विशेष ब्यूरो बिहार दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट :
सेक्टर–2 और शूटर भी दो! मर्डर का मिला यहां से कनेक्शन और साजिश के पीछे के पूरे नेटवर्क का सच आया सामने
न्यूज़ डेस्क, राजधानी पटना
दिवाकर पाण्डेय
– अमिट लेख
पटना, (ए.एल.न्यूज़)। राजधानी से सटे दानापुर के पेठिया बाजार में बीते साल शनिवार 21 दिसंबर की देर शाम दही गोप पघरर उनके के पास ही जान लेवा हमला करते हुए गोलियों से भून दिया गया। अचानक हुई इस गोलीबारी से अफरातफरी मच गई और इसका फायदा उठाकर शूटर भी फरार हो गया और इसी बीच उसने गोरख राय को भी इस भ्रम में गोलियां मार दी की वो उसे पकड़ने की कोशिश कर रहा है। जबकि बकौल चश्मदीद के ऐसी कोई बात नहीं थी गोरख चूड़ा खरीद कर घर जा रहा था और बिना वजह मारा गया। इस घटना के बाबत चश्मदीदों ने बड़े खुलासे तो किए ही है।वही दानापुर एएसपी ने भी दावा किया है कि घटना के तीन दिन बाद ही पुलिस ने दही गोप हत्याकांड को अंजाम देने वाले शूटरों को न केवल चिन्हित कर लिया था बल्कि उनका सच भी जान लिया है। मामले का उद्भेदन भी कर लिया है।शूटरों को जल्द गिरफ्तार भी कर लिया जाएगा। वही दूसरी तरफ बेटो और खुद की सुरक्षा का हवाला देकर दही गोप की पत्नी भी खुल कर कुछ कहने से परहेज कर रही है बस इतना ही कहती है वो बहुत खतरनाक है। स्थानीय लोग भी खुल कर तो कुछ भी कहने से बच रहे है पर इशारों इशारे में इस हत्या को सियासी आपराधिक गठजोड़ का नतीजा मान रहे है।अब सवाल उठता आखिर क्यों?कौन सी बात दबाई जा रही है कौन सी बात छुपाई जा रही है?आखिर कौन है वो? जिसका ख़ौफ़ इतना पसरा है कि सच मालूम है पर सब की ज़ुबान पर ताला है। हमले में रणजीत उर्फ दही गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे और इलाज के दौरान पटना के एक निजी अस्पताल में दम तोड़ दिया।शुक्रवार यानी 3 जनवरी को रणजीत कुमार उर्फ दही गोप का श्रद्धांजलि सह श्राद्धकर्म है। लेकिन पटना पुलिस के हाथ अबतक खाली है महज डबल मर्डर के उद्भेदन के दावे है पर शूटर गिरफ्त से बाहर है। इसी बीच दानापुर के पेठिया बाजार में मातमी सन्नाटे के बीच सीसीटीवी फुटेज और चश्मदीदों के बयान के बीच धीरे धीरे ही सही पर इस दोहरे हत्याकांड का सच चर्चाओं में उजागर होने लगा है। यानी माहौल की तुर्शी बता रही है कि दही की हत्या सियासी आपराधिक गठजोड़ का नतीजा है। बेहद करीने से छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष सह बीजेपी के सक्रिय कार्यकर्ता को निपटाने खातिर उनके ही बेहद करीबी लोगों ने लंबे समय के बाद बेऊर जेल से बेल पर निकले अपराधियों के जरिए साजिश रची। सिर्फ 2 शूटरो का इस्तेमाल किया गया। हत्याकांड को एकलौते दुःसाहसी शूटर ने अंजाम दिया और उसके साथ एक और उजले कपड़े पहने दूसरा अपराधी बैकअप खातिर खड़ा रहा। यह सच न केवल चश्मदीदों ने बताया बल्कि सीसीटीवी फुटेज मे भी दिखाई देता है। हत्याकांड के बाद इनको बैकअप देते हुए बाइक सवार कुछ बदमाशों ने सुरक्षित बगल के जिले में प्रवेश करा दिया। पुलिस भी इस सच से वाक़िफ है और पटना जिला के आसपास के जिलों में खोजबीन कर चुकी है। रमेश उर्फ मक्खन उर्फ मखना अपराधियों का गिराेह चलाता था। उसके गिरोह में दानापुर और आसपास इलाकों के 2 दर्जन से अधिक गुर्गे व शार्प शूटर थे। रकम लेकर जमीन का कब्जा करने से लेकर किसी की हत्या करना इस गिरोह की फितरत थी। शनिवार, 21 अक्तूबर 2017 को दीघा थाना क्षेत्र के रामजीचक स्थित अपने ससुराल में पटना के टॉप टेन अपराधियों की लिस्ट में शामिल कुख्यात छोटका मखना की गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया गया, मारे गए मखना की पेठिया बाजार समेत पूरे दानापुर के व्यापारी वर्ग में दहशत कायम थी।