पश्चिम बंगाल में आज से 12 वर्ष पूर्व कहीं कहीं पर माँ गंगे की आरती होती थी,लेकिन आज हर पावन त्योहार पर माँ गंगे की भब्य आरती होती है
रमाकांत पंडित की पश्चिमी बंगाल से रिपोर्ट :
संयोजन ठाकुर रमेश शर्मा
– अमिट लेख
चम्पारण, (विशेष)। माँ गंगा एवं उनकी जितनी भी सहायक नदियां है,उनके निर्मलता अविरलता को लेकर प्रयासरत, कार्यरत गंगा समग्र एक सामाजिक एवं राष्ट्रीय संस्था है जो विगत 12 वर्षों से भारत के 18 प्रान्तों मे कार्य कर रही है।
पश्चिम बंगाल में आज से 12 वर्ष पूर्व कहीं कहीं पर माँ गंगे की आरती होती थी,लेकिन आज हर पावन त्योहार पर माँ गंगे की भब्य आरती होती है। सिर्फ आरती ही नही गंगा दशहरा, देव दीपावली जैसे उत्सव भी धूमधाम से मनाये जाते है,जिसका प्रेणास्रोत गंगा समग्र है। गंगा समग्र, दक्षिण बंगाल के प्रांत सयोंजक श्री वृज उपाध्याय जी ने बताया कि गंगा समग्र के 12 वर्षों के तपस्या,प्रयास का ही फल है कि आज पश्चिम बंगाल में माँ गंगे की आरती,गंगा दशहरा,देव दीपावली जैसे उत्सव धूमधाम से मनाये जाते हैं।
वृज उपाध्याय ने बताया कि माँ गंगे के निर्मलता के प्रति समाज जागरूक हो इसके लिए नित्य नये आयोजन गंगा समग्र करते रहता है,जिससे समाज प्रेरित होकर माँ गंगे की निर्मलता के कार्य को आगे बढ़ा सके । जब तक समग्र विचारधारा एक साथ,एक मंच पर खड़ा होकर माँ गंगे के निर्मलता पर संकल्प न ले,तब तक माँ गंगे के निर्मलता अविरलता का अभियान अधूरा है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए गंगा समग्र दक्षिण बंगाल ने सरंक्षक महा मंडलेश्वर स्वामी परमानंद जी महाराज के नेतृत्व में अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर 22 अप्रैल को मिलेनियम पार्क से छूटने वाली बड़ी क्रूज एम वत्सी मे “गंगा बखे चंदन यात्रा महोत्सव” का आयोजन किया गया । इसका मुख्य उद्देश्य समाज के समग्र विचाधारा को एक मंच पर लाकर माँ गंगे की वर्तमान स्थिति पर चिंतन मनन किया जाये। समग्र समाज की सह भागिता ही माँ गंगे के निर्मलता को आगे बढ़ा सकती है। यह आयोजन 2 स्तर पर रखा गया था। पहला 3 से 4:30 बजे तक अलग अलग राजनीति दल के नेताओं को एक मंच पर लाकर गंगा समग्र का उद्देश्य रखना,एवं मा गंगे के निर्मलता मे उनकी सह भागिता एवं सहयोग प्राप्त करना। जिससे कि समाज एक जुट होकर माँ गंगे के निर्मलता को लेकर अपनी सह भागिता दे। सभी ने अपने वक्तब्य मे गंगा समग्र के द्वारा किये गए प्रयास की सराहना की एवं भविष्य में साथ मिलकर कार्य करने का आश्वासन भी दिया। दूसरा स्तर 5 से 8 बजे तक का आयोजन जिसमें समाज के 200 बुद्धिजीवी लोगों की उपस्तिथि मे प्रथम तल मे सुंदरकांड का पाठ एवं द्वितीय तल मे महा मंडलेश्वर स्वामी परमानंद जी के नेतृत्व में बड़े मठों के साधु संतों के द्वारा भगवान जगन्नाथ की पूजा पाठ, माँ गंगे पर संस्कृति आयोजन, माँ गंगे पर बौद्धिक मन्त्र के साथ उपरांत माँ गंगे की भब्य आरती की गई। यह आरती भूतनाथ एवं नया मंदिर के बीच माँ गंगे की गोद में कई गई।जिससे सैकड़ों लोगों ने देखा,एवं श्रद्धा से भाव विभोर हुए । यह आयोजन बंगाल में प्रथम आयोजन एवं ऐतिहासिक आयोजन है। समाज के विख्यात समाजसेवी मे पंडित श्री लक्ष्मीकांत तिवारी जी,श्री दीपक मिश्रा जी उपस्तिथ थे ।इस आयोजन को सफल बनाने में हाबड़ा महानगर,बैरकपुर जिला,कोलकाता उत्तर जिला,मध्य जिला,दक्षिण पश्चिम जिला के कार्यकर्ताओं का अथक प्रयास था । श्री सुबोड गुप्ता जी,श्री मोतीलाल चौहान जी,श्री रमाकांत पंडित जी, श्री राकेश यादव जी,श्रीमती अनिता राय जी,श्री राकेश सिंह जी,कुमारी शारदा चौधरी जी,श्री सोनुलाल जी,श्री उमेश साव जी,श्री उमेश वर्मा जी,श्री सिद्धार्थ गया जी,श्री मुन्ना सिंह जी,श्री विकास हरिजन जी,श्री बिशान मन्ना जी,श्री जितेंद दास जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उधर बिहार राज्य के पश्चिमी चंपारण जिले के रामनगर तौलाहा से आए ठाकुर रमेश शर्मा मानवाधिकार रिपोर्टर के साथ हवाई मार्ग से आए आनन- फानन में इस महा आरती में सम्मिलित हुए ।पश्चिमी चंपारण का सैकड़ों लोगों का एक बहुत बड़ा भत्तों का जथा इस महाआरती के आयोजन में सम्मिलित होकर हिंदू धर्म के प्रति अपनी घोर आस्था प्रकट किया । चंपारण से आए सभी श्रद्धालुओं को पंडित रमाकांत ने अपने कल्याण कोष से रहने खाने का व्यवस्था तो किया ही साथ में जाने का भी प्रबंध किया । बिहार पश्चिमी चंपारण के लोगों के सम्मिलित होने से पश्चिमी बंगाल कोलकता के लोगों के साथ पंडित रमाकांत गद – गद होते हुए जाते वक्त अश्रुधार से बिभोर होते हुए यह आयोजन यहा तक की यह पूरा आयोजन पश्चिमी बंगाल में पानी के जहाज में होने से काफ़ी ऐतिहासिक नज़र आया जो की पूरे विश्व के लिए ऐतिहासिक नजारा नज़र आया।अब तो पूरे भारत वर्ष में अब तो अनुसरण ही होगा जो हिंदू जाति के लिए एक सम्मान की बात है।