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चनपटिया स्टार्टअप जोन का डंका देश विदेश में पर ज़िले की नल जल की समस्या का डंका सिर्फ कागज़ों तक सीमित
जिला प्रशासन की ओर से नल-जल जांच की विज्ञप्ति होती है जारी पर जांच अधिकारियों की रिपोर्ट का कोई अता पता तक नहीं आता सामने
नल जल से लाभान्वित जनता, जनप्रतिनिधि या प्रशासन ?
-अमिट लेख
बेतिया, (मोहन सिंह)। बिहार सरकार की सात निश्चय योजना में अतिमहत्वपूर्ण योजना नल जल की वास्तविक स्थिति कितनी धरातल पर है और उससे जनता कितना लाभान्वित हो रही हैं, यह अब बताने और समझने लायक भी नहीं रह पाया है। एक बार कौन कहे सैकड़ों बार नल जल की पोल मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक पर खुलता रहा है लेकिन इसके बावजूद भी सरकार अपनी दावो पर अटल है कि नल जल योजना से ही ग्रामीण क्षेत्रों की जनता अपनी प्यास बुझा रही है। ऐसे में बिहार सरकार और प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सिर्फ उपहास के ही पात्र बनते नजर आते हैं।
यूं तो बिहार के सभी जिलों के नल जल योजना के क्रियान्वयन की जांच हो जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। पर फिलहाल पश्चिम चम्पारण के चनपटिया प्रखंड के चुहड़ी पंचायत के वार्ड 7 और वार्ड 8 में नल जल योजना की राशि तो खर्च हुई और पाईप, टंकी सब लगा पर कुछ माह पानी आने के बाद पानी ही बंद हो गया। जगह जगह पर पाइपें कट फट गई जिससे पानी चालू करते ही सड़कों और दरवाजों पर जल जमाव होने लगता है। सबसे चौंकाने वाली बात तो वार्ड नंबर 7 में देखने को मिली जहाँ दो दो टंकी लगा हुआ दिखा पर टंकी फटा और गिरा हुआ देखा गया। वो भी कोई एक दो माह से नहीं बल्कि करीब एक साल पूर्व से ही फटा पड़ा हुआ है।
ऐसे में नीतीश सरकार के उन दावों की क्या सच्चाई होगी जिसमें निरंतर नल-जल मिलने का दावा किया जाता रहा है। जब पानी टंकी ही फटा हुआ है तो पानी सप्लाई की कल्पना सिर्फ स्वप्न आधारित ही हो सकता है। ऐसा नहीं है कि नीतीश सरकार की नल जल ड्रीम प्रोजेक्ट की पानी टंकी का ड्राम सिर्फ इसी पंचायत में ही भड़ाम है। जिले के कई पंचायतों में ऐसी स्थिति देखी जा सकती है। हालांकि इस दम तोड़ती प्रोजेक्ट के लिए पूर्व के जनप्रतिनिधियों का वर्तमान में चुनाव हार जाना भी मुख्य कारण बन गया है। साथ ही साथ तत्कालीन जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने सुविधा व लाभ को देखकर ऐसे जगहों पर टंकी, मोटर पम्प आदि का निर्माण कराया गया कि वर्तमान नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों को उस कार्य व स्थान से परहेज बना हुआ है। अब चूंकि नल जल योजना की राशि का उपयोग / दुरूपयोग पूर्व के जनप्रतिनिधियों ने किया तो नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने उसमें उत्पन्न समस्याओं पर अपना पल्ला झाड़ना ही उचित समझा। हालांकि नल जल के रख रखाव व मरम्मति की राशि भी आवंटित हो रखी है, फिर भी नल जल योजना दम तोड़ती नजर आ रही है।