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Post: माघ मौनी अमावस्या मेले में लगा स्टॉल जीविका दीदियों द्वारा तैयार मछली का आचार आकर्षण का केंद्र बना

माघ मौनी अमावस्या मेले में लगा स्टॉल जीविका दीदियों द्वारा तैयार मछली का आचार आकर्षण का केंद्र बना

हमारे जिला ब्यूरो नसीम खान “क्या” की रिपोर्ट :

जीविका से जुड़ी दर्जनों महिलाएं व्यवसाय कर रही हैं

न्यूज़ डेस्क, बगहा पुलिस जिला 

नसीम खान”क्या”

– अमिट लेख
बगहा, (जिला ब्यूरो)। बिहार का एक ऐसा आदिवासी बहुल गांव जहां की नारी शक्ति आपदा में अवसर की तलाश कर स्वावलंबी बनने की राह पर चल पड़ी हैं। दरअसल,जीविका से जुड़ी दर्जनों महिलाएं विभिन्न प्रजाति की मछलियों का अचार बनाकर अपना व्यवसाय कर रही हैं और इससे उनको अच्छी खासी आमदनी हो रही है।

फोटो : नसीम खान “क्या”

बतादें, बगहा अनुमंडल क्षेत्र के एक छोटे से गांव मझौआ में महिलाएं बिना किसी प्लांट के हैंड मेड ‘फिश पिकल’ बना रहीं हैं । मझौआ गांव के रामजी सिंह महतो ने कोरोना महामारी के पूर्व उत्तराखंड के पंत नगर से मछली का अचार बनाने का प्रशिक्षण लिया था। 21 दिनों तक प्रशिक्षण लेने के बाद उन्होंने अपने गांव का रुख कर लिया। इसी बीच वैश्विक महामारी कोरोना ने अपना विनाशकारी रूप ले लिया। जब पूरा विश्व कोरोना संकट से जूझ रहा था,तब मछलियों की बिक्री काफी कम हो गई। लिहाजा राम सिंह महतो ने आपदा में अवसर तलाश लिया और अपने घर के अगल बगल की दर्जनों महिलाओं को प्रशिक्षित कर वे मछली का अचार बनाने लगे।
गंडक नदी भी इनके लिए वरदान साबित हुई, क्योंकि गंडक नदी में कई प्रजाति की मछलियां मिलती हैं।इन मछलियों का अचार काफी ऊंची कीमत पर बिकता है। बतातें चलें कि, कोरोना संकट के बाद जब सब कुछ सामान्य होने लगा तो इन महिलाओं ने अपने बनाए अचार का मेला या अन्य फेयर में स्टॉल लगाना शुरू किया। आज इनका स्थाई स्टॉल थरुहट के हरनाटांड़ में है। इसके अलावा जीविका की ओर से लगाए जाने वाली प्रदर्शनी में भी इनका स्टॉल लगता है,साथ ही दिल्ली जैसे शहरों में भी विशेष मौकों पर ये अपना स्टॉल लगाते हैं।

1200 से 1000 रुपये किलो बिकता है अचार

वहीं रामसिंह महतो का कहना है कि रोहू, कतला, चेपुआ, गरई और अन्य किस्म की मछलियों का अचार बनाया जाता है। इसमें रोहू और चेपुआ के अचार की कीमत क्रमश 1200 और 1000 रुपए प्रति किलो है। जबकि कुछ मछलियों के अचार की कीमत 500 से 900 रुपए प्रतिकिलो तक है।मछलियों के इस अचार की बिक्री स्टॉल लगाकर तो की ही जाती है,कई राज्यों खासकर यूपी और उत्तराखंड से ऑर्डर भी मिलते हैं। लिहाजा इसकी बिक्री और डिमांड मार्केट में काफी ज्यादा है। राम सिंह का आगे कहना है कि सरकार कुछ मदद करे जैसे मार्केटिंग,बाजार और आर्थिक सहयोग मुहैया कराए तो यह व्यवसाय बहुत आगे निकल सकता है ।

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