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Post: गर्भावस्था में भी हो सकता है टीबी का संक्रमण, बचाव के लिए समय पर जाँच व ईलाज जरूरी

गर्भावस्था में भी हो सकता है टीबी का संक्रमण, बचाव के लिए समय पर जाँच व ईलाज जरूरी

बेतिया से उप-संपादक का चश्मा :

संतुलित आहार का सेवन, स्वच्छता व नियमित टीकाकरण है जरूरी
टीबी संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से बचें गर्भवती महिलाएं

न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण 

मोहन सिंह

– अमिट लेख

बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। टीबी एक घातक बीमारी है जो एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ्य व्यक्ति तक फैलता है। इसका सही समय पर पहचान व ईलाज होना बेहद आवश्यक है। मुख्य तौर पर फेफड़ों में टीबी का संक्रमण ज्यादा देखा जाता है।

फोटो : मोहन सिंह

महिलाओं में भी टीबी संक्रमण के मामले मिलते हैं लेकिन गर्भावस्था में टीबी का होना बेहद खतरनाक है क्योंकि इससे प्रेगनेंसी पर खतरा होता है। इस सम्बन्ध में जिले के संचारी रोग पदाधिकारी डॉ रमेश चंद्र बताते है की टीबी माइकोबैक्ट्रीयम टयूबरक्लोसिस नामक एक जीवाणु के कारण होता है, जिसको क्षय रोग भी कहा जाता है। इसके होने से संक्रमित व्यक्ति के शरीर का धीरे धीरे क्षय (नुकसान) होने लगता है। व्यक्ति काफ़ी कमजोर होने लगता है। टीबी का बिगड़ा हुआ रूप जानलेवा बीमारियों में से एक होता है। इसलिए अगर किसी गर्भवती महिला को टीबी है तो उसका सही समय पर निदान आवश्यक है। सही इलाज से गर्भवती महिला व शिशु को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है। इलाजरत होने पर दवा को बीच में नहीं छोड़ा जाना चाहिए अन्यथा यह गंभीर हो जाता है।

टीबी संक्रमित के संपर्क में आने से बचें गर्भवती महिलाएं :

चिकित्सा पदाधिकारी डॉ चेतन जायसवाल ने बताया गर्भवती महिलाओं के टीबी संक्रमित होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें घर में टीबी के किसी अन्य व्यक्ति के लगातार संपर्क में आने, टीबी संक्रमित क्षेत्र में रहने, एचआईवी होने, कुपोषित तथा बहुत अधिक वजन कम होने, शराब व मादक पदार्थ जैसे सिगरेट, गुटखा सेवन शामिल हैं। टीबी के कुछ ऐसे लक्षण आमतौर पर जाहिर होते जिसके दिखने पर टीबी जांच आवश्यक है। इनमें एक सप्ताह से अधिक समय तक खांसी रहना, तेज बुखार रहना, भूख की कमी, बहुत अधिक थकान तथा लंबे समय तक अस्वस्थ रहना, बलगम में खून आना, वजन गिरना हो सकता है।

बलगम की जांच, फेफड़ों का एक्सरे जरूरी :

गर्भावस्था में टीबी का इलाज जटिल होता है, गर्भावस्था में स्किन टेस्ट तथा टीबी ब्लड टेस्ट दोनों सुरक्षित हैं। इसके अलावा बलगम की जांच और फेफड़ों का एक्सरे किया जाता है। गर्भवती महिलाओं में टीबी का सही समय पर पता चल जाने से इलाज संभव है। गर्भवती के टीबी का इलाज नहीं होने से शिशु को भी टीबी की संभावना रहती है। सभी पीएचसी पर टीबी की जाँच उपलब्ध है, वहीं गंभीर अवस्था में जीएमसीएच में जाँच व ईलाज के साथ निःशुल्क दवाए भी उपलब्ध कराई जाती है। सुर्य नारायण साह ने बताया कि “निक्षय पोषण योजना” के तहत टीबी मरीजों क़ो 1000 रूपये प्रतिमाह आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है।

घर से बाहर मास्क का करें इस्तेमाल :

गर्भवती महिलाएं सफाई का विशेष ध्यान रखें। टीबी संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से बचें। घर से बाहर निकलने पर मास्क का जरूर इस्तेमाल करें। घर में किसी को बहुत अधिक दिनों से खांसी है तो उसकी बलगम जांच करवाएं। गर्भवती महिलाएं प्रोटीन तथा विटामिन से भरपूर भोज्य पदार्थ जैसे रोटी, पनीर, दही, दूध, फल, हरी सब्जी, दाल, अंडा, मछली का सेवन करें। टीबी संक्रमित गर्भवती महिलाओं को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है।

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