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Post: इंजीनियरिंग कॉलेज में विरोध प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थियों पर लाठीचार्ज

इंजीनियरिंग कॉलेज में विरोध प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थियों पर लाठीचार्ज

हमारे विशेष ब्यूरो बिहार दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट :

सेकेंड सेमेस्टर के रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थियों पर शुक्रवार को पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया

दो छात्र को पुलिस ने लिया हिरासत में

न्यूज डेस्क, राजधानी मोतिहारी

दिवाकर पाण्डेय

– अमिट लेख
मोतिहारी,(विशेष ब्यूरो)।।कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (एमसीई) में सेकेंड सेमेस्टर के रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थियों पर शुक्रवार को पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया। इस दौरान करीब आधा दर्जन विद्यार्थियों को चोटें आईं। उनका सदर अस्पताल में उपचार कराया गया। वहीं, पुलिस ने दो छात्रों को हिरासत में भी लिया है। दरअसल, बिहार इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय द्वारा जारी सेकेंड सेमेस्टर के परीक्षा परिणाम को दोषपूर्ण बताते हुए एमसीई के विद्यार्थी गुरुवार से ही धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके द्वारा प्रशासनिक एवं अकादमिक भवनों में तालांबदी कर सभी कार्यों को बाधित कर दिया गया था। उनके विरोध प्रदर्शन का क्रम शुक्रवार को भी जारी रहा। उनके द्वारा मुख्य द्वार में भी तालाबंदी कर दी गई। इस संबंध में प्राचार्य प्रो. अभय कुमार झा ने बताया कि कैंपस में बन रही असहज स्थिति को देखते हुए इसकी जानकारी पुलिस को देनी पड़ी। प्राचार्य की सूचना पर मोतिहारी सदर की सीओ संध्या कुमारी एवं मुफस्सिल थाना की पुलिस मौके पर पहुंच गई और प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थियों को समझाने का प्रयास किया। मुफस्सिल थानाध्यक्ष मनीष कुमार ने बताया कि मुख्य द्वार नहीं खोले जाने के कारण ताला तोड़कर अंदर जाना पड़ा। इस बात पर उग्र व्यवहार करते हुए विद्यार्थी पुलिस से भी उलझने लगे। अंतत: उन्हें नियंत्रित करने के लिए हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। अब स्थिति पूरी तरह नियंत्रित एवं सामान्य है। दो छात्रों को हिरासत में भी लिया गया है। इधर, जख्मी छात्रा स्वीटी कुमारी, माघुरी कुमारी, छात्र अनुज कुमार, शंभू कुमार, पवन कुमार एवं सतीश कुमार का इलाज सदर अस्पताल में चल रहा है। छात्रों ने प्राचार्य पर लाठीचार्ज करवाने का आरोप लगाया है। जबकि प्राचार्य का कहना है कि विद्यार्थियों द्वारा तालाबंदी कर पूरी व्यवस्था को ठप किए जाने के बाद पुलिस को सूचित करना पड़ा। पहले उन्हें समझाने की हर संभव कोशिश की गई। उन्हें बताया गया कि इस समस्या का निदान विश्वविद्यालय स्तर पर ही होना है। इसके लिए वहां बैठक हो रही है। बावजूद इसके विद्यार्थी मानने को तैयार नहीं थे।

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