मोतिहारी,शिवहर,सीतामढ़ी तक बनेगी रेल लाइन, मोदी सरकार ने 566 करोड़ रुपये का दिया मंजूरी
शिवहर जिला वासियो के लिये रेलवे का बड़ा सौगात
– अमिट लेख
मोतिहारी, (दिवाकर पाण्डेय)। सीतामढ़ी और मोतिहारी जिले के लोगों को रेलवे ने एक बड़ा सौगात दिया है। दसको पुराना रेलवे ने स्वीकृति दिया था। केन्द्र सरकार ने सीतामढ़ी-मोतिहारी रेल मार्ग के निर्माण के लिए राशि की स्वीकृत दे दी है। प्रथम फेज में सीतामढ़ी-शिवहर तक रेल लाइन का निर्माण होगा। इसके लिए रेल मंत्रालय की ओर से 566.83 करोड़ रुपये की राशि की स्वीकृति दी। शिवहर जिला वासियो के लिए ऐतिहासिक क्षण है। यहां के लोगों का वर्षों का सपना साकार होने जा रहा है। भले ही इस परियोजना को पूरा होने में वर्षों लगेंगे, लेकिन प्रथम फेज के काम के लिए राशि की स्वीकृति से ही लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है। सांसद ने बताया है कि वर्ष 2006-07 में कांग्रेस की सरकार में सीतामढ़ी-मोतिहारी रेल लाइन की स्वीकृति मिली थी। हालांकि, तब से ही इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। अक्टूबर 2007 में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद ने शिवहर समाहरणालय के पास इस परियोजना के सर्वे कार्य का शुभारंभ किया था। सर्वे पर 24.16 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. उस दौरान 78.92 किमी की इस परियोजना की लागत 221 करोड़ रुपये आंकी गई थी। अब लागत बढ़ कर 926.09 करोड़ रुपये हो गई है. राशि के अभाव में भूमि का अधिग्रहण नहीं होने के कारण परियोजना कागज के पन्नों तक सिमट कर रह गई थी। यह परियोजना भले ही ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था और सब के सब खामोश हो गये थे लेकिन शिवहर के सामाजिक कार्यकर्ता मुकुंद कुमार मिश्रा चुप नहीं बैठे थे। वे लगातार इस परियोजना की ओर रेलवे, रेल मंत्री व इससे जुड़े वरीय अधिकारियों का पत्राचार के जरिए ध्यान आकृष्ट कराते रहे। उन्होंने आरटीआई के जरिए रेलवे से इस रेल परियोजना के लंबित रहने को लेकर सवाल किया. तब जवाब मिला था कि परियोजना को स्वीकृति ही नहीं मिली है। इस जवाब से श्री मिश्रा एक रत्ती भी संतुष्ट नहीं थे। तब उन्होंने 21 दिसंबर 2021 को पटना हाईकोर्ट में इसको लेकर एक याचिका दायर की। मामले में सुनवाई करने के बाद हाईकोर्ट ने रेलवे और राज्य सरकार से जवाब मांगा था। मामला अब भी कोर्ट में चल रहा है। इधर, शिवहर सांसद रमा देवी ने भी इस रेल परियोजना का मामला संसद में उठाया था। बहरहाल, रेल लाइन के निर्माण के लिए राशि की स्वीकृति मिश्रा के ही प्रयास का परिणाम बताया जा रहा है।