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Post: कारसेवा में शहीद हुए थे बिहार के संजय

कारसेवा में शहीद हुए थे बिहार के संजय

दोनों बेटियां पहुंचीं अयोध्या

आज तृप्त हो गई पापा की आत्मा

न्यूज डेस्क ,पटना

दिवाकर पाण्डेय

अमिट लेख 

पटना(विशेष ब्यूरो)।अयोध्या में कर सेवा करते हुए 2 नवंबर 1990 को बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी संजय कुमार शहीद हो गए लगभग 5 हजार कारसेवकों का जत्था मंदिर की ओर बढ़ रहा था। हनुमानगढ़ी के पास पुलिस ने पीछे से गोली चला दी घटना में पांच लोग वीरगति को प्राप्त हुए उनमें एक मुजफ्फरपुर के कांटी प्रखंड के साइन गांव के निवासी संजय कुमार भी थे।अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर उनकी दो बेटियों स्मृति संजय और कृति संजय को निमंत्रण मिला है। दोनों अयोध्या पहुंच चुकी हैं। बेटियों ने एक स्वर में कहा कि आज रामलला नये राम मंदिर में विराजित होंगे इसके साथ ही पापा की आत्मा तृप्त हो जाएगी। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रणेता कामेश्वर चौपाल ने उन्हें खुद निमंत्रण दिया। अयोध्या से कीर्ति संजय ने बताया कि वहां रहने के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था दी गई है। दोनों बहनों को प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होना है। अपनी आंखों से प्राण प्रतिष्ठा का दृश्य देखना उनके लिए एक ऐसा सपना है जो पापा संजय कुमार ने देखा था। पापा तो राम के नाम पर न्योछावर हो गए अब प्राण प्रतिष्ठा हमारी आंखों से देख रहे होंगे। बड़ी बहन स्मृति संजय ने बताया कि राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ने के कारण संजय कुमार लगातार घर से बाहर रहते थे। तब छोटी बहन मात्र 45 दिनों की थी। कार सेवा में कब चले गए इसकी जानकारी किसी को नहीं मिली। बाद में उनकी मां रंभा देवी को पापा का पत्र मिला। उन्होंने लौटने का वादा किया था। पर वे कभी नहीं लौटे। उनके शहीद होने खबर मिली तो सबकुछ शांत हो गया। उनका अंतिम संस्कार भी अयोध्या में ही किया गया। मां रंभा देवी ने दोनों बेटियों को मेहनत से पाला और काबिल बनाया। आज वह भी नहीं है अब मां होती तो पापा और भी खुश होते।कांटी निवासी और भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष डॉक्टर अरविंद कुमार सिंह बताते हैं कि पूरा बिहार संजय की शहादत से गौरवांवित है। उनके नाम पर संजय स्मृति ट्रस्ट बनाया गया है। कार सेवा में संजय के साथी रहे अरविंद कुमार सिंहने कहा कि कांटी प्रखंड के पूर्व प्रमुख मुकेश कुमार पांडे के सहयोग से शाहिद संजय नमन स्थल पर उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है। आज रामलला के आगमन को लेकर पूरा देश उमंग से सराबोर है। संजय हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके सपनों को सच होता देख सभी प्रसन्न हैं।

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