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Post: फर्जी क्लिनिक में मासूम की हुई मौत, परिजनों का सुननेवाला कोई नहीं

फर्जी क्लिनिक में मासूम की हुई मौत, परिजनों का सुननेवाला कोई नहीं

मासूम के शव को गोद मे ले सरकारी अस्पताल से थाना तक का लगाया चक्कर, अंत मासूम के शव की कीमत संचालक ने लगाई 10 हजार रुपये….?

✍ न्यूज़ डेस्क

– अमिट लेख
सुपौल, (विशेष)। जिला के मुख्य मार्ग एनएच 327-ई, के किनारे त्रिवेणीगंज बाजार स्थित पुरानी बैंक चौक के समीप एक अवैध क्लिनिक ने एक बार फिर एक मासूम बच्चे की जान ले ली है। कचड़ा बेचकर गुजर बसर करने वाले नारायण मलिक ने अपने डेढ़ वर्षीय मासूम बच्चे को दस्त की शिकायत पर अपने किराए के घर के पास ही बिना बोर्ड के दवाई दुकान के पीछे गुप्त रूप से संचालित एक फर्जी क्लिनिक में ईलाज के लिए लाया। पीड़ित नारायण मलिक ने कहा कि पिछले सात दिनों से इनके पास ईलाज करा रहे थे और प्राइवेट डॉक्टर हमेशा कहे कि ठीक हो जाएगा। कभी ये नहीं बोले इसे यहाँ से ले जाइए। मंगलवार को जब मासूम डेढ़ वर्षीय बच्चे की तबियत अधिक मौत हो गई, तो वहां से बोले इसको कहीं दूसरे जगह ले जाइए। जिसके बाद अपने मृतक मासूम बेटे के शव को गोद मे लेकर परिजन अनुमंडलीय अस्पताल त्रिवेणीगंज ले गए, जहां स्वास्थ्य कर्मियों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया।

परिजन मासूम के शव को गोद मे लेकर अस्पताल से थाना और फिर फर्जी क्लिनिक का चक्कर लगाते रहे…

अनुमंडलीय अस्पताल त्रिवेणीगंज में स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा मासूम को मृत घोषित करने के बाद। मृतक मासूम की माँ अपने लाडले के शव को गोद में लेकर अस्पताल से थाना पहुंची और वहाँ से फिर फर्जी क्लिनिक पहुंचे।

लेकिन तब तक क्लिनिक संचालक अपने क्लिनिक को छोड़ फरार हो गया। कहीं भी पीड़ित की कुछ नहीं सुनी गई।

भीड़ लगते ही फर्जी क्लिनिक के आसपास शुरू हुआ मैनेजमेंट का खेल …

रोते बिलखते परिजन की चीख कि आवाज सुनकर मुख्य मार्ग से गुजरने वाले राहगीरों की भीड़, फर्जी क्लिनिक के सामने सड़क किनारे इकट्ठी हो गयी। और, घंटों परिजनों की चीख पुकार चलती रही। भीड़ में ही फर्जी क्लिनिक के दलाल ने मृतक मासूम के शव की कीमत पाँच से 10 हजार रुपये लगा दिया। मृतक मासूम के पिता नारायण मलिक का आरोप है कि यहां जब आये तो फर्जी क्लिनिक के बाहर संचालित दवा दुकानदार के किसी आदमी ने कहा कि पांच दस हजार रुपये ले लीजिये और बच्चे को लेकर चले जाइये। मूकदर्शक बने स्वास्थ्य विभाग और ! प्रशासन तकरीबन दो तीन घंटों तक इस रोते बिलखते पीड़ित को देखते अपना मुंह घुमा लेते थे, लेकिन किसी ने इसकी सुध लेना मुनासिब नहीं समझा। बता दें कि आये दिन अक्सर फर्जी क्लीनिकों में मौत के मामले लगातार बढ़ने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की कुम्भकर्णी निंद्रा टूटने का नाम नहीं ले रही है। दिन प्रतिदिन बाजार से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में फर्जी क्लीनिक खुलने का सिलसिला लगातार जारी है, कोई इस ओर ठोस कदम उठाता नहीं दिख रहा है।

प्रभारी उपाधिक्षक अनुमंडलीय अस्पताल ने दिया भरोसा :

वहीं मामले को लेकर जब अनुमंडलीय अस्पताल त्रिवेणीगंज के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ.इन्द्रदेव यादव से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है जाँच के बाद कार्यवाई की जाएगी।

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