



पटना ब्यूरो की रिपोर्ट :
दोबारा अपराध नहीं करने का लिया वचन
न्यूज़ डेस्क, राजधानी खबर
दिवाकर पाण्डेय
– अमिट लेख
पटना (ए.एल.न्यूज)। बिहार के गया जी शहर के गया सेंट्रल जेल में रक्षाबंधन के दिन शनिवार को भाई-बहन के रिश्ते की गर्माहट हर तरफ नजर आई। बस अड्डे से लेकर रेलवे स्टेशन तक लोगों का सैलाब उमड़ा हुआ था। इस भीड़ में एक भावुक नजारा गया सेंट्रल जेल के बाहर भी देखने को मिला, जहां सुबह से ही बहनें अपने बंदी भाइयों को राखी बांधने पहुंचने लगीं। जेल प्रशासन ने इस मौके पर खास इंतज़ाम किए थे। बाहर टेंट और छाया की व्यवस्था, बैठने की कुर्सियां, ठंडा पीने का पानी और मेडिकल टीम पूरी तरह तैयार थी। वरिष्ठ जेल अधीक्षक खुद व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे थे। बहनों की सुरक्षा जांच के बाद उन्हें अंदर भेजा जा रहा था, जहां सलाखों के उस पार बैठे भाई बेसब्री से उनका इंतजार कर रहे थे। जैसे ही राखी का धागा भाइयों की कलाई पर बंधा, आंखें नम हो गईं। किसी ने भाई की लंबी उम्र की दुआ मांगी तो किसी ने अगली राखी अपने घर में बांधने की ख्वाहिश जताई। त्योहार ने जेल की सख्त दीवारों में भी रिश्तों की मिठास घोल दी। शनिवार को गया सेंट्रल जेल में सैकड़ों की संख्या में बहनें अपने भाइयों को राखी बांधने पहुंची। यहां पर पूरे बिहार के कैदियों की बहनें अपने भाई को राखी बांधने पहुंची थी। सेंट्रल जेल में नियमों का पालन कराते हुए जेल प्रशासन सभी बहनों को अपने भाइयों की कलाई में राखी बंधवाने का काम किया है।
जेल के गेट की छोटी सी खोली बनती रही गवाह
दूर-दराज से आई हुई बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए गेट में खुले एक छोटे से खिड़की में हाथ डालकर राखी बांधने को मजबूर हुईं। इस बीच भाई-बहनों के बीच खुशी का मौका था। जेल प्रशासन बारी-बारी से सैकड़ों कैदियों को अपनी बहनों के हाथों से राखी बंधवाने का काम किया है। गया सेंट्रल जेल में अहले सुबह से कई महिलाएं और युवती अपने भाइयों को राखी बांधने के लिए सेंट्रल जेल पहुंची। जहां जेल में बंद भाइयों ने अपने हाथ को गेट के छोटी खिड़की के सहारे बाहर किया और बहनों ने उनकी हाथों में राखियां बांधी। इस दौरान परंपरा के अनुसार कैदियों ने अपनी बहन को उनकी रक्षा का वचन और आशीर्वाद दिया. जेल में अपने भाइयों को देख बहनें भावुक होती हुई दिखी।