कयास लगाये जा रहे थे कि जिले में बिना निबंधन के कुकुरमुत्ते की तरह संचालित अल्ट्रासाउंड संचालकों के विरुद्ध एफआईआर एवं गिरफ्तारी युद्ध स्तर पर होगी
✍️ ठाकुर रमेश शर्मा
– अमिट लेख
रामनगर, (प. चम्पारण)। पश्चिमी चंपारण में जब डॉक्टर श्रीकांत दूबे सिविल सर्जन बेतिया बने तब लगा, कि झोलाछाप डॉक्टरों का लगभग सफाया हो जाएगा।
साथ हीं कयास लगाये जा रहे थे कि जिले में बिना निबंधन के कुकुरमुत्ते की तरह संचालित अल्ट्रासाउंड संचालकों के विरुद्ध एफआईआर एवं गिरफ्तारी युद्ध स्तर पर होगी। हालांकि इस बाबत सीएस बेतिया ने सभी पीएचसी प्रभारी को उनके विरुद्ध शीघ्र कार्रवाई का आदेश जारी कर दिया है। साथ ही सभी अल्ट्रासाउंड संचालकों से निबंधन से संबंधित कागजातों को तलब किया गया है। तथा संचालक, सेंटर और संबंधित डॉक्टर से संबंधित रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है।
सर्वविदित है कि हरनाटांड़ क्षेत्र में अनेकों अल्ट्रासाउंड बगैर अनुज्ञप्ति के ही संचालित है। आश्चर्य की बात तो यह है कि जहाँ नज़राना देकर अनेकों अवैध जाँच घर कुलाचे भर रहे हैँ, वहीँ इन अवैध जाँच घरों के व्यवसाय में किसी की दखलाँदाजी ना हो नज़राना लेने वाले विभागीय पदाधिकारियों द्वारा इसका पुख्ता इंतज़ाम भी किया जाता है। इस क्षेत्र में बिना अल्ट्रासाउंड संचालित महज दूकान किराए पर लेने मात्र की भनक लगते निष्ठावान चिकित्सापदाधिकारी बगहा की टीम धन वसूली के नीयत से फर्जी छापा करके वैसे दुकानों का मामला बनाकर उसे सील कर देते हैँ। ऐसे हीं वाकये का शिकार वाल्मीकिनगर हवाई अड्डा निवासी धीरज कुमार ने “अमिट लेख” को बताया कि मैं अपने क्षेत्र में अभी निबंधन कराकर जाँच घर संचालन के बारे में सोच हीं रहा था, कि डॉक्टर के०बी०एन० सिंह का नाम कह कुछ दलाल मेरे पास आए और मुझसे रू. एक लाख रिश्वत मांगने लगे। मैंने कहा कि जब मैं काम शुरू करूंगा, तब रुपया दे दूंगा। इतने में नाराज होकर अस्पताल प्रशासन ने मेरे विरुद्ध फर्जी टीम बनाकर केस दर्ज करा दिया है। इनका कहना है कि “प्रत्येक अल्ट्रासाउंड वाले जो बिना निबंध के हैं, रू. 1 लाख देकर ही संचालित कर सकते हैं,” इसलिए तुम्हें भी पहले जमा करना होगा।
अब तो स्वास्थ्य विभाग पटना को बगहा अनुमंडलीय अस्पताल प्रशासन के कतिपय धन लोलुप पदाधिकारियों को हटाए बगैर वास्तविक अवैध कार्यों को इस क्षेत्र में रोकना मुश्किल है तथा अस्पताल में पदस्थापित पदाधिकारियों के प्रमाण पत्रों की जांच जनहित में होनी चाहिए, तभी रोगी कल्याण का मतलब निकलेगा। बगहा पीएचसी का हाल तो इस समय अस्त-व्यस्त बेहाल है। यहां सब कुछ सेटिंग-गेटिंग पर चल रहा है जहाँ, शीघ्र सुधार की आवश्यकता है। ऐसी मांग जदयू नेता राजेश राम लगातार करते आ रहे हैँ। परंतु, यहां तो अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा वाली कहानी चरितार्थ हो रही है। हालांकि बगहा पुलिस जिले में जब पुलिस अधीक्षक सैफुल हक़ साहब थे, तो उन दिनों में फर्जी डॉक्टर तथा फर्जी अल्ट्रासाउंड चलाने वाले की शामत आ गई थी। अनेकों एफआईआर रामनगर थाना क्षेत्र में भी हुए थे। हरनाटाड़ में अनुमंडल चिकित्सा पदाधिकारी का तो साम्राज्य कायम है तथा उस क्षेत्र में एक खास वर्ग अभी अवैध संचालन का मोर्चा संभाले हुए हैं। अगर इसपर शीघ्र रोक न लगाई गई तो बहुत ही बड़ा जन आक्रोश फूटने वाला है, जो इन माफियाओं के खिलाफ होगा।