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Post: गरीबों के घर पर हीं चलेगा बुलडोजर क्योंकि उनसे ठेंगा मिलना है

गरीबों के घर पर हीं चलेगा बुलडोजर क्योंकि उनसे ठेंगा मिलना है

जदयू-राजद की सरकार में मन बढूये अधिकारी पद और पावर का धड़ल्ले से कर रहे इस्तेमाल

अंचल में जिसने भेंट नहीं किया नज़राना समझ लो सरकारी जमीनों पर उन भूमिहीनों का नहीं रहेगा पड़ाव

भूमिहीन लगाते हैँ इलज़ाम “केवल नज़राने में ठेंगा दिखानेवालो के आशियाने पर चलवाते हैँ सरकारी खर्चे पर अपने मन माफिक बुलडोज़र”

अनुमंडलाधिकारी बगहा और जिला पदाधिकारी पश्चिम चम्पारण के निर्देश पर अंचल रामनगर द्वारा चलाये गये अतिक्रमण विरुद्ध अभियान में आखिर एक गरीब के घर की दिवार और विश्वकर्मा मंदिर महज़ दो अदद मामलों को हीं क्यों बनाया गया निशाना?

क्या महज दो अदद अतिक्रमण हटाने के लिए अंचल ने की थी संस्तुति, यदि ऐसा नहीं तो सरकारी खर्च क्यों गया बेकार?

✍️ ठाकुर रमेश शर्मा,
– अमिट लेख
रामनगर, (विशेष)। सूबे में कभी सुशासन के मामले में मशहूर रही नीतीश कुमार की सरकार के संरक्षण में पले-बढे किन्हींचंद अधिकारियों की मनमर्जी से प्रशासनिक महकमें में भठियारेपन का अहसास होने लगा है।

हालांकि एक कहावत “भथुआ पर सितुआ चोख” वैसे तो सदियों पुरानी कहावत है। यदि इसका मतलब समझना हो तो बेधड़क सीधे चले आयें रामनगर। जी हाँ, ताज़ा मामला रामनगर अंचल का है, जिसमें सीओ रामनगर की कारिस्तानी से व्यवसायिक तबका जहाँ उबाल में है, तो वहीँ चंद भठियारे कुटुंबजन मालामाल वीकली मना रहे। मामला यूँ है की अंचल की संस्तुति पर अनुमंडल पदाधिकारी बगहा और डीएम पश्चिम चम्पारण के निर्देश के आलोक में पिछले दिनों रामनगर के त्रिवेणी कैनाल क्षेत्र से जुड़े अतिक्रमणकारियों को हटाने का जैसे सुनियोजित स्वांग रचा गया। सरकारी पद और पॉवर के ताम-झाम से लैश स्थानीय प्रशासन के तेवर से ऐसा लगा की चलो अब रामनगर भी अतिक्रमण मुक्त हो जाएगा।

परन्तु ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला अंचलाधिकारी के दिशा निर्देश पर त्रिवेणी नहर पुल के समीप बने एक विश्वकर्मा भगवान की चार फुट दायरे में तीन दशकों से कायम मंदिर और हाशिये पर राजहंस स्कूल के पास पुश्तों से बासगीत किये विकलांग प्रभु मिस्त्री उर्फ़ प्रभु साह की पक्की दिवार पर हीं केवल सरकारी बुलडोजर की गाज गिरी। इस वाकये से हतप्रभ गरीब व्यवसायीयों में आक्रोश दिख रहा है।

वहीँ इसे सियासी रंग देते हुये गरीब-गुरुबों के पक्ष में स्थानीय प्रसिद्ध समाजसेवी मधुकर राय के पुत्र अभिषेक राय जो भाजपा के युवा तुर्क नेता के रूप में उभर रहे हैँ, ने अंचल के इस हरकत के विरुद्ध आवाज़ उठाते हुये। इस वाकये के खिलाफ लोकायुक्त पटना से शिकायत करने का संकेत दिया है। बकौल, अभिषेक नीतीश शासन में इसतरह के मामले चौँकाऊ नहीं क्योंकि बिहार में कहीं-कहीं अधिकारी बेलगाम हैँ। ऊपरी रसूख रखनेवाले ऐसे तत्वों को सीधे कठघरे में खड़े करने की जरुरत है। ताकि लोकतंत्र के सेवक लोगों की सेवा करें, ना की उनपर हुकूमत।

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