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Post: विपक्षी दलों के लोकप्रिय नेता हैं नीतीश कुमार : प्रमोद पटेल

विपक्षी दलों के लोकप्रिय नेता हैं नीतीश कुमार : प्रमोद पटेल

बिहार प्रदेश जनता दल यू के प्रदेश महासचिव व पूर्व जिला पार्षद प्रमोद कुमार पटेल ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश स्तर पर विपक्षी दलों के लोकप्रिय नेता के रूप में पसंद हैं

✍️ शैलेश कुमार तिवारी की रिपोर्ट :
– अमिट लेख

गोपालगंज, (जिला ब्यूरो)। एक कार्यक्रम में बिहार प्रदेश जनता दल यू के प्रदेश महासचिव व पूर्व जिला पार्षद प्रमोद कुमार पटेल ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश स्तर पर विपक्षी दलों के लोकप्रिय नेता के रूप में पसंद हैं। जो आनेवाले दिनों में भारत के भविष्य के रूप में दिख रहे हैं। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों को एकजुट करने। संविधान में दिए गए हर नागरिक को वोट के अधिकार की रक्षा के लिए। भारत की सुरक्षा के लिए देश के सभी विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। विकास पुरुष नीतीश कुमार जेपी आंदोलन के सच्चे सिपाही के साथ ही जेपी के सच्चे अनुयाई भी है। जेपी, लोहिया, कर्पूरी, गांधी, अंबेडकर, सरदार पटेल और अमर शहीद जगदेव बाबू के विचारों को लेकर 18 वर्षों से बिहार के विकास के साथ देश की तरक्की के लिए काम करते आ रहे हैं। अब पूरा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के रूप में नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाह है। प्रदेश महासचिव प्रमोद कुमार पटेल ने कहा कि नीतीश कुमार बिहार ही नहीं देश स्तर पर महागठबंधन के नेता के रूप में लोकप्रिय हो रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्षेत्रीय दलों के नेताओं में सबसे ज्यादा अनुभवी है। केंद्र में अनेकों विभागों के मंत्री रह चुके हैं और बिहार में लगातार आठवीं बार मुख्यमंत्री के रूप में जनता की सेवा और राज्य का विकास कर रहे हैं। पूर्व जिला पार्षद प्रदेश महासचिव प्रमोद कुमार पटेल ने कहा की आज देश की हालत बद से बदतर होती जा रही है। पटेल ने कहा की ज्योति बा फुले कहे थे कि विद्या विना मति गई, मति बिना नीति गई, नीति बिना गति गई, गति बिना वित गया, वित्त बिना, शूद्र सताए गए। इतने अनर्थ एक अविद्या ने किए। अर्थात शिक्षा मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण है। शिक्षा के बिना मनुष्य पशु के समान है। जिसे सोचने की विवेक नही होती हैं। आज देश में सबसे ज्यादा परेशान मिडिल क्लास है। मंहगाई दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। गरीब और गरीब होते जा रहा है। चंद मुठ्ठी भर कुछ लोग देश को आर्थिक गुलाम करते जा रहे है। अंबेडकर साहब ने संविधान में वोट का अधिकार तो दे दिया। परंतु आज साधारण और गरीब आदमी लोकतंत्र का मजाक बनते जा रहा है, लोकतंत्र पर धन-तंत्र कब्जा करते जा रहा है।

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