रंगदारी नहीं देने पर अपने गिरोह के शूटरों संग कई हत्याएं की। मखना तो मारा गया लेकिन उसके गिरोह के शूटरों की फौज बची रह गई। जिनको विभिन्न कांडों में पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर बेऊर जेल भेज दिया गया। विदित हो कि केंद्रीय कारागार बेऊर कई सेक्टरों में बटा है पर मखना गिरोह के शूटरों और बदमाश अमूमन सेक्टर–2 के वार्डों में रहा करते। उस दौर में जेल का यह सेक्टर पटना जिला के एक बाहुबली के नाम से जाना जाता था। मखना के मारे जाने के बाद शूटरों की फौज अनाथ हो गई तब कहते है उक्त बाहुबली ने ही सहारा दिया। लेकिन मखना गिरोह के शूटर पेठिया बाजार पर फिर से एक बार कब्जा कर रंगदारी वसूलने का मंसूबा पाले उचित समय का इंतजार करते रहे। जेल से बेल पर बाहर निकले और कोशिश की तो बकौल सूत्रों के रणजीत उर्फ दही गोप बाधा बन गए। विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव 2025 को देखते हुए इनकी सक्रियता लागतार बनी हुई थी। विदित हो कि दानापुर विधानसभा क्षेत्र भाजपा कोटे की सीट है। इस हत्या को सियासी आपराधिक गठजोड़ का नतीजा माना जा रहा है। अंतिम यात्रा में उमड़े जन सैलाब छतों से होती शव पर फूलों की बारिश और रणजीत कुमार अमर रहे के गगन भेदी नारों ने भी दही गोप की अपार लोकप्रियता का सहज अंदाजा कराया जो इस दावे की ओर पुख्ता इशारा करता है। दअरसल,कहते है सियासत में न कोई दोस्त होता है न रकीब होता है सिर्फ अपनी जीत सुनिश्चित करने खातिर हर कुर्बानी देने और लेनेवाला ही हमेशा कामयाब होता है। शायद इसी फलसफे के तहत एक तीर से कई निशाने साध लिए गए। बेहद करीने से सियासी फायदे और भविष्य में सियासी रुकावट की आशंका को जड़ से मिटाने खातिर क्या छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष रणजीत कुमार को स्थानीय अपराधियों के हाथों मौत की नींद सुला दिया गया है। इस्तेमाल किए गए स्थानीय बेहद प्रोफेशल और दुर्दात शूटर जो पहले से परिचित थे और बेऊर जेल के सेक्टर दो में जिनका लंबे वक्त तक ठिकाना रहा था और वो मन में दही गोप से खुन्नस पाले बैठे थे। तभी तो शूटर ने अपने चेहरे को मफलर से पूरी तरह छुपाकर और जैकेट पहनकर पहुचा था। ताकि कोई पहचान न सके मतलब उसे पहचाने जाने का डर था! मतलब साफ़ है शूटर स्थानिए रहा होगा, दही की मौत से किसको सियासी फायदा होगा किसकी किस दल में एंट्री आसान होगी और शूटर ने क्यों और किसके कहने पर कांड को अंजाम दिया! साजिश के पीछे पूरा नेटवर्क काम कर रहा था इसकी बानगी है स्पॉट पर शूटर के पीछे दूसरे शूटर की मौजूदगी साथ ही फरार होते समय शूटर को मिला बैकअप यानि सब तय था! पुलिस को अपनी जाँच मिले सीसीटीवी फुटेज भी इसकी गवाही दे रहे है! लेकिन सवाल उठता है शूटर की गिरफ्तारी होगी कब? बेऊर से पेठिया बाजार तक के षडयंत्र का सच क्या कभी सामने आयेगा?