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Post: भागवत कथा में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर झूमे श्रद्धालु

भागवत कथा में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर झूमे श्रद्धालु

जिला ब्यूरो संतोष कुमार की रिपोर्ट :

श्रीमद्भागवत कथा में चौथे दिन कृष्ण जन्म प्रसंग हुआ

न्यूज़ डेस्क, जिला सुपौल 

संतोष कुमार

– अमिट लेख

सुपौल, (ए.एल.न्यूज़)। जिले के त्रिवेणीगंज नगर परिषद क्षेत्र के मुख्य बाजार गांधी मैदान में आयोजित नौ दिवसीय गणेश महोत्सव पर श्रीमदभागवत कथा सप्ताह ज्ञान उत्सव में बाराबंकी से पधारे। कथा वाचक विदुषी कृष्णा सुनैना के द्वारा कथा के चौथे दिन बुधबार को वामन अवतार, श्रीकृष्ण जन्म की कथा एवं नंदोत्सव का वर्णन किया गया।

फोटो : संतोष कुमार

कथा में जैसे ही श्री कृष्ण प्रसंग आया पूरा पंडाल हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल के जयकारों से गूंज उठा। श्रीकृष्ण जन्म की कथा का वर्णन करते हुए विदुषी ने बताया कि कंस की कारागार में वासुदेव- देवकी के भादो मास की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। उनका लालन पालन नंदबाबा के घर में हुआ था। इसलिए नंदगांव में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया गया। श्रीकृष्ण ने अत्याचारी कंस का वध करके पृथ्वी को अत्याचार से मुक्त किया और अपने माता-पिता को कारागार से छुड़वाया। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने संसार को अंधेरे से प्रकाश में लाने के लिए जन्म लिया और अज्ञान रूपी अंधकार को ज्ञानरूपी प्रकाश से दूर किया। भगवान कृष्ण को जब वासुदेव यशोदा मैया के घर लेकर जा रहे थे तो शेषनाग ने छाया की और मां यमुना ने चरण छुए। वासुदेव कृष्ण को नंदबाबा के घर छोड़कर यशोदा मैया की कन्या को लेकर वापस कंस के कारागृह में आए। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण नित्य ही माखन चोरी लीला करते हैं। मां यशोदा के बार-बार समझाने पर भी श्रीकृष्ण नहीं मानते हैं तो मां यशोदा ने भगवान को रस्सी से बांधना चाहा पर भगवान को कौन बांध सकता है। लेकिन भगवान मां की दयनीय दशा को देखते हुए स्वयं बंध जाते हैं। इसलिए भगवान को न धन, पद व प्रतिष्ठा से नहीं बांध सकता। भगवान तो प्रेम से बंध जाते हैं।

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