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बढ़ती बेरोजगारी एवं छंटनी, मजदूरी में भीषण गिरावट, निजीकरण, गुलामी के श्रम कोडों और दमनकारी राज के खिलाफ संघर्ष तेज करने का किया आह्वान
✍️ सह संपादक
– अमिट लेख
बेतिया, (मोहन सिंह)। ऐक्टू ने भारत में 100वां मई दिवस बढ़ती बेरोजगारी एवं छंटनी, मजदूरी में भीषण गिरावट, निजीकरण, गुलामी के श्रम कोडों और दमनकारी राज के खिलाफ संघर्ष तेज करने के आह्वान के साथ मनाया मई दिवस।
ऐक्टू के सैकड़ो कार्यकर्ताओं ने टाउन हॉल से लाल बाजार तीन- लालटेन चौक होतें जिला समाहरणालय के मुख्य द्वार तक मार्च किया था तथा मोदी सरकार विरोधी नारा लगाया। समाहरणालय के मुख्य द्वार पर सभा को संबोधित करते हुए निर्माण मजदूर सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर प्रसाद कुशवाहा ने कहा कि मई दिवस 8 घंटे के कार्य दिवस और साथ ही अन्य तमाम अधिकारों को हासिल करने के लिए। मजदूर वर्ग के बलिदान के दिन के रूप में स्थापित था। मगर जब से देश में मोदी शासन आया है, तब से मेहनतकश अवाम को ‘अच्छे दिन’के नाम पर धोखा दिया गया है। बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, महंगाई और तंगहाली से यह स्पष्ट हो गया है कि कामगारों के दुर्दशा भरे, ‘‘सबसे बुरे दिनों‘‘ में धकेल दिया है। श्रमिकों के जुझारू संघर्षों और कुर्बानियों से हासिल अधिकारों को उलटा जा रहा है। 8 घंटे काम करने के बदले 12 घंटे काम करने की कानून बनाया गया है। ऐक्टू नेता रविन्द्र कुमार रवि ने कहा कि मोदी सरकार श्रम कोड कानूनों के आधिकारिक तौर पर लागू होने से पहले ही सभी भाजपा शासित राज्यों ने इनके विभिन्न पहलुओं को लागू करना शुरू कर दिया है। जिसमें 12 घंटे का काम, महिलाओं के लिये रात की पाली में काम करने के कानून मूख्य है। आगे कहा कि देश का मजदूर वर्ग मोदी सरकार के व्यापक हमले का शिकार है, देश पर कॉर्पोरेट का शिकंजा कसता जा रहा है और लोकतंत्र, उसके मूल्यों और न्यायपालिका समेत उसकी विभिन्न संस्थाओं को नष्ट किया जा रहा है। खेत व ग्रामीण मजदूर सभा जिला अध्यक्ष संजय राम ने कहा कि भाजपा-आरएसएस गठजोड़ बुनियादी व ज्वलंत सवालों से जनता का ध्यान भटकाने और आंदोलनों से पैदा हो रही जन-एकता को तोड़ने के लिये सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को तेज करने पर तुला हुआ है। आगे कहा कि देश के मजदूर वर्ग को 2024 के आम चुनावों में मजदूरों की सबसे बड़ी दुश्मन मोदी सरकार को हराने का तथा लोकतंत्र और अपनी प्यारी मातृभूमि को बचाने का संकल्प लेना चाहिए। इस अवसर पर मजदूर नेता प्रकाश माझी, जगन राम, माधो राम,जंगाली माझी, कलाम अंसारी, सुरेन्द्र चौधरी, ललन पासवान, गफूर मियां, छठिया देवी, बच्चा पासवान, रामनाथ पासवान आदि नेताओं ने भी सभा सम्बोधित किया।