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आदिवासी संघर्ष मोर्चा ने ऑपरेशन खागर (अंतिम मिशन) के खिलाफ प्रदर्शन कर सभा किया

बेतिया से उप-संपादक का चश्मा :

आदिवासियों का जल,जमीन और जंगल छीनकर कॉरपोरेट घरानों को देना बंद करो:नंद किशोर महतो

नक्सलवाद के नाम पर आदिवासियों का फर्जी इनकांउंटर बंद हो:सुनील कुमार राव

न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चंपारण

मोहन सिंह

–  अमिट लेख

बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। पश्चिम चंपारण आदिवासी संघर्ष मोर्चा ने केंद्र के गृहमंत्रालय के अधीन चलाए जा रहे ऑपरेशन खागर अर्थात वर्ष 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने का अंतिम मिशन नाम से छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में चलाया जा रहा है।

फोटो : मोहन सिंह

उसी के खिलाफ आदिवासी संघर्ष मोर्चा और भाकपा माले शहीद पार्क मैदान से जनता सीनेमा चौक होते कलेक्ट्रेरेट के समक्ष मार्च निकालकर प्रतिवाद करते हुए राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत सभा किया। सभा को संबोधित करते हुए आदिवासी संघर्ष मोर्चा के जिला अध्यक्ष नंदकिशोर महतो ने कहा ऑपरेशन खागर (अंतिम मिशन) के तहत छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में आदिवासियों की लगातार हो रही हत्याओं के खिलाफ आज राष्ट्रीय विरोध दिवस मनाने हुए देश के गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद को खत्म करने के लिए मार्च 2026 की समय सीमा तय की है, जिसके परिणामस्वरूप आदिवासी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सैन्य शिविर, सैन्यीकरण, राज्य द्वारा अराजकता, मनमानी गिरफ्तारी और अंधाधुंध हत्याएं हो रही हैं।

छाया : अमिट लेख

आदिवासियों के जन संगठनों के शांतिपूर्ण और संवैधानिक विरोधों-चाहे वे सैन्य शिविरों के खिलाफ हों या आदिवासियों की बुनियादी स्वतंत्रता के लिए-सबपर दमन किया जा रहा है। यह स्पष्ट है कि राज्य का प्रयास आदिवासियों को विस्थापित करना और इन प्राकृतिक समृद्ध क्षेत्रों पर अंबानी अडानी और अन्य कॉर्पोरेट घरानों का कब्ज़ा करवाना है। उक्त कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाकपा-माले नेता सुनील कुमार राव ने कहा भाकपा-माले आदिवासी संघर्ष मोर्चा के साथ खड़ा होकर केंद्र सरकार की नवउदारवादी और कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ़ असहमति और प्रतिरोध के सभी स्वरों को दबाने की निंदा करता है और आदिवासियों के खिलाफ़ बढ़ती हिंसा और इस खनिज समृद्ध क्षेत्र की कॉर्पोरेट लूट को रोकने का आह्वान करता है। उन्होने कहा मोदी सरकार जिस तरह वक्फ कानून बनाकर धार्मिक अल्पसंख्यकों की वक्फ की जमीन संविधान को ताखपर रखकर छीनने मे लगी है उसी तरह किसानों की जमीन छीनने के लिए नया कृषि विपरण प्रारूप लायी है। वहीं स्थिति आदिवासियों के जल जंगल जमीन छीनने की है । ऐसे में देश के किसानों,अल्पसंख्यकों और आदिवासियों को एकजूट हो संघर्ष करना होगा। कार्यक्रम को आदिवासी संघर्ष मोर्चा के सचिव बलराम उरांव ने संबोधित करते हुए कहा छतीशगढ़ मे लागू पांचवीं अनुसूची का उल्लंघन कर नक्सलवाद के नाम पर सेना के द्वारा आदिवासियों की फर्जी इनकाउंटर मे हत्यांए की जा रही है और उनके घरों को जलाया जा रहा है । उनके जल जंगल जमीन को छीनकर कॉरपोरेट घरानों को दिया जा रहा है। आदिवासी नेता शंकर उरांव ने कहा चंपारण में पत्थर खनन बंद होने से आदिवासियों और गरीबों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है। महिला पुरूष पलायन के लिए बाध्य है। कार्यक्रम में भाकपा माले नेता सुरेंद्र चौधरी, फरहान राजा, मनोज बैठा, जवाहर प्रसाद, रंजींत उरांव, धनु उरांव, तपू उरांव, महेंन्द्रर महतो, मदन चौधरी, बिगा महतो, पलट महतो, भुखल महतो, शुभनारायण महतो, राजकुमार महतो आदि मौजूद थे ।

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