सरकारी रवैया उदासीन, कब डालेंगे उप मुख्यमंत्री इन पर नजर
स्वास्थ्य कार्यकर्ता को प्रशिक्षण देकर तैयार करने वाले प्रशिक्षकों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है
हमारे जिला ब्यूरो निरंजन कुमार की रिपोर्ट :
– अमिट लेख
मुंगेर की डायरी। स्वास्थ्य कार्यकर्ता विगत 5 वर्षों से देश स्तरीय आंदोलन हड़ताल करने के पश्चात सरकार की नजर में आ गए हालांकि आशा के बदौलत बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर स्थिति में है लेकिन विडंबना ही है स्वास्थ्य कार्यकर्ता को प्रशिक्षण देकर तैयार करने वाले प्रशिक्षकों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
यहां तक कि अच्छे दिन की आस में प्रशिक्षक अलविदा हो रहे हैं। उनकी मौत हो गई है। मालूम हो कि विगत वर्ष 2007 में मैट्रिक, आठवां शिक्षा स्तर तक की आशा की बहाली स्वास्थ्य विभाग में हुआ। जिससे विभिन्न मॉड्यूल का बिहार के लगभग 185 प्रशिक्षक प्रशिक्षण देकर तैयार किए आज आशा की बेहतर कार्यप्रणाली से कोरोनावायरस जैसे विकट संकट की घड़ी भी कट गई। लेकिन इन प्रशिक्षकों के प्रति सरकारी रवैया उदासीन रहा। परिणाम लगभग 3 प्रशिक्षकों की मौत इसी आस में हो गई कि शायद विभाग की दया दृष्टि उन पर पड़े। अन्य प्रशिक्षकों की स्थिति आए दिन बद से बदतर हो रही है इतना ही नहीं स्वास्थ्य विभाग के राज्य स्वास्थ्य समिति के द्वारा संचालित गैर संचारी रोग से संबंधित प्रशिक्षण की रणनीति को भी बदल दिया गया। जिसके कारण प्रशिक्षकों की स्थिति और खराब होती जाएगी। हालांकि प्रशिक्षकों ने संयुक्त रूप से राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक को आवेदन देकर गुहार लगाया है कि गैर संचारी रोग संबंधित प्रशिक्षण की रणनीति में बदलाव करें ताकि प्रशिक्षक को समस्या का सामना ना करना पड़े। मुंगेर के प्रशिक्षक राजीव कुमार सहित बिहार के अन्य जिलों के प्रशिक्षक अजय कुमार वर्मा, प्रतिमा कुमारी, दीपक कुमार ,पंकज कुमार, मुकेश कुमार, निरंजन कुमार, चंद्रमणि तिवारी, नीलम वर्मा, रामाकांत कुमार, निलेश कुमार अखिलेश उपाध्याय, संजीव कुमार, चंद्रकांत भारती, निलेश कुमार, बृजेश वर्मा, आशीष कुमार, पंकज कुमार सिंह, सुरेंद्र कुमार सहित सैकड़ों प्रशिक्षकों ने सरकार से गुहार लगाया है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित अन्य कार्यक्रमों में इन्हें समावेशित कर लिया जाए। ताकि, आर्थिक संकट से छुटकारा मिल सके। लगभग 12 वर्षों तक उन्होंने विभाग को सेवा प्रदान किया है। राज्य स्वास्थ्य समिति स्वास्थ्य संबंधित अन्य कार्य एजेंसियों के माध्यम पूरा किए जाते हैं जबकि मात्र 185 प्रशिक्षक पूरे बिहार में है जो कि प्रशिक्षित है स्किल्ड है इनके सहयोग से स्वास्थ्य विभाग के कार्य और बेहतर हो सकता है। बताते चलें कि तीन सालों के अंदर नवादा के प्रशिक्षक अमोद कुमार, आरा के बृज बिहारी पांडे बांका के सुरेंद्र गुप्ता की मौत हो चुकी है सरकार को इस संवेदनशील मामले पर देने की जरूरत है। क्योंकि, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस मामले पर अत्याधिक गंभीर है।