संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक ने बताया कि यह मौसम इनके मीटिंग का होता है। ये अक्सर गंडक नदी के किनारे बालू में घोसला बनाकर अंडे का निषेचन अनुकूल टम्प्रेचर में करते हैं।इनका निषेचन क्षेत्र नदी से लगभग 10 मीटर के दरमियान ही होता है। अभिषेक ने आगे बताया कि मगरमच्छ नदी से इतनी दूरी पर घोसले बनाते है या धूप सेकते है,जहां पर किसी मानवीय व्यवधान या दूसरे जीवो से खतरा उत्पन्न होने पर ये आसानी से नदी में उतर जाए। लेकिन नदीं में आए अचानक उफान से इनके घोसले पानी की धार में बह जाते है। जिससे इनके संख्या में फर्क पड़ता है। इन्होंने आगे बताया कि इस मौसम में नदी में पानी कम हो जाता है जिससे नदी के बीच बालू का टापू बन जाता है। अक्सर इस प्राकृतिक रूप से बने टापू में मगरमच्छों को धूप सेकते देखा जाता है। टापू पर मानव के किसी भी गतिविधि के नहीं होने से ये खुद को सुरक्षित महसूस करते है।बतातें चलें कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व जंगल से सटे नेपाल चितवन निकुंज में मगरमच्छों के प्रजनन केंद्र बने हुए है जहां हर साल मगरमच्छों को तय उम्र होने पर गंडक नदी में छोड़ दिया जाता है। गंडक नदी में मगरमच्छों का इतिहास पौराणिक कथाओं में गजग्राह के लड़ाई के रूप में वर्णन में मिलता है। बतादें की इनदिनों इन्ही वजहों से गंडक नदी के बीच बने बालू के टीलों पर मगरमच्छों को धूप सेकते देखा जा रहा हैं। जिसे पर्यटक अपने कैमरों में कैद कर रहे हैं।