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Post: बिहार के 43 मौजों की ज़मीन रजिस्ट्री पर रोक

बिहार के 43 मौजों की ज़मीन रजिस्ट्री पर रोक

पटना ब्यूरो की रिपोर्ट :

जांच के बाद ही मिलेगा हरी झंडी

न्यूज़ डेस्क, राजधानी खबर 

दिवाकर पाण्डेय

– अमिट लेख

पटना (ए.एल.न्यूज)। जमीन रजिस्ट्री में हो रही राजस्व चोरी पर नकेल कसने के लिए निबंधन विभाग ने अब सख्ती का बिगुल बजा दिया है। राजस्व बढ़ोतरी के लक्ष्य को साधने के लिए जिले के 43 मौजा को चिह्नित किया गया है, जहां अब बिना जांच के कोई भी जमीन रजिस्ट्री संभव नहीं होगी। पहले इन मौजा में जमीन रजिस्ट्री वासिका नवीस और जमीन मालिक के कथन पर हो जाती थी, लेकिन अब विभाग की गठित टीम स्थल का भौतिक सत्यापन करेगी। जमीन की प्रकृति आवासीय, कृषि या व्यावसायिक — के आधार पर ही राजस्व निर्धारित होगा।

जहानाबाद अंचल: 13 मौजा

काको अंचल: 27 मौजा

मखदुमपुर अंचल: 1 मौजा

रतनी फरीदपुर अंचल: 2 मौजा

 

इस वित्तीय वर्ष में जिले के लिए 62.94 करोड़ रुपये राजस्व का लक्ष्य तय किया गया है। पिछले साल निबंधन कार्यालय ने 57.22 करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले 61.14 करोड़ रुपये की वसूली कर 106% उपलब्धि हासिल की थी, जो पिछले पांच वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ थी। यह सफलता निबंधन पदाधिकारी ऋषि कुमार सिन्हा और कार्यालय अधीक्षक नवीन रंजन के नेतृत्व में की गई सघन जांच और रणनीतिक कार्रवाई का नतीजा रही। जांच के दौरान पाया गया कि कई मामलों में आवासीय जमीन को कृषि योग्य या एक मंजिला मकान को एक मंजिला बताकर स्टांप शुल्क में हेराफेरी की जा रही थी। पिछले साल ऐसे 122 मामलों में विभाग ने 2.96 करोड़ रुपये की वसूली की, साथ ही जुर्माने के तौर पर 10% अतिरिक्त दंड भी लिया। जमीन के दस्तावेज में संदेह होने पर निबंधन अधिकारी स्वयं या टीम को स्थल निरीक्षण के लिए भेजते हैं। टीम राजस्व पैमाने के अनुसार जमीन की भौगोलिक स्थिति परखकर रिपोर्ट सौंपती है। उसके बाद ही रजिस्ट्री की अनुमति दी जाती है। सरकार के नियम के मुताबिक 10 डिसमिल तक की जमीन को आवासीय माना गया है, लेकिन जांच में पता चला कि इससे अधिक रकवा वाली जमीन भी आवासीय क्षेत्र में आकर कृषि कार्य में उपयोग हो रही थी। ऐसे मामलों में आवासीय रजिस्ट्री का अधिक स्टांप शुल्क वसूला जाएगा।

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