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बेतिया में होने जा रहा सत्संग का आयोजन

महान संत श्री असंग साहेब का सत्संग बेतिया में होने जा रहा है आयोजित

1 मई से 3 मई तक महाराजा स्टेडियम, बेतिया में संत असंग साहेब का होगा सत्संग

– अमिट लेख

बेतिया, (मोहन सिंह)। पश्चिम चम्पारण के बेतिया की पावन भूमि पर जाने माने सत्संगी महान संत श्री असंग साहेब का सत्संग महाराजा स्टेडियम में 1 मई से 3 मई तक होने जा रहा है। इस सत्संग समागम में राम कथा, श्री भागवत कथा सैनी, घर-गृहस्थी में कैसे रहना चाहिए और नशा से कैसे मुक्ति पानी है आदि विषयों पर संत श्री असंग साहेब का ओजपूर्ण प्रवचन होगा। साथ ही साथ आधुनिकता व पाश्चात्य संस्कृति से दुष्प्रभावित माहौल में एक लड़का और लड़की को कैसे रहना है और अपने को सुरक्षित रखना है। उसकी विस्तृत जानकारी संत जी के द्वारा अपने तीन दिवसीय कार्यक्रम में दी जाएगी।अनमोल ज्ञान और सत्यार्थ दोनों का ही बड़ा फायदा चम्पारण के लोगों को होने जा रहा है। संत श्री असंग साहेब के प्रवाचन आस्था भजन टीवी चैनल पर विस्तृत रूप से रात्रि 9 बजे से 9:30 बजे तक प्रसारित होती है। जिसमें औसतन 30 हजार से 50 हजार तक उनके अनुयायियों की उपस्थिति भी रहती है। उनके कार्यक्रम से अनेकों लोगों ने धूम्रपान जैसे व्यसनों से छुटकारा पाया है और कई प्रकार के ज्ञानवर्धक प्रवचन से अपने जीवन को एक नई दिशा दी है।

संत श्री असंग साहेब जी का संक्षिप्त जीवन परिचय :-

संत श्री असंग साहेब जी का जन्म 20 अक्टूबर 1966 को सहनीपुर गांव में महादीन प्रसाद के पुत्र के रूप में हुआ था, जो भारत के उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिला में आता है। बाल्यकाल से मधुर स्वभाव व हंसमुख चेहरों वाले प्रतिभा के धनी एक प्यारा बच्चा थे। जिन्होंने गांव से ही हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त करने के बाद कानपुर विश्वविद्यालय से एम. ए. की पढ़ाई पूरी की। तत्पश्चात मेरठ विश्वविद्यालय से फिनस में डिग्री हासिल की।गुरु असंग साहेब 20 जनवरी 1987 को श्री शमा देव जी से मिलें और उनसे प्रभावित होकर 7 जून 1987 से ब्रह्मचारी वस्त्र श्वेत वस्त्र धारण कर लिया। 7 जुलाई 1989 को श्री शमा साहेब जी से आशिर्वाद से संत जीवन में प्रवेश कर गए।संत श्री असंग देव साहेब ने अपना आश्रम भारत नेपाल सीमा के पास स्थापित किया।यह वह सीमा है जहाँ भारत के उत्तरी दिशा नेपाल है जो नेपाल के दक्षिणी दिशा को छूती है। जिसे लखीमपुर (खीरी) के नाम से जाना जाता है। यह स्थान बिल्कुल ही ठंडा, शुद्ध और ताजा वातावरण वाला है। चूँकि आश्रम समुद्र तल से ऊपर स्थित है, इसलिए यहाँ से नदी, झील, जंगल जैसे दृश्य स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं। और जब मौसम साफ रहता है तो हिमालय पर्वत भी साफ दिखाई देता है। अत्यंत ही सुंदर व रमणीय हरियाली के गोद में बना यह आश्रम पूरे साल ठंडा बना रहता है। आस पास के खेत काफी उपजाऊ हैं जिसके कारण फसलें अच्छी होती हैं। इसका भी एक कारण हर साल अच्छी वर्षा होना भी है। जिसके कारण यहाँ खुशहाली और स्वच्छ परिवेश बना रहता है।

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