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Post: जीएमसीएच में पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार

जीएमसीएच में पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार

बेतिया से उप-संपादक का चश्मा : 

मरीज की मौत की खबर कवर करने गए पत्रकारों को टीओपी स्टाफ और जीएमसीएच के गार्डो ने बनाया निशाना

न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चंपारण 

मोहन सिंह

–  अमिट लेख

बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। बेतिया के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच) में पत्रकारों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार का मामला एक बार फिर सामने आया है। मिली जानकारी के अनुसार 30 जुलाई को दो पत्रकारों के साथ अस्पताल परिसर में टीओपी (टाउन आउट पोस्ट) के स्टाफ और गार्डों ने कथित तौर पर बदसलूकी की। बताया जा रहा है कि दोनों पत्रकार एक गर्भवती महिला की मौत के बाद खबर कवरेज करने पहुंचे थे। घटना के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि आखिर जीएमसीएच में मौजूद सुरक्षा स्टाफ पत्रकारों को देखकर उग्र क्यों हो जाते हैं? क्या अस्पताल प्रशासन कुछ छुपाना चाहता है या फिर यह किसी साजिश का हिस्सा है? स्थानीय पत्रकारों का आरोप है कि यह पहली बार नहीं है जब उनके साथ ऐसा बर्ताव हुआ हो। आए दिन खबर कवरेज के दौरान पत्रकारों को अस्पताल कर्मियों और सुरक्षा स्टाफ की नाराजगी झेलनी पड़ती है। सबसे अहम बात यह है कि जिस वक्त यह घटना हुई, उस दौरान अस्पताल परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे चालू थे। अगर प्रशासन निष्पक्ष है तो उन फुटेज की जांच कर वास्तविकता सामने लाई जा सकती है। क्या अस्पताल प्रशासन पत्रकारों से डर रहा है? क्या टीओपी स्टाफ को किसी खास दिशा-निर्देश के तहत पत्रकारों को रोकने को कहा गया है? जरूरत है एक निष्पक्ष जांच की, जिससे साफ हो सके कि पत्रकारों को टारगेट करना सिर्फ एक संयोग है या सुनियोजित रणनीति।

प्रमुख मांग  :

CCTV फुटेज की सार्वजनिक जांच हो

दोषी गार्ड और पुलिसकर्मियों पर हो कार्रवाई

पत्रकारों की सुरक्षा की गारंटी दे प्रशासन

मीडिया कवरेज के अधिकार का सम्मान करे जीएमसीएच प्रशासन

“पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होते हैं”। अगर उन्हें ही सूचना तक पहुंचने से रोका जाएगा, तो आम जनता का हक दबाया जा रहा है। ऐसे मामलों में चुप्पी अब खतरे की घंटी है।

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