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Post: अपनी मेहनत के बूते सिंचाई के जुगाड़ में जुटे किसान 

अपनी मेहनत के बूते सिंचाई के जुगाड़ में जुटे किसान 

लोगों का कहना है की एक दशक पूर्व जब वाल्मीकिनगर से राजेश सिंह विधायक थे तब उन्होंने अनेकों सरकारी नलकूप लगाये जाने का प्रयास किया था, जिनके लगाये नलकूपों से किन्हीं इलाकों का कुछ पटवन हो पाता है

लोगों का यह भी कहना है कि नीतीश सरकार जात जमात से परे हटकर जंगल क्षेत्र में बशर कर रहे असिंचित खेतों के इन किसानों को पहले सिंचाई की उचित व्यवस्था सुलभ करावे उसके बाद थारू विकास प्राधिकरण का पिटारा खोले

जगमोहन काजी/संवाददाता

-अमिट लेख

हरनाटांड, (बगहा ग्रामीण)। प्रखंड बगहा दो के अन्तर्गत पंचायत राज देवरिया तरूअनवा के तरूअनवा गाँव में भूमि की सिंचाई के लिए जंगली नदी के पानी को कैनाल बनाकर सम्पूर्ण ग्रामीण किसान सिंचाई करने पर मज़बूर है। जंगल के समीप जितने  भी गाँव है सबकी  हालत एक जैसी है। भूमि की सिंचाई के लिए जंगली नदी पर आश्रित किसानों को रहना पडता है, और ईसके लिए किसान कड़ी मेहनत करते हैं। परन्तु किसानों की यह मेहनत बारिश होगी तभी कारगर होंगे। इस साल फिर सूखा का आसार है। फसलें सूख रही हैं। रोग लग रहे हैं। किसानों के माथे पर चिंता के बादल घिर रहे हैं। उनकी उम्मीदों पर पानी फिर रहा है। पिछले कुछ सालों में लगातार सूखा, अनियमित वर्षा और कभी कम वर्षा की स्थिति बनी हुई है। इस संवाद में हम पानी और जंगल के रिश्ते को समझने की कोशिश करेंगे, जिससे यह समझने में मदद मिले कि आखिर बारिश क्यों नहीं हो रही है। वहीँ विडम्बना यह की वोट बैंक के खातिर प्रतिवर्ष थारु उत्थान के मद में तमाम योजनायें लागू होती है जिनका लाभ बिरादरी के आम तबकों को नहीं मिल पाता। जंगल किनारे हजारों हज़ार एकड़ असिंचित भूमि पर बिरादरी के चहेते ठेकेदारों की जहाँ नज़र नहीं पड़ती वहीँ क्षेत्रीय विधायक अथवा सांसद भी इस समस्या पर सरकार का ध्यान आकृष्ट नहीं कराते। लोगों का कहना है की एक दशक पूर्व जब वाल्मीकिनगर से राजेश सिंह विधायक थे तब उन्होंने अनेकों सरकारी नलकूप लगाये जाने का प्रयास किया था, जिनके लगाये नलकूपों से किन्हीं इलाकों का कुछ पटवन हो पाता है। किसानों ने सरकार का ध्यान “अमिट लेख” के माध्यम से इस ओर आकृष्ट करना चाह है, लोगों का यह भी कहना है की नीतीश सरकार जात जमात से परे हटकर जंगल क्षेत्र में बशर कर रहे असिंचित खेतों के इन किसानों को पहले सिंचाई की उचित व्यवस्था सुलभ करावे उसके बाद थारू विकास प्राधिकरण का पिटारा खोले ताकि सार्वजनिक और वास्तविक विकास हमारे थरुहट क्षेत्र का हो सके।

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