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रामनवमी मेला की आस्था पर अश्लीलता का संगम कही से उचित नहीं : मुख्य पार्षद

जिला ब्यूरो संतोष कुमार की रिपोर्ट :

मेलाग्राउंड के रामनवमी मेला में थियेटर लगाने के निर्णय का मुख्य पार्षद ने किया विरोध, डीएम को लिखा पत्र 

न्यूज़ डेस्क, सुपौल जिला

संतोष कुमार

– अमिट लेख

सुपौल, (ब्यूरो डेस्क)। जिले के त्रिवेणीगंज नगर परिषद क्षेत्र के मेला ग्राउंड के रामनवमी मेला में थियेटर लगाने के निर्णय पर मुख्य पार्षद संगीता कुमारी यादव ने डीएम को पत्र लिखकर कहा कि रामनवमी मेला की आस्था पर अश्लीलता का संगम कही से उचित नहीं है।

फोटो : संतोष कुमार

उन्होंने कहा मुझे जानकारी मिली है और देखा भी जा रहा है। रामनवमी मेला में शोभा सम्राट लगाया जा रहा है। जिसके चलते मुझे समाज के सम्मानित व्यक्तियों के साथ-साथ मेला परिसर के इर्द-गिर्द शिक्षण संस्थान में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं एवं उनके अभिभावक व सम्मानित शिक्षकों के द्वारा भी शिकायत की गई है कि अगर रामनवमी मेला में थियेटर लगने से पूर्व के भांति अश्लील व फूहड़ प्रोग्राम होता है तो समाज पर इसका बुरा असर पड़ेगा। अगर संवेदक के द्वारा थियेटर प्रारंभ की जाती है तो इस पर लोगों की आस्था पर सीधा चोट पहुंचेगा। क्योकि बगल में अजगैबी काली मंदिर व भव्य शिव मंदिर स्थापित है। मेला परिसर के इर्द-गिर्द कई शिक्षण संस्थान, महाविद्यालय है। मेला में थियेटर लगने से विधि व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है। क्योंकि इस तरह की घटनाएं सोनपुर मेला में देखा गया है। इससे हमलोगों को सबक लेने की जरूरत है। लोगों की आस्था पर अश्लीलता की संगम कही से भी उचित नहीं है। गौरतलब हो कि महाभारत काल में भी मत्स्य नरेश राजा विराट भी अपने राज्य में ब्रम्हस्थान में बड़ा भव्य मेला लगते थे। कला कौशल का प्रदर्शन सामाजिक ताने-बाने को अक्षुण्ण रखने का प्रयास आपसी मिलन-जुलन, उत्सवीय जीवन की नींव पर अवस्थित थी मेले की अवधारणा । पारंपरिक, सांस्कृतिक,समाजिक कला, कौशल की प्रदर्शनी और बच्चों में बैकुंठीय भाव को आवेशित करना मेला का ध्येय और मकसद होता था। आज के परिवेश में मेले की व्यवसायीकरण और लफंगों के लिए पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हुए है। जिसमें डिजिटिलाइजेशन की अहम भूमिका है। त्रिवेणीगंज में रामनवमी मेला का बर्षो से किए जाते है लेकिन वर्तमान में लफंगों, नशेड़ियों के कारण अब इनका स्वरूप विलीन होते जा रहा है।

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