बेतिया से उप संपादक मोहन सिंह का चश्मा :
महीनों से खड़ी अपनी लाचारी के आंसू बहा रही एंबुलेंस : डीके गुप्ता पत्रकार
न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण
मोहन सिंह
– अमिट लेख
बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। मीडिया हाउस न्यूज़ एजेंसी के पत्रकार डीके गुप्ता ने जब ब्रेन हेमरेज मरीज को लेकर अस्पताल गए।
रेफर के बाद भी नहीं मिला सरकारी एम्बुलेंस तो बेबसी से उसी अस्पताल के मुख्य गेट पर बैठ गए और कहा यह बीमार अस्पताल है। और, लचर व्यवस्था, भ्रष्ट अफसर है जो सिर्फ अपनी जेबें गर्म करते हैं। बेतिया जिले के नामी अस्पताल का दुर्दशा बताते हुये कहा कि सरकार का दिखावा झूठा निकला। सरकार झूठी, निकम्मी है, जो कहती है, वह करती नहीं। बेतिया GAMCH हॉस्पिटल बेतिया जब एक पत्रकार को नहीं मिला सरकारी एंबुलेंस बेबस दिखा। देश का चौथा स्तंभ जताता है कि, जीएमसीएच की बड़े-बड़े दावे हुए फेल। लाचार हॉस्पिटल लचर व्यवस्था MJK सदर हॉस्पिटल (GMCM) प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के बड़े-बड़े दावे ठोकता है। इतना ही नहीं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री भी जिन पर प्रदेश की जनता विश्वास करती है वो भी अपने अस्पतालों की अक्सर प्रशंसा करते हुए नजर आते है। लेकिन, जरा सोचिए बेहतर सुविधाओं के नाम पर यदि मरीजों को ले जाने वाली एंबुलेंस ही बीमार पड़ जाए तो उस अस्पताल के मरीजों की हालत क्या होगी। उस हॉस्पिटल में खराब खड़ी एम्बुलेंस जिनको ठीक करवाने के लिये चंद राशि खर्च करनी पड़े। आप खुद ही सोचिए उन एम्बुलेंस की मरम्मत करवाने के लिये हेड आफिस फाइल भेजनी पड़े तो इससे बड़ी लाचार व्यवस्था क्या होगी। सरकारी हॉस्पिटल में टायर पंचर, खराब इंजन, बिना स्टेपनी, एंबुलेंस में ब्रेकडाउन चिपका पर्चा ऐसी कई एंबुलेंस पिछले कई महीनों से सरकारी हॉस्पिटल में खड़ी अपनी लाचारी के आंसू बहा रही है। लेकिन, उन एंबुलेंस का इलाज कराने की जहमत किसी ने भी उठाने उचित नहीं समझी। सरकारी हॉस्पिटल में अक्सर एंबुलेंस समय पर नहीं मिलती तो हमें निजी एंबुलेंस को अधिक किराया देकर ले जाना पड़ता है। सभी ने सरकार व प्रशासन से अपील कि इस अस्पताल में सरकारी एंबुलेंस का उचित प्रबंध करवाया जाए। ताकि निजी एंबुलेंस जो महंगी दरों पर मिलती है उससे निजात मिल सके।