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Post: बिहार के शिक्षको के वेतन कटने वाला सबसे बड़ा जिला बना औरंगाबाद

बिहार के शिक्षको के वेतन कटने वाला सबसे बड़ा जिला बना औरंगाबाद

विशेष ब्यूरो बिहार दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट :

दस माह में 27हजार शिक्षको का कटा वेतन

न्यूज डेस्क, राजधानी पटना

दिवाकर पाण्डेय

– अमिट लेख
पटना, (विशेष रिपोर्ट)। बिहार के चर्चित आईएएस केके पाठक के शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बनने के बाद से शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है। केके पाठक की सख्ती के चलते राज्यभर के सरकारी स्कूलों में लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों का वेतन काटकर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है। स्कूलों के निरीक्षण के दौरान अब तक बिना पूर्व सूचना के गायब रहने वाले 32,828 शिक्षकों के वेतन कटौती की अनुशंसा हुई है। बीते 10 महीनों के भीतर राज्य के लगभग 27 हजार शिक्षकों का वेतन काटा गया है। वेतन कटौती में सर्वाधिक संख्या 3884 दरभंगा जिले के शिक्षकों की है। दूसरे स्थान पर नालंदा है, जहां के तीन हजार शिक्षकों की वेतन कटौती हुई है। हालांकि, वेतन कटौती की अनुशंसा सबसे अधिक नालंदा के 3886 शिक्षकों के लिए की गई। सबसे कम शिवहर जिले के 57 शिक्षकों के वेतन कटे हैं। शिक्षा विभाग को जिलों से प्राप्त 16 मई तक के ये आंकड़े हैं।दरअसल, एसीएस केके पाठक के आदेश के बाद पिछले साल सरकारी स्कूलों में औचक निरीक्षण का सिलसिला शुरू हुआ। निरीक्षण में गायब मिलने वाले शिक्षकों का एक दिन का वेतन काटा जाता है। स्कूलों में निरीक्षण करने गए पदाधिकारी इसकी रिपोर्ट जिले को देते हैं। 1 जुलाई, 2023 से नियमित स्कूलों का निरीक्षण किया जा रहा है। दरभंगा और नालंदा के बाद सबसे अधिक 1677 शिक्षकों का वेतन सारण जिले में कटा है। औरंगाबाद में 1332, भागलपुर के 1132, नवादा के 1048, सुपौल के 994, पूर्वी चंपारण के 921, अररिया के 918, मधुबनी के 888, समस्तीपुर में 775, बेगूसराय में 756 तथा सीतामढ़ी के 715 वेतन कटा है।

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