



हमारे जनपद ब्यूरो तैयब अली चिश्ती की रिपोर्ट :
शब ए बरात मुस्लिम समुदाय के लिए इबादत व फ़ज़ीलतो व रहमतों और मगफिरत की रात मानी जाती है
न्यूज़ डेस्क, जनपद महराजगंज
तैयब अली चिश्ती
– अमिट लेख
महराजगंज, (ब्यूरो रिपोर्ट)। शब ए बरात के त्योहार के दिन पड़ने वाली रात की इस्लाम मे काफी अहमियत है शब ए बरात मुस्लिम समुदाय के लिए इबादत व फ़ज़ीलतो व रहमतों और मगफिरत की रात मानी जाती है।

इस लिये तमाम मुस्लिम समुदाय के लोग इस रात नमाज और कुरान पढ़ते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं शब ए बारात इस्लाम में अहमियत फजीलत शबे बरात इबादत और मगफेरत की रात है मुस्लिम समुदाय के तमाम त्योहारों में से एक त्यौहार शबे बारात है इस्लाम में इस त्यौहार की काफी अहमियत है शबे बरात की त्यौहार के दिन पढ़ने वाली रात की काफी अहमियत है शबे बरात मुसलमान समुदाय के लिए इबादत फजीलत और मकसद की रात मानी जाती है इसलिए तमाम मुस्लिम समुदाय के लोग रात भर इबादत करते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं ग्राम सभा बहुआर मिश्रौलिया झूलनीपुर गोसाईपुर रामनगर सहित हर जगह मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने अपने कब्रिस्तानो को रौशनी में रख कर अपने पूर्वजों के लिए दुआयें मागी। मदरसा रिजविया अनवारुल उलूम के प्रिंसिपल परवेज आलम अजीजी व मौलाना अख्तर हुसैन मिस्बाही ने बताया कि आमतौर पर लोग शबे बरात कहते हैं लेकिन सही मायने में इस शब ए बारात कहा जाता है इनमें पहला शब्द शब का मेन रात है दूसरा बारात है जो दो शब्दों से मिलकर बना है यहां बरा का मतलब बरी किए जाने से अता किए जाने से यानी यह जहन्नुम से बरी किए जाने या छुटकारे की रात होती है। वही मौलाना अरशद ने बताया कि शबे बरात का त्यौहार से ही रमजान के पाक महीने का आगाज होती है यह रात सब रातों से अफजल रात होती है। मिलाद के आखिर में मौलाना शमीम मिस्बाही ने बारगाहे खुदा वंदी में हाथ उठा कर मुल्क की सलामती के लिए दुआएं मागी। इस मौके पर मौलाना परवेज आलम अजीजी, मौलाना अख्तर हुसैन मिस्बाही, मौलाना शमीम मिस्बाही, मुफ्ती अरशद हुसैन, मौलाना शम्स आलम, हाफिज फिरोज आलम, सहित आदि लोग मौजूद रहे।