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बिहार खनिज नियमावली में संशोधन कर जुर्माने की राशि में की गई बड़ी बढ़ोतरी

विशेष ब्यूरो बिहार दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट :

अब अवैध खनन करते पकड़ाने पर देना पड़ सकता है 10 लाख का फाइन

न्यूज़ डेस्क, राजधानी पटना 

दिवाकर पाण्डेय

– अमिट लेख
पटना, (ए.एल.न्यूज़)। बिहार में अवैध खनन पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने बिहार खनिज (समानुदान, अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण निवारण) नियमावली, 2019 में बड़ा संशोधन किया है। खनन मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने इस नए संशोधन के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि अवैध खनन में बिना चालान पकड़े जुर्माने की राशि के लिए कम से कम एक लाख रुपए और 10 चक्केवाले ट्रकों को 10 लाख का जुर्माना देना होगा। उप मुख्य (खान एवं भूतत्व विभाग) मंत्री ने बताया कि बालू राजस्व में बिहार ने 80 प्रतिशत से ज्यादा लक्ष्य प्राप्त कर लिया है और दोगुने से ज्यादा लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाया है। इसके पहले बड़े माफियाओं द्वारा बड़ी मात्रा में अवैध खनन का कारोबार किया जा रहा था, उस पर अंकुश लगाने के लिए कल माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में नए संशोधन पर मुहर लगी ताकि खनन पट्टे का सुसंगत संचालन संभव हो सके और पर्यावरण स्वीकृति में होने वाले विलंब से निजात मिल सके। माननीय ने आगे कहा कि अवैध खनन के परिवहन पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए गए है।
1. पूर्व के प्रावधानानुसार नीलामी में सफल डाकवक्ता द्वारा आवश्यक वैधानिक स्वीकृति यथा खनन योजना, पर्यावरणीय स्वीकृति आदि की कार्रवाई की जाती थी। कई मामलों में सफल डाकवक्ता द्वारा जान बूझकर पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करने में विलम्ब किया जाता है, जिससे राजस्व की क्षति होती थी एवं अवैध खनन की भी संभावना बनी रहती थी। नियमावली संशोधन के उपरांत विभाग एजेंसी के माध्यम से पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करेगा एवं इसके पश्चात खनन पट्टों की नीलामी करायी जाएगी। इस संशोधन से खनन पट्टों का संचालन नीलामी के तुरंत बाद प्रारंभ हो सकेगा।
2. कई मामलों में खनन पट्टों के सफल डाकवक्ता द्वारा खनन योजना समर्पित करने एवं पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करने हेतु आवेदन करने में जान बूझकर विलंब किया जा रहा था। संशोधित नियमावली में प्रत्येक चरण की कार्रवाई के लिए समय सीमा निर्धारित की गयी है एवं विलंब के लिए दण्ड का प्रावधान किया गया है। संशोधन से खनन पट्टों का संचालन शीघ्र प्रारंभ होगा एवं राजस्व प्राप्ति में बढ़ोतरी होगी।

3. राज्य के किसी भी क्षेत्र में वैध बंदोबस्ती अथवा अनुज्ञप्ति प्राप्त कर ही राज्य में खनन कार्य किया जा सकता है। इसका उल्लंघन करने पर पाँच वर्ष तक कारावास का प्रावधान किया गया है।

4. खनिज लदे वाहनों का परिवहन वैध ई-चालान के साथ करना अनिवार्य है। संशोधित नियमावली में बगैर परिवहन चालान अथवा चालान में अंकित मात्रा से अधिक बालू/पत्थर आदि लघु खनिज लदे वाहनों को नियंत्रित करने के लिए वाहन के प्रकार के आधार पर दण्ड (शमन शुल्क) को कड़ा किया गया है। संशोधन उपरांत ट्रैक्टर एवं ट्रॉली के लिए 25,000/- की जगह 1,00,000/-, मेटाडोर/हाफ ट्रक के लिए 50,000/- की जगह 2,50,000/-, फुल बॉडी ट्रक (06 चक्का) के लिए 1,00,000/- की जगह 4,00,000/-, 10 एवं इससे अधिक चक्का के वाहन के लिए 2,00,000/- की जगह 8,00,000/- एवं क्रेन, एक्सावेटर एवं अन्य मशीन के लिए 4,00,000/- की जगह 10,00,000/- दण्ड का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त वाहन पर लदे खनिज की मात्रा के स्वामिस्व का 25 गुणा राशि भी वसूली जाएगी। यह भी उल्लेखनीय है कि वैध चालान से परिवहन करने के मामले में जब वाहन में लदे हुए खनिज की मात्रा चालान में अंकित मात्रा से पाँच प्रतिशत तक अधिक हो तो केवल अंतर की मात्रा के लिए खनिज मूल्य की वसूली की जाएगी।

5. अवैध परिवहन में बालूघाट संचालक की मिलीभगत पाये जाने पर प्रथम बार में 5,00,000/- एवं द्वितीय से प्रत्येक बार 10,00,000/- का दण्ड प्रत्येक वाहन के लिए घाट संचालक पर लगाया जाएगा।

