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पूर्णिया : रूपौली में निर्दलीय शंकर सिंह ने जदयू के बीमा भारती को दिया पटखनी

विशेष ब्यूरो बिहार दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट : 

बीमा भारती, पांच बार रह चुकी थी सांसद

तीसरे स्थान पर रहीं बीमा भारती को मात्र 30108 लोगों ने अपना मत दिया

न्यूज डेस्क, राजधानी पटना

दिवाकर पाण्डेय

– अमिट लेख
पटना, (ए.एल.न्यूज़)। पूर्णिया की रुपौली विधानसभा सीट पर 10 जुलाई को संपन्न उपचुनाव में चौंकाने वाला रिजल्ट सामने आया है। निर्दलीय शंकर सिंह को जनता ने रुपौली का रहनुमा बना दिया है। उन्होंने जदयू के कलाधर मंडल को 8 हजार 211 मतों से पराजित कर दिया है। इसके साथ ही पांच बार की विधायक बीमा भारती की भी करारी हार हुई है। नीतीश कुमार के आशीर्वाद पर चुनाव लड़ रहे कलाधर मंडल दूसरे स्थान पर रहे।

शंकर सिंह को कुल 67779 वोट मिले जबकि कलाधर मंडल को 59568 मत हासिल हुए। तीसरे स्थान पर रहीं बीमा भारती को मात्र 30108 लोगों ने अपना मत दिया। पूर्णिया लोकसभा की तरह रुपौली विधानसभा में जनता ने निर्दलीय को जिताकर सभी दलों को आइना दिखाया है। यह सीट बीमा भारती के इस्तीफे से खाली हुई थी। वह 2005 से इस सीट पर काबिज थीं। उन्होंने पूर्णिया से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए रुपौली विधायक पद से त्यागपत्र दे दिया तथा राजद के टिकट पर पप्पू यादव और जेडीयू के संतोष कुशवाहा के खिलाफ मैदान में उतर गईं। हालांकि लोकसभा चुनाव में निर्दलीय पप्पू यादव ने जीत दर्ज किया और बीमा भारती बुरी तरह से चुनाव हार गईं। वे जमानत बचाने में भी कामयाब नहीं हुईं। रुपौली सीट पर निर्दलीय उतरे शंकर सिंह ने 2020 में भी भाग्य आजमाया था। तब उन्हें चिराग पासवान नें लोजपा से टिकट दिया था। लेकिन जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं बीमा भारती ने उन्हें हरा दिया था। उससे पहले भी शंकर सिंह कई बार चुनाव लड़े। कहा जा रहा है कि उपचुनाव में लोजपा का टिकट नहीं मिलने पर उनके साथ क्षेत्र के जनता की सहानुभुति जुड़ गई। शंकर सिंह 2005 में भी विधायक बने थे। लेकिन करीब 8 महीने बाद फिर से चुनाव हुए जिसमें उनकी हार हो गई। बीमा भारती ने उन्हें पराजित कर दिया था और तबसे बीमा भारती लगातार विधायक बनी रहीं और शंकर सिंह चुनाव लड़कर हारते रहे। उपचुनाव में के लिए उन्होंने पूरी तैयारी कर ली थी। लेकिन लोजपा से टिकट नहीं मिला तो पार्टी छोड़ दी और निर्दलीय लड़ गए। शंकर सिंह ने यह चुनाव अपने दम पर लड़ा और जीता है। उनके खिलाफ एनडीए और महागठबंधन के बड़े बड़े नेताओं ने चुनाव प्रचार किया। नीतीश कुमार के साथ उनके कई मंत्रियों और एनडीए के नेताओं ने कलाधर मंडल के लिए रुपौली में पसीना बहाया। यहां तक कि जिस लोजपा में वे लंबे समय तक रहे उसके नेता चिराग पासवान ने भी शंकर सिंह के खिलाफ वोट मांगा। शंकर सिंह के आगे जनता ने राजद के कास्ट मॉडल और नीतीश के विकास मॉडल को नकार दिया। विधायक बनने के बाद उन्होंने कहा कि कई चुनावों में हार का सामना करने के बाद भी लगातार जनता के बीच बना रहा। बगैर किसी शिकायत के जनता भगवान के सुख दुख में शामिल होता रहा। उन्होंने कहा कि शुरू से ही उन्हें अपनी जीत की उम्मीद थी जिसे जनता ने पूरा कर दिया। भविष्य की योजना को लेकर उन्होंने कहा कि क्षेत्र की जनता के साथ विचार विमर्श करके रणनीति तय करेंगे। कयास लगाए जा रहे हैं कि शंकर सिंह एनडीए फोल्डर के किसी दल में शामिल हो सकते हैं। जानकार बताते हैं लोजपा उनकी पहली पसंद है। ऐसा बयान नीतीश सरकार के मंत्री मदन सहनी ने भी दिया है। उन्होंने कहा कि शंकर सिंह ने एनडीए में शाामिल होने के नाम पर जनता से वोट मांगा। उन्हें शंकर सिंह की जीत का अंदाजा पहले से था।

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