जिला ब्यूरो नसीम खान “क्या” की रिपोर्ट :
बतादें वाल्मीकि आश्रम परिसर में रामायण काल या यूं कहें कि राम राज्य के समय के कई प्रसंग उद्गृहत है
न्यूज़ डेस्क, बगहा पुलिस जिला
नसीम खान “क्या”
– अमिट लेख
बगहा, (ए.एल.न्यूज़)। महर्षि वाल्मीकि की रामायण रचना स्थल वाल्मीकि आश्रम में पर्यटकों समेत श्रद्धालुओं का पहुंचना बराबर जारी है। वर्ष के हर महीने यहां श्रद्धालुओं का आना निरन्तर जारी रहता है। बतादें वाल्मीकि आश्रम परिसर में रामायण काल या यूं कहें कि राम राज्य के समय के कई प्रसंग उद्गृहत है। मसलन लवकुश का जन्मस्थल लवकुश का पाठशाला, अश्वमेध घोड़े को बांधे गए स्तम्भ,माता सीता का भोजनालय, कुंआ, हवनकुंड समेत सीता का पाताल प्रवेश स्थल आज भी परिसर में चिन्हित स्थल हैं।माता सीता के पाताल प्रवेश स्थल को मंदिर का स्वरूप दे दिया गया है।जिसमें मुख्य पुजारी बाबा शेखर सुवेदी है जो मन्दिर की देखरेख और पूजा पाठ कार्य को संपादित करते है। स्थानीय निवासी मंगल ने बताया कि गत कुछ माह से माता सीता मंदिर का मुख्य द्वार दोपहर में मुख्य पुजारी द्वारा बंद कर दिया जा रहा है।दोपहर में पहुंचने वाले श्रद्धालु माता सीता के पाताल प्रवेश स्थल का दर्शन नहीं कर पा रहे हैं।जिससे ये श्रद्धालु बिना दर्शन के लौट जा रहे हैं जिससे इन्हें मायूसी हो रही है। मंगल ने बताया कि पुजारी द्वारा यह कहा जा रहा है कि दोपहर में माता के विश्राम का समय होता है।इसलिए मुख्य द्वार बंद कर दिया जाता है ताकि श्रद्धालुओं के द्वारा इन्हें विध्न पैदा नहीं किया जाए। मंगल ने बताया कि माता के विश्राम का तो मुझे नहीं पता लेकिन इस समय पुजारी के विश्राम का समय जरूर हो जाता है,इस समय पुजारी अपने कमरे में जाकर सो जाते हैं।इस बात की शिकायत के मसले को लेकर वाल्मीकि आश्रम समिति के अध्यक्ष दीपक राय माझी ने पुजारी सुवेदी से बात की लेकिन पुजारी ने उनकी भी बात नहीं मानी। बतातें चलें कि वाल्मीकि आश्रम में दर्शन को बिहार उत्तरप्रदेश, बंगाल,नेपाल के श्रद्धालु प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में आते हैं।लेकिन दोपहर में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को मुख्य द्वार बंद रहने से मायूस होकर बिना दर्शन के लौटना पड़ रहा है।