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Post: सरकारी फोन बना मज़ाक : जनता और मीडिया दोनों के लिए बंद दरवाज़ा

सरकारी फोन बना मज़ाक : जनता और मीडिया दोनों के लिए बंद दरवाज़ा

बेतिया से उप-संपादक का चश्मा :

स्थिति यह है कि अधिकतर थानेदारों का फोन बंद रहता है, और जिनका फोन चालू भी होता है, वे केवल दलालों, शराब माफियाओं और चहेतों की कॉल ही उठाते हैं

न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण 

मोहन सिंह

– अमिट लेख

बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। जिला पश्चिम चम्पारण में प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों का रवैया सवालों के घेरे में है। सरकार ने जनता और मीडिया की सुविधा के लिए अधिकारियों को सरकारी मोबाइल नंबर उपलब्ध कराया था, ताकि समस्याओं को सुना जा सके और उनका समाधान निकल सके। लेकिन हकीकत इसके उलट है – अधिकारी और थानेदार इन नंबरों को उठाना अपनी “शान” और “तोहिनी” समझ बैठे हैं। स्थिति यह है कि अधिकतर थानेदारों का फोन बंद रहता है, और जिनका फोन चालू भी होता है, वे केवल दलालों, शराब माफियाओं और चहेतों की कॉल ही उठाते हैं। आम जनता चाहे कितनी भी परेशानी में हो, उसका कॉल उठाना अफसरों के लिए “सरकारी रीति” नहीं बल्कि “अपमान” समझ लिया गया है। यह रवैया न केवल प्रशासनिक समन्वय पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि सरकार की उस मंशा पर भी प्रश्नचिन्ह लगा देता है, जिसमें जनता और प्रशासन के बीच आपसी संवाद की बात कही जाती है।

अब सवाल है :

क्या सरकार और सिस्टम सिर्फ़ कागजी घोषणा तक सीमित है..?
क्या जनता और मीडिया को अब अपनी ही समस्याओं का समाधान सड़क और सोशल मीडिया पर खोजना होगा..?

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