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Post: पेयजल की आपूर्ति नहीं होने से लोगों में मची हाहाकार

पेयजल की आपूर्ति नहीं होने से लोगों में मची हाहाकार

थाना क्षेत्र के सिंचाई विभाग के ई. टाइप कॉलोनी की आधी आबादी इन दिनों पेयजल संकट से जूझ रही है

एक ही पाइप लाइन होने की वजह से जब भी किसी एक प्लांट में खराबी आने पर प्लांट से दूर वाले क्षेत्रों में जलापूर्ति प्रभावित हो जाती है

✍️ वाल्मीकिनगर से नंदलाल पटेल की रिपोर्ट
– अमिट लेख
वाल्मीकिनगर, (प. चम्पारण)। थाना क्षेत्र के सिंचाई विभाग के ई. टाइप कॉलोनी की आधी आबादी इन दिनों पेयजल संकट से जूझ रही है। जिससे लोगों में हाहाकार मचा हुआ है। बतादें की वाल्मीकिनगर पंचायत के ई. टाइप कॉलोनी के 13 नम्बर वार्ड में नल-जल योजना से शुरुआती समय से ही पेय-जलापूर्ति नहीं हो पा रही है। इसलिए बड़े कॉलोनी का हवाला देते हुए संवेदक द्वारा यह कहा गया कि एक प्लांट से इतने बड़े कॉलोनी को जलापूर्ति करने में प्रॉब्लम आ रही है।

पीएचईडी विभाग ने एक ही वार्ड में दूसरे प्लांट की अनुमति दे दी और प्लांट बनकर संचालित भी हो चुका है। इसके बावजूद जलापूर्ति की समस्या प्लांट से दूर वाले क्षेत्रों में अभी भी पूर्ववत है। जानकार बतातें हैं कि दोनों प्लांट एक साथ संचलित होने पर ही प्लांट से दूर वाले कॉलोनी वासियों को जलापूर्ति हो पायेगी। लेकिन एक मे खराबी आने पर पानी का प्रेशर कम हो जाता है। जिससे प्लांट से दूर वाले कॉलोनी वासियों को जलापूर्ति नहीं हो पाती है। इसका मुख्य वजह एक ही जलापूर्ति पाइप लाइन से समूल क्षेत्र में जलापूर्ति का किया जाना है। जबकि होना यह चाहिए कि नए प्लांट से प्रभावित कॉलोनी के लिए अलग पाइप लाइन से बिल्कुल अलग जलापूर्ति की व्यवस्था होना चाहिए। एक ही पाइप लाइन होने की वजह से जब भी किसी एक प्लांट में खराबी आने पर प्लांट से दूर वाले क्षेत्रों में जलापूर्ति प्रभावित हो जाती है। प्रभावित इलाके के लोगों का कहना है कि नए प्लांट से ई टाइप कॉलोनी के पिछले लाइन वाले प्रभावित क्वाटरों का कनेक्शन अलग होना चाहिए ताकि पूरे प्रेशर से जलापूर्ति हो सके। अभी दोनो प्लांट का एक साथ संचालित होने के बावजूद बहुत कम प्रेशर में पानी मिल रहा है। ऐसा संकट बार-बार न हो इसलिए दोनों प्लांट से पूरे कॉलोनी को दो अलग-अलग क्षेत्रो में बांटकर पृथक-पृथक पाइप लाइन से जलापूर्ति करने की पीएचईडी व्यवस्था करे। बतातें चलें कि ई टाइप कॉलोनी का जन जीवन छोटी पहाड़ी पर बसा होने से और पेयजल की कोई दूसरी व्यवस्था नही होने के कारण पूरी तरह से पीएचईडी के जलापूर्ति पर ही निर्भर है। वही भीषण गर्मी के बीच जलापूर्ति ठप्प होने से लोगों में पेयजल के लिए हाहाकार मचा हुआ है।

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