स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जिला से अधिकारी आते हैं और येन केन प्रकार से नल से जल गिराकर फोटो खींच कर अपनी सफलता की रिपोर्ट बनाकर पंचायत से लेकर प्रदेश तक ढिंढोरा भी पीट लेते हैं। तो फिर ऐसे में सूबे के मुखिया नीतीश कुमार क्यों ना कहें कि नल जल ही बिहार के लोगों की प्यास बुझा रहा है। हालांकि समय समय पर जिलाधिकारी कुंदन कुमार जिला के सभी प्रखंडों के नल-जल योजना की जांच के लिए टीम बनाते हैं और पंचायतों में भेजकर जांच भी करवाते हैं जिसकी प्रेस विज्ञप्ति भी जारी होती है। पर उस विज्ञप्ति में जो रिपोर्टें आती है वो सकारात्मक होती है यानि नल जल पूर्ण सफल दिखाया जाता है। उन रिपोर्टों को कभी सार्वजनिक नहीं किया जाता जिसमें नल जल की दम तोड़ती जांच रिपोर्ट होती है। ना ही वैसे नल जल की तस्वीरें जारी की जाती हैं जो टूट फूट और बंद हो गई हो। जिलाधिकारी नल जल की समीक्षा जिला सभागार में करते हैं और सख्त निर्देश भी देते हैं जो सभागार के अंदर तक ही रह जाती है, जिसका परिणाम यह होता है कि सालों साल से कई एक जगहों का नल जल पूर्ण रूप से बंद ही है। जांच के बाद चेतावनी और चेतावनी के बाद कई जनप्रतिनिधि पर प्राथमिकी भी दर्ज हुई पर नतीजा सिर्फ नल जल योजना को ही भुगतना पड़ा है जो बंद है वो आज भी बंद है और वो कब चालू होगा यह बताना भी शायद किसी के वश में नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों की जल नल योजना तो दूर की बात नगर में यह योजना कहां तक सफल हो पाता है यह समय के गर्त में है। नल-जल का लाभ नहीं मिलने पर ग्रामीणों में आक्रोश होता है पर चंद लोगों की उदासीनता पूरे योजना को प्रदेश का काला बदनुमा दाग बना कर रख दिया हैं। पूर्व व वर्तमान दोनों ही समयों के जनप्रतिनिधि प्रशासन को ठेंगा दिखा रहे हैं और प्रशासन अपनी नाकामयाबी को पर्दा डाल कर सफलता का श्रेय लेने के लिए जी तोड़ दिखावा में लगा है। कुल मिलाकर भले ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नल-जल की सफलता का श्रेय लेते रहें पर यह योजना केवल लूट खसोट और जनता के पैसों का बंदरबांट योजना ही है। क्योंकि लाखों के योजना आवंटन में जो पाइप और टंकी की गुणवत्ता होती है वो शायद ही कोई व्यक्ति अपने घरों पर वैसी गुणवत्तापूर्ण सामानों का प्रयोग करें। यह कहना भी अनुचित नहीं होगा कि नल-जल योजना बनी नहीं कि उस सरकारी कार्यों के लिए निम्न क्वालिटी का सामान कंपनियों ने सप्लाई करना शुरू कर दिया। अब आपको यह भी बताते चले कि यह चुहड़ी पंचायत उसी चनपटिया में आता है जो कि अब चनपटिया स्टार्टअप जोन के नाम से देश विदेश में ख्याति प्राप्त कर रहा है। जिसकी सफलता को लेकर बिहार के अन्य जिलों और देश के कई राज्यों के प्रतिनिधिमंडल आकर इस स्टार्टअप जोन का मुआयना करते हैं। इसी स्टार्टअप जोन को लेकर पश्चिम चम्पारण के जिलाधिकारी कुंदन कुमार को प्रधानमंत्री के द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ऐसे में पश्चिम चम्पारण जिला नल-जल के लिए भी राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड और सम्मानित होने की बाट जोह रहा है। अब यह देखना उचित होगा कि यह अवार्ड कब तक मिल पाता है । सनद रहे कि यह जनता है सब जानती है ।