हमारे जिला ब्यूरो नसीम खान “क्या” की रिपोर्ट :
सदानीरा के नाम से जाने जाने वाले नारायणी गंडक के किनारे बसा है बगहा शहर
न्यूज़ डेस्क, बगहा पुलिस जिला
नसीम खान”क्या”
– अमिट लेख
बगहा, (जिला ब्यूरो)। नेपाल के हिमालय से निकलने वाली नारायणी गंडक नदी भारत में बिहार राज्य के पश्चिमी चंपारण जिला अंतर्गत वाल्मीकिनगर से होकर गुजरते हुए बगहा से सोनपुर तक जाती है और गंगा में इसका मिलन हो जाता है। इसी नारायणी नदी को पूर्व में सदानीरा के नाम से जाना जाता था।
इस नदी किनारे बसे होने की वजह से इस तराई इलाके को ऋषि मुनियों के समय में सदानीरा के नाम से भी जाना जाता था। जिसका उल्लेख अज्ञेय और जगदीशचंद्र माथुर जैसे महान साहित्यकारों और लेखकों की किताबों में मिलता है।
जानकारों के मुताबिक नारायणी नदी एक ऐसी नदी थी जिसमें सालों भर पानी का प्रवाह रहता है लिहाजा नदी तट पर बसे इलाकों को सदनीरा के नाम से प्रसिद्धि मिली थी। कालांतर में वीटीआर के घने जंगल क्षेत्र से जुड़े इन इलाकों में बाघों की तादाद इतनी बढ़ी की इसे बगहा के नाम से जाने जाना लगा।
बतादें की वाल्मीकिनगर को पूर्व में भैंसालोटन के नाम से जाना जाता था क्योंकि इस जंगल में गौर यानी जंगली भैंस बहुत ज्यादा संख्या में थे। लेकिन महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि होने के कारण इसका भी नामकरण वाल्मीकिनगर हो गया। प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ शकील अहमद मोइन ने बताया की ऋषि मुनियों द्वारा सिंचित इस धरती से होकर नारायणी नदी गुजरती है जो सदानीरा के नाम से प्रसिद्ध है। साहित्यकारों द्वारा इस इलाके को सदनीरा क्षेत्र के नाम से ही प्रसिद्धि मिली है। अपने जमाने के प्रसिद्ध कवि,कथाकार, साहित्यकार और निबंधकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ ने वाल्मीकिनगर में दस दिवसीय साहित्य सम्मेलन 80 के दशक में कराया था। इसके बाद उन्होंने भी सदानीरा नाम से पुस्तक लिखा। लेकिन इस वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के क्षेत्र में बाघ काफी तादाद में थे इसलिए इस इलाके का नामकरण बगहा हुआ। बतातें चलें कि एक और नामचीन साहित्यकार जगदीश चंद्र माथुर ने भी “ओ सदानीरा” नाम से एक निबंध लिखा है जो की उनके पश्चिमी चंपारण के यात्रा वृतांत पर आधारित है। उन्होंने भी इस इलाके की खूबसूरती बयान करते हुए सदानीरा का जिक्र किया है। राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र दुबे बताते हैं की बगहा की धरती काफी ऐतिहासिक है। नारायणी नदी के तट पर बसा यह इलाका ऋषि मुनियों की धरती रही है। इस इलाके को सदानीरा कहने का तात्पर्य नारायणी नदी से ही जुड़ा हुआ है। क्योंकि नारायणी नदी में हमेशा पानी का प्रवाह रहता है। बाघों की जनसंख्या ज्यादा होने के कारण मूल नाम बगहा ही है। सदानीरा शब्द का उपयोग साहित्यकारों और ऋषि मुनियों द्वारा होता आया है।