विशेष ब्यूरो मोतिहारी से सुशांत सिंह की रिपोर्ट :
सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने दुनियां के छोटे पत्तों पर पहाड़ का सीना चीरकर सड़क बना देने वाले माउंटेन मैन दशरथ मांझी की संघर्ष की दास्तां उकेर दी श्रद्धांजलि
न्यूज़ डेस्क, जिला पूर्वी चम्पारण
सुशांत सिंह
– अमिट लेख
मोतिहारी, (ए.एल.न्यूज़)। कहा गया है मेहनत के सामने किस्मत का कोई औकात नहीं है, क्योंकि किस्मत के बाजार में भी मेहनत का सिक्का बोलती हैं। इसका चरितार्थ करते बिहार के गया में पहाड़ का सीना चीरकर सड़क बना देने वाले माउंटेन मैन के नाम से प्रसिद्ध दशरथ मांझी की आज 17 अगस्त को देशभर में पुण्यतिथि मनाई जा रही हैं।
इधर बिहार के अंतर्राष्ट्रीय सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ने एक बार फिर से अपनी कलाकृति से बेमिसाल अंदाज में पर्वत पुरुष दशरथ मांझी को श्रद्धांजलि दी है। सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने शनिवार को अपनी 5 घंटों के कठीन मेहनत के बाद दुनियां के सबसे छोटी 5 सेमी. वाली पीपल के हरे पत्तों पर अपनी कलाकृति में पर्वत पुरुष दशरथ मांझी के जीवन संघर्ष का दास्तां उकेर हैं। और अपनी कलाकृति के माध्यम से उन्हें भावपूर्ण याद करते इनकी संघर्ष का सन्देश दिया हैं। मधुरेंद्र ने मिडिया को बताया कि वर्ष 1959 में दशरथ मांझी के पत्नी फाल्गुनी देवी की मौत पहाड़ से पैर फिसल जाने के क्रम में हो गया था। पत्नी के प्रेम के संकल्प और समाज के हित में उन्होंने एक दृढ़ निश्चय लिया कि अपने गांव और समाज की मदद के लिए गेेहलौर घाटी के पहाड़ को काटकर रास्ता बनाएंगे और इस रास्ते को अस्पताल से जोड़ेंगें। अपनी पत्नी के खातिर बड़े पहाड़ का सीना छेनी और हथौड़ी के दम पर चीर डाला था। बस जुनून था कि सड़क बनानी है और 22 वर्षों के कठिन तपस्या और बुलंद हौसलों के दम पर बना हीं डाला। ऐसे महान आत्मा के पुण्यतिथी पर शत नमन करते हैं।