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बच्चे को मिला नया जीवन, किडनी से निकाला स्टोन

एक साल के बच्चे को मिला नया जीवन, डॉक्टर ने किडनी और यूरेटर से निकाला स्टोन

मोतिहारी के बच्चा का 12 माह के प्रयास के बाद डॉ० ने किया सफल ऑपरेशन,मिला नया जीवन

✍️ दिवाकर, जिला न्यूज़ ब्यूरो
– अमिट लेख

मोतिहारी, (विशेष)। राजधानी के एक निजी अस्पताल में 12 महीने के मासूम के पेट से दुर्लभ सर्जरी कर दो स्टोन निकालकर चिकित्सकों की टीम ने बच्चे को एक नया जीवन दिया है। पटना के सत्यदेव सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में मोतिहारी से आए 12 महीने के एक मासूम बच्चे के एक तरफ के किडनी और दूसरे तरफ के युरेटर से पथरी निकालकर उसे नया जीवनदान दिया गया है। बताते चलें कि बच्चे की बाईं किडनी में और दायीं किडनी के यूरेटर में स्टोन था। उसे पेशाब में दिक्कत थी और उसे बहुत दर्द होता था। असहनीय पीड़ा के कारण वह बार-बार रोता रहता था और पेशाब करते समय उसे दर्द अधिक रहता था। बच्चे के अभिभावकों ने उसे लोकल में कई जगह दिखाया पर राहत नहीं मिली। अभिभावकों ने जब बच्चे का अल्ट्रसाउंड कराया तो पता चला कि उसकी किडनी और यूरेटर में स्टोन है। इस परेशानी को लेकर जब बच्चे के अभिभावक पटना के सत्यदेव सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल पहुंचे तो वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट किडनी प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ. कुमार राजेश रंजन के नेतृत्व में बच्चे का ट्रीटमेंट शुरू किया गया। यहां सबसे पहले उसके यूरेटर से स्टोन को दूरबीन विधि से निकाला गया। इसके करीब 15 दिन के बाद मिनी-पीसीएनएल (दूरबीन विधि) द्वारा बाईं किडनी के स्टोन को निकाला गया। इस तरह दोनों तरफ का स्टोन दूरबीन विधि से बिना चीर-फाड़ के निकाल लिया गया। बच्चा अब पूर तरह से स्वस्थ है। दूरबीन विधि से ट्रीटमेंट के लिए पेट में एक बहुत ही छोटा हल्का सा चीरा लगाया गया। एंडोस्कोपिक प्रक्रिया से हुआ ऑपरेशनः डