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Post: लोकसभा चुनाव में वोट के अधिकार पर भारी पड़ रहा रोजी रोटी

लोकसभा चुनाव में वोट के अधिकार पर भारी पड़ रहा रोजी रोटी

हजारों लोग रोज कर रहे पलायन

न्यूज डेस्क,पटना

दिवाकर पाण्डेय

पटना(विशेष ब्यूरो)। लोकसभा चुनाव की तिथि करीब आते ही चुनावी सरगर्मी भी तेज हो रही है। प्रत्याशी वोटरों को लुभाने और निर्वाचन आयोग मतदान प्रतिशत बढ़ाने की जी-तोड़ कोशिशों में लगा है। इधर, बिहार के हजारों कामगार। रोज ट्रेनों में भर-भर कर दूसरे शहर जा रहे हैं। इनमें कई लोगों को चुनाव की तारीखों का पता भी नहीं है। ये चुनावी समीकरण समझ रहे हैं कि किसे वोट देना चाहिए। पर रोजी-रोटी के लिए पलायन की विवशता ऐसी है कि वे मतदाता नहीं, बल्कि ट्रेनों के जनरल डब्बे की केवल भीड़ बनकर रह गए हैं। पटना व दानापुर से खुलने वाली ट्रेनों के अनारक्षित बोगियों के यात्रियों से बात की। इनमें 70 प्रतिशत को मतदान में दिलचस्पी तो है पर रोटी-रोजगार के फेरे में वे बेबस हैं। एक आंकड़े के मुताबकि, एक हफ्ते में करीब 30 हजार कामगार पटना से दूसरे शहर जा चुके हैं। कामगारों ने बताया कि दरभंगा, सीतामढ़ी, मधुबनी व सीवान से भी कामगार बाहर जा रहे हैं जिनके चुनाव में लौटने की उम्मीद कम है। कुछ मजदूर सोन के किनारे बसे गांवों टोलों के भी मिले। राज्य के सभी जिलों से पलायन करने वालों की संख्या लाखों में है। जनसाधारण के कोच में सफर कर रहे कामगारों में अधिकतर पूर्णिया, खगड़िया, मानसी, मधेपुरा, कटिहार व किशनगंज के थे। इनमें कई युवाओं ने कहा कि उन्होंने आजतक वोट ही नहीं किया। अक्सर वे अपने काम पर रहते हैं। कोई भटिंडा की मंडी में जा रहा है तो कोई फरीदाबाद में। कोई गेहूं के लदान के काम से जुड़ा है तो कोई बैग बनाने की फैक्ट्री से। इसी से घर परिवार चलता है। होली में आए थे अब कितना दिन बैठे रहें। पूर्णिया के प्रेम कुमार पासवान ने बताया कि वे अभी काम पर जा रहे हैं। कोशिश है कि चुनाव के दौरान लौट जाएं लेकिन आने और जाने में लगभग 3 हजार रुपये का किराया लगता है। जब उन्हें पूर्णिया में चुनाव की तारीख 26 अप्रैल की याद दिलाई गई तो कहा कि तब कहां से आ पाएंगे सर। लेकिन घर पर बता दिए हैं कि वोट किसको करना है। मधेपुरा के बाबूजन कुमार ने बताया कि उनका और उनके कई साथियों का वोटर आईडी कार्ड ही नहीं बना है। ऐसे में रहके ही क्या कर लेंगे। मधेपुरा के भगवानपुर के बृजेश कुमार ने कहा कि बाहर जाएंगे तो दो पैसा कमा लेंगे। पंजाब जा रहे बचन ने बताया कि वे 22 साल के हैं लेकिन आजतक वोट नहीं दे सके। वोटर लिस्ट में नाम न रहने से घर के लोग भी कहते हैं कि बाहर जाओगे तो कुछ पैसा कमा लोगे। वोट देना जरूरी है न, इस सवाल पर इस युवा कामगार ने कहा कि इससे क्या हो जाएगा। मजदूर है, मजदूर ही रहेंगे। आप नेता को कहिए कि नौकरी दे। मधेपुरा के विनोद यादव ने कहा कि वे वोट देने आएंगे। पटना और दानापुर से जाने वाली दानापुर सिकंदराबाद, दानापुर पुणे व राजेन्द्र नगर मुंबई व दक्षिण बिहार जाने वाली ट्रेनों की अनारक्षित बोगियों में जाने वाले 50 फीसदी यात्री कामगार ही हैं। इनके चुनाव में लौटने के आसार कम है। दानापुर सिकंदाराबाद से सफर रहे रहे यात्री राकेश ने कहा कि होली के आसपास चुनाव रहता तो वोट देने रूक जाते। नारा से पेट नहीं भरता है न। संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस व अन्य नियमित ट्रेनों की अनारक्षित बोगियों में चुनाव की चर्चा भी कम है।

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