वाल्मीकी टाइगर रिजर्व अंतर्गत चमैनिया मोड़ के समीप चंपापुर रोड का एक सुंदर वीडियो लेकर आए हैं, जहां मोर ने स्वैग से बारिश का वेलकम किया है
जगमोहन काजी, संवाददाता
– अमिट लेख
हरनाटांड, (बगहा ग्रामीण)। कहते हैं ‘जंगल में मोर नाचा किसने देखा।’ इस कहावत से ही ज़ाहिर है कि मोर का नृत्य देख पाना कितना दुर्लभ है। अक्सर बारिश के मौसम में मोर का भी मन-मयूर नाच उठता है।
ऐसे पल कभी-कभी हीं आते हैं, जब मोर का डांस कैमरे में कैद हो जाए। वाल्मीकी टाइगर रिजर्व अंतर्गत चमैनिया मोड़ के समीप चंपापुर रोड का एक सुंदर वीडियो लेकर आए हैं, जहां मोर ने स्वैग से बारिश का वेलकम किया है। बता दें की वर्षा ऋतु में मोर काली घटा छाने पर पंख फैला कर मस्ती में नाचता है, इस दौरान जब वह पूरी मस्ती में नाचता है तो उसके कुछ पंख टूट जाते हैं। वैसे भी वर्ष में एक बार अगस्त के महीने में मोर के सभी पंख झड़ जाते हैं। ग्रीष्म-काल के आने से पहले ये पंख फिर से निकल आते हैं। दरअसल वह ऐसा मोरनियों को रिझाने के लिए करता है। हालाँकि मोरनी खूब नखरे करती है, मगर ऐसे रिझानेवाले प्रदर्शन को देखकर वह मोर पर लट्टू हो जाती है। मोर के लंबे-चैड़े चमचमाती आँखोंवाले पंख मोर पर इस तरह छा जाते हैं कि यह नजारा मोरनी का दिल चुरा ही लेता है। और फिर वह अपने लिए उस मोर को चुन लेती है जिसका प्रदर्शन उसे सबसे मनभावना लगता है। मगर मोर का प्रदर्शन सिर्फ पंख फैलाकर ही खत्म नहीं होता। वह अपने लंबे-चैड़े पंख फैलाने के बाद उसे आगे की ओर झुका लेता है। इसके बाद बड़ी अदाओं से मटक-मटककर नाचने लगता है। वह जोर-जोर से चीत्कार भी भरने लगता है। इस तरह वह मोरनी को एहसास दिला देता है कि उसे रिझाने की कोशिश कर रहा है। जो मोर सबसे शानदार प्रदर्शन करता है, वही आखिरकार मोरनी का दिल जीत लेता है। साल भर में हर मोर के पास कम-से-कम 5 मोरनियों का समूह होता है और वह तकरीबन 25 चूजों का पिता बनता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक मोर की उम्र 25 से 30 वर्ष तक होती है। नर मोर की लंबाई लगभग 215 सेंटीमीटर तथा मादा मोर की लंबाई लगभग 50 सेंटीमीटर ही होती है। नर और मादा मोर की पहचान करना बहुत आसान है। नर के सिर पर बड़ी कलगी तथा मादा के सिर पर छोटी कलगी होती है। नर मोर की छोटी-सी पूंछ पर लंबे व सजावटी पंखों का एक गुच्छा होता है। मादा पक्षी के ये सजावटी पंख नहीं होते।