नगरपालिका अधिनियम के प्रावधानों के तहत निर्वाचित निकाय प्रतिनिधियों को अधिकार, कर्त्तव्य और सेवाओं का मिला प्रशिक्षण
प्रशिक्षु आईएएस शिवाक्षी दीक्षित व नगर आयुक्त ने लगाई नगर निगम के निर्वाचित प्रतिनिधिगण की पाठशाला
– अमिट लेख
बेतिया, (मोहन सिंह)। बिहार नगरपालिका अधिनियम के अधिसूचित प्रावधानों के तहत नगर निगम के निर्वाचित प्रतिनिधिगण के प्रशिक्षण शिविर का आयोजन नगर निगम के सभागार में शुक्रवार को संपन्न हुआ। जहां प्रशिक्षु आईएएस सह सहायक समाहर्ता शिवाक्षी दीक्षित, नगर आयुक्त शंभू कुमार के द्वारा नगर निगम के निर्वाचित प्रतिनिधिगण की पाठशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत महापौर गरिमा देवी सिकारिया के मार्गदर्शन के साथ की गई। जहां अधिकार, कर्त्तव्य और सेवाओं के विशेष प्रशिक्षण में श्रीमती सिकारिया ने कहा कि नगर निगम एक विशेष और सबसे शक्तिशाली स्थानीय निकाय है। जो शहरी क्षेत्र में विभिन्न विकास कार्यों पर नियंत्रण और पर्यवेक्षण करता है। साफ सफाई, सड़क, जल निकासी, पेयजल, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ कई अन्य सेवाओ और क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करता है। महापौर श्रीमती सिकारिया ने यह भी बताया कि हम शासी निकाय के रूप में अपने अधिसूचित क्षेत्र के विकास कार्यों को विशेष रूप से संगठित जुड़ाव जैसे हाउसिंग बोर्ड, बिजली विभाग, शिक्षा विभाग आदि में विभाजित करते हैं और आपके द्वारा अधिकारित व्यक्ति बन जाते हैं।
नगर निगम नगर पालिका क्षेत्र एक विशेष व सबसे शक्तिशाली शहरी निकाय : शिवाक्षी दीक्षित
भारतीय प्रशासनिक सेवा की प्रशिक्षु पदाधिकारी सह अधिसूचित नगर आयुक्त सुश्री शिवाक्षी दीक्षित ने कहा कि नगर निगम नगर पालिका क्षेत्र एक विशेष व सबसे शक्तिशाली शहरी निकाय है। जिसको नगर निगम बोर्ड द्वारा संचालित किया जाता है।
इसके पूरे क्षेत्र को छोटी इकाइयों में विभाजित किया जाता है। जिसे वार्ड कहा जाता है। एक नगर निगम एक वार्ड समिति का गठन करता है और इस समिति के पास प्रत्येक वार्ड के लिए एक पार्षद का पद सृजित किया जाता है। इस समिति के सदस्यों को पांच साल की अवधि के लिए चुना जाता है और उन्हें नगर पार्षद कहा जाता है। नगर निगम क्षेत्र में वार्डों की संख्या निर्धारित रहती है और कुछ क्षेत्र अनुसूचित जाति/जन जाति, पिछड़ी जाति और महिलाओं के लिए आरक्षित होते हैं। नगर निगम का महापौर होते या होतीं हैं। उनके शासकीय सहयोग और कार्यपालक पदाधिकारी के रूप में नगर आयुक्त द्वारा शासन व्यवस्था संभाली जाती है। महापौर के कार्य निगम की विकास योजनाओं प्रबंधन, निर्देशन और नियंत्रण करना होता है। मेयर और डिप्टी मेयर दोनों का कार्यकाल पांच साल का होता है। मेयर जनता द्वारा चुना जाता है। कार्यकारी अधिकारी महापौर, उप महापौर, पार्षदगण की बोर्ड और सशक्त स्थाई समिति के निर्णय/सलाह से नगर निगम के विकास और योजना को लागू करते हैं। नगर आयुक्त शंभू कुमार ने बताया कि नगर निगम के कार्यों में शहर और शहरी आवास, सार्वजनिक स्वास्थ्य, अग्निश्मन सेवाओं, स्लम क्षेत्रों में सुधार, स्ट्रीट लाइट का रखरखाव और आराम, सामाजिक विकास आदि को भी शामिल किया गया है। मौके पर प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपमेयर सहित सभी पार्षदगण, अधिकारीगण इत्यादि मौजूद रहे।