6.. बंदोबस्तधारी के विरूद्ध शर्त्तों के उल्लंघन के लिए स्पष्ट दण्ड का प्रावधान नियमावली में किया गया है। नये प्रावधान के अनुसार बालूघाट पर साईन बोर्ड नहीं लगाने पर 50,000/-, GSI Map@Geo Co-ordinate के साथ सीमांकन नहीं करने पर 5,00,000/-, पानी का छिड़काव नहीं करने पर 50,000/-, प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था नहीं रहने पर 50,000/-, उत्पादन/ प्रेषण पंजी संधारित नहीं करने पर प्रथम बार उल्लंघन के लिए 5,00,000/- एवं द्वितीय बार उल्लंघन के लिए ृ10,00,000/- तथा खनन योजना के अनुसार वृक्षारोपण नहीं करने पर 50,000/- का दण्ड बंदोबस्तधारी पर लगाया जाएगा। बंदोबस्तधारी द्वारा प्रतिबंधित क्षेत्र में खनन करने पर बंदोबस्ती रद्द करने एवं पाँच वर्ष तक कारावास का प्रावधान किया गया है। निर्धारित क्षेत्र या गहराई से अधिक खनन करने पर उत्खनित खनिज के स्वामिस्व का 25 गुणा राशि वसूल किया जाएगा।

7. नदी-नहरों में गाद से जल का प्रवाह अवरूद्ध हो जाता है। नई नियमावली में जल संसाधन विभाग की अनुशंसा के आधार पर नदी-नहरों में जमे गाद को संबंधित समाहर्त्ता द्वारा नीलाम कर निष्पादित करने हेतु नए प्रावधान जोड़े गये हैं। इससे नदियों में सतत प्रवाह के साथ राजस्व की भी प्राप्ति होगी।

8. अन्य राज्यों से आने वाले पत्थर, गिट्टी, कोयला आदि खनिजों के अनुश्रवण में आ रही कठिनाई के निराकरण हेतु नियमावली में अन्य राज्य से आने वाले खनिजों के लिए ट्रांजिट पास लेने की बाध्यता संबंधी प्रावधान किया गया है। इससे खनिज के स्त्रोत, वैधता की जाँच सुनिश्चित हो सकेगी। विभाग ट्रांजिट पास के लिए विनियामक शुल्क भी निर्धारित करेगा। इससे राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।

9. खनिज परिवहन में प्रयुक्त वाहनों की पहचान के लिए विशिष्ट रंग एवं शब्दों का अंकन अनिवार्य किया गया है। इससे खनिज परिवहन में प्रयुक्त वाहनों की आसानी से पहचान हो सकेगी एवं अवैध परिवहन पर नियंत्रण हो सकेगा।

10. पट्टा क्षेत्र से बाहर खनिज का व्यापार करने वाले लघु उद्यमियों के लिए व्यवसाय के आकार के आधार पर भण्डारण अनुज्ञप्ति प्राप्त करने का प्रावधान किया गया है। लघु व्यवसायी 25,000 घनफीट तक, मध्यम व्यवसायी 1,00,000 घनफीट तक एवं वृहत व्यवसायी 10,00,000 घनफीट तक भण्डारण कर सकेंगे। 25,000 घनफीट तक भण्डारण के लिए 5,000/- का भुगतान कर एक वर्ष के लिए एवं एक मुश्त 20,000/- का भुगतान कर पाँच वर्ष के लिए अनुज्ञप्ति प्राप्त किया जा सकता है। इसी प्रकार 1,00,000 घनफीट तक भण्डारण के लिए 50,000/- एवं 10,00,000 घनफीट तक के भण्डारण के लिए 2,00,000/- का भुगतान कर पाँच वर्ष के लिए अनुज्ञप्ति प्राप्त किया जा सकता है। इस संशोधन से छोटे व्यवसायियों को आसानी होगी एवं रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

11. बाढ़ के कारण कृषि योग्य भूमि पर धूस/ बालू मिश्रित मिट्टी जमा होने से कृषकों को हो रही समस्या के निराकरण हेतु संशोधित नियमावली में इसके उठाव के लिए खनिज निपटान परमिट देने का प्रावधान किया गया है। यह परमिट अत्यंत कम स्वामिस्व का भुगतान कर प्राप्त किया जा सकेगा।

12. मिट्टी के गैर वाणिज्यिक उपयोग के लिए किसी प्रकार का स्वामिस्व देय नहीं होगा। वाणिज्यिक उपयोग के लिए परमिट प्राप्त करने हेतु ऑनलाईन आवेदन दिया जा सकेगा, जिसका निष्पादन संबंधित समाहर्त्ता द्वारा पाँच कार्य दिवस में किया जाएगा।

13. सभी सरकारी कार्य विभाग के संवेदकों को अपनी परियोजनाओं में व्यवहृत लघु खनिज का परिवहन चालान/परमिट संबंधित कार्य विभाग को समर्पित करना होगा। परिवहन चालान/परमिट समर्पित नहीं करने की स्थिति में उपयोग में लाये गये खनिज के स्वामिस्व का 25 गुणा राशि संवेदक से वसूल कर खनन शीर्ष में जमा की जाएगी।

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