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Post: सीमावर्ती नेपाल क्षेत्रो में बे रोक-टोक धड़ल्ले से चलाई जा रही चिरान मशीने और फल फूल रहा फर्नीचर उद्योग

सीमावर्ती नेपाल क्षेत्रो में बे रोक-टोक धड़ल्ले से चलाई जा रही चिरान मशीने और फल फूल रहा फर्नीचर उद्योग

जिला ब्यूरो नसीम खान “क्या” की रिपोर्ट :

“अंतर्राष्ट्रीय तस्करों की बदौलत सीमावर्ती नेपाल क्षेत्रो में चल रहा है चिरान मशीनें और फर्नीचर के कारखाने”

न्यूज़ डेस्क, बगहा पुलिस जिला

नसीम खान “क्या”

– अमिट लेख

बगहा, (ए.एल.न्यूज़)। इंडो नेपाल सीमावर्ती नेपाल स्थित क्षेत्रों में भारतीय क्षेत्र स्थित वन संपदा पर आधारित कई कारखाने फलफूल रहे हैं। बेंत और लकड़ी से बनने वाले फर्नीचर के कारखाने इन मे प्रमुख है।

विटीआर के जंगली लकडियों के बूते सीमावर्ती नेपाल क्षेत्र में चल रहा फर्नीचर उद्योग

बतादें की इंडो नेपाल के इस सीमावर्ती क्षेत्र में दोनों देशों को नारायणी गंडक नदी विभाजित करते हुए बहती है। इस तरफ भारतीय क्षेत्र है तो नदी के दूसरी तरफ नेपाल का क्षेत्र पड़ता है। गंडक नदी के किनारे बसने वाले गांव कुख्यात रतनगंज, रामनगर, नरसई, मरचहवा, पत्थर कलां, कुड़िया, रानीनगर, बनकटी आदि गांव सुस्ता गावीस वार्ड नम्बर 7 में पड़ता है। इन इलाकों में एक बहुत बड़ी आबादी बसती है। इस क्षेत्र में जंगल नहीं है इसके बावजूद एक दर्जन से ऊपर चिरान मशीने,बेंत व लकड़ी से निर्मित होने वाले फर्नीचर के कारखाने धरल्ले से चल रहे हैं। ये सभी कारखाने लघु उधोग का रूप ले चुके हैं। जो भारतीय क्षेत्र स्थित जंगल से पेड़ो का पातन कर नदी के रास्ते नाव के सहारे तस्करी कर ले जाया जाता है जिसमे, खैर, पानन, सतसाल, सखुआ, गमहार और बाघो का आशियाना बेंत आदि बेशकीमती लकड़ियां के पेड़ों की कटाई कर तस्करी की जाती है। हांलाकि वनकर्मियों की गश्ती टीम बराबर गश्त लगाते रहती है ।बतातें चले कि चुलभट्टा के जंगलों में इन अंतर्राष्ट्रीय तस्करों से वनकर्मियों की टीम से मुठभेड़ भी होते रहे है। इसके बावजूद विवादित सुस्ता,ठाढ़ी और चुलभट्टा के जंगल पेड़ों से खाली हो गए है।हालांकि बाढ़ के समय नदी में ज्यादा करेंट रहने से स्वतः तस्करी पर लगाम लग जाता है।लेकिन बरसात के थमते ही तस्कर पुनः वीटीआर के जंगलों से तस्करी की फिराक में लग जाते हैं।ये अंतर्राष्ट्रीय तस्कर हथियारों से लैस होते है। दो से तीन वर्ष पूर्व चुलभट्टा के जंगल मे वन कर्मियों के साथ रात्रि पहर में गोलीबारी की घटना हुई थी। निहत्थे वन कर्मियों ने उन हथियारों से लैस तस्करों का डटकर मुकाबला भी किया था। सुबह घटना स्थल से लकड़ी ढोने के ठेला गाड़ी, लकड़ी काटने के औजार बरामद किए गए थे। नेपाल सूत्रों की माने तो बेतों और लकड़ियों से बने फर्नीचर नारायण घाट, बुटवल, बर्दघाट, काठमांडू, बीरगंज आदि बड़े शहरों के शोरूम को सप्लाई किया जाता है।

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