



एमएसपी और बिजली (संशोधन) विधेयक आदि पर किसानों को दिए गए लिखित आश्वासन का भी सम्मान नहीं करतीं मोदी सरकार- भाकपा माले
संविधान के मूल मूल्यों अभिव्यक्ति की स्वतंतता असहमति का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता पर हमला कर रहीं हैं : फरहान राजा
गौनहां, मैनाटाड़ 27 नवम्बर को महापड़ाव में पटना चलने का किया आह्वान
न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण
– अमिट लेख
बेतिया, (मोहन सिंह)। किसान- मजदूर संघर्ष यात्रा आज तीसरे दिन नरकटियागंज, पिपरा चौक, जमुनिया, चौहाटा रामपुर, पिडारी में सभा करते मैनाटाड़ पहुचा।

जहाँ सभा को संबोधित करते हुए आरवाईए जिला अध्यक्ष फरहान राजा ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा एमएसपी और बिजली (संशोधन) विधेयक आदि पर किसानों को दिए गए लिखित आश्वासन का भी सम्मान नहीं किया गया है। सरकारी नीतियों के कारण किसानों पर कर्ज बढ़ गया है और किसानों से उनकी आय दोगुनी करने के सारे वायदे धरे के धरे रह गए हैं। पर्याप्त सिंचाई की कमी गैर-कार्यशील फसल बीमा पोजना सार्वजनिक वितरण पोजना को प्रत्यक्ष लाभ पोजना से बदलना किसानों की परेशानियों को बढ़ाता है। किसानों द्वारा उत्पादन स्तर को ऊंचा करने के योगदान के बावजूद कृषि अर्थव्यवस्था लगातार संकट का सामना कर रही है। आगे कहा कि संविधान के मूल मूल्यों अभिव्यक्ति की स्वतंतता, असहमति का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता, विविध संस्कृतियों, भाषाओं, कानून के समक्ष समानता और देश की संघीय संरचना आदि पर हमला बंद करने की मांग किया। अखिल भारतीय किसान महासभा जिला नेता इन्द्र देव कुशवाहा, वन अधिकार संघर्ष मोर्चा जिला अध्यक्ष नन्दकिशोर महतो, किसान नेता अब्दुल खैर आदि नेताओं ने जगह जगह सभा को संबोधित करते हुए कहा कि खेती से लेकर बाजार तक की अंतहीन समस्याओं के कारण आत्महत्या करने के लिए मजबूर किसानों को कॉर्पोरेट समर्थक तीन कृषि कानूनों से परेशान किया गया। मोदी सरकार के आशीर्वाद से बड़े कॉर्पोरेट्स ने सरकारी स्वामित्व वाले गोदामों के स्थान पर निजी गोदाम बनाने के लिए जमीन के बड़े हिस्से का अधिग्रहण करना शुरू कर दिया था। यह संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों का हद संघर्ष ही था, जो 13 महीने तक दिल्ली की सीमाओं पर बैठे रहे सभी बाधाओं कठोर मौसम यहां तक कि कोविद महामारी, उत्पीड़न और सबसे अपमानजनक दुर्व्यवहार का सामना करते हुए (लखीमपुर खीरी की घटना को हम कभी नहीं भूल सकते। आगे नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार चार लेबर कोड के माध्यम से कड़ी मेहनत से हासिल किए गए मजदूरों के सभी अधिकारों को खत्म किया जा रहा है। निश्चित अवधि के रोजगार कानून को वापस लेने और काम पर समानता व सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग किया।नेताओं ने कहा की सभी के लिए मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य पानी और स्वच्छता के अधिकार की गारंटी के साथ नई शिक्षा नीति 2020 को रद्द करने की मांग उठाया। नेताओं ने वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) कड़ाई से लागू करने, वन संरक्षण अधिनियम, 2023 और जैव-विविधता अधिनियम और नियमों में संशोधन वापस लेने, केंद्र सरकार वन में निवास करने वालों को सूचित किए बिना जंगल से निकासी की अनुमति प्रसाशन नहीं देने की भी मांग को उठाया,देते हैं। जोतने वाले को भूमि सुनिश्चित करने की मांग की। इस मौके पर सीताराम राम, अच्छे लाल राम, लक्ष्मण राम, मनोज बैठा, आदि नेताओं ने भी जगह जगह सभा को संबोधित करते हुए 27 नवम्बर को पटना राजभवन के समक्ष होने जा रहे किसान मजदूर महापड़ाव में हजारों की संख्या में भाग लेने का आह्वान किया।