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पश्चिम चम्पारण : चुनावी दंगल में चहेते नेताओं की जनता जोह रही बाट

पश्चिम चम्पारण से जिला ब्यूरो की रिपोर्ट :

जिले की 9 सीटों पर कहीं खिलेगा कमल तो कहीं तीर करेगा विपक्ष को घायल लेकिन किन्हीं सीटों पर महागठबंधन को मजबूती भी प्रदान करेगा कांग्रेस का पंजा..?

न्यूज़ डेस्क, बेतिया पश्चिम चम्पारण

अमित तिवारी

– अमिट लेख

बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। जिले की 9 सीटों पर कहीं खिलेगा कमल तो कहीं तीर करेगा विपक्ष को घायल लेकिन किन्हीं सीटों पर महागठबंधन को मजबूती भी प्रदान करेगा कांग्रेस का पंजा..?

दस हजारी कर्ज से फर्क पड़ा नहीं महसूस हो रहा..?

जी हाँ, यह चौकाऊँ, नहीं की जब सत्ता मद से चूर लगातार पैसे और पार्टी मुखियाओं की मुखौटों के बलबूते जीत पर जीत का सेहरा बाँधनेवाले नेता जी लोगों को अबकी बार पटखनी ना मिल जाये? हालांकि, इण्डिया गठबंधन में सेंधमारी होने से और इनके चहेते वोटरों के बीच अबतक अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पानेवाले विपक्ष के उम्मीदवार मतदान की तिथि करीब आने के बावजूद अबतक ऐसे क्षेत्रों का दौरा नहीं कर पा रहे हैँ, जिससे अन्य क्षेत्रों में बदलाव की लहर को सत्तासीन दल द्वारा अपने पक्ष में करने की लगातार कवायद चालू है।

सूत्रों के अनुसार जिले के वाल्मीकिनगर क्षेत्र से जुड़े यमुनापुर टरवलिया पंचायत में पठखौली पुलिस पोस्ट पर तैनाद एक दबंग ग्रामीण पुलिस द्वारा यमुनापुर गांव के कमजोर तबके के वोटरों को शासन तंत्र से जुड़े निर्वतमान विधायक के पक्ष में सरेआम मतदान करने का दबाव बनाने की खबर है.? हालांकि, जनता के रुझानों के मुताबिक क्रमशः यमुनापुर, विनवलिया, महुअर, कटकुईयां समेत दर्जनों गांव दो बार जीत का सेहरा बांधे अपने चहेते निर्वतमान विधायक से अच्छे-खासे नाराज नज़र आ रहे। इनके क्षेत्र में मुख्यमंत्री की सात निश्चय योजना धन डकारू योजना के रूप में ज्यादा मशहूर है। ग्रामीण बताते हैँ की निर्वतमान मुख्यमंत्री की सात निश्चय योजना में से एक नल-जल योजना बिल्कुल हीं नाकारा साबित है, जो, पिछले साल से हीं जलापूर्ति नहीं कर रही। ओझवलिया सरीखे गांव के लोग तो नित्य दिन अपने दरवाजे पर इस योजना का नल मौजूद होने के बावजूद अन्यत्र जगहों से शुद्ध जल से भरे जार सुबह-सुबह ढ़ोते नजर आते हैँ।

ठीक ऐसे हीं विधायक जी के ग्रामीण विकास का पोल इनके बरवल स्थित चुनाव प्रचार कार्यालय के सामने ठीक सड़क पार वर्षों से हाथी का दाँत बना सरकारी चापाकल है। जिसकी स्थिति जर्ज़र है और नेताजी के चहेते किन्ही लोगों के चलते इसे ऐसे जगह स्थापित किया गया है, जहाँ पानी बहाव की उचित व्यवस्था भी नहीं है। इन गांवों में विधायक जी की कार्यशैली से अच्छी तादाद में जनता बदलाव लाने की पक्षधर है, किन्तु जनता में निराशा इस बात की है कि उनके चहेते उम्मीदवार अपने चुनाव प्रचार के मामले में इस क्षेत्र में अबतक अक्षम हैँ।

ठीक ऐसे हीं बगहा विधान सभा क्षेत्र का भी कुछ ऐसा हीं हाल है। यहाँ विजयी पताका फहराने के नजदीक पहुँच चुके कांग्रेस के उम्मीदवार जयेश मंगल सिंह के एक दीदार ख़ातिर खुरखुरवा गांव समेत दर्जनों गांव की आम जनता तरस रही है। एक बात साफ है की पश्चिम चम्पारण के इन दोनों सीटों पर आसीन विधायकों की नाकामयाबी के बावजूद यदि इसबार भी उनको जीत हासिल होती है, तो, इसमें विपक्ष के सशक्त उम्मीदवारों की सार्वजनिक तौर पर जनसम्पर्क अभियान में हो रही शिथिलता इसका प्रमुख कारण मानी जाएगी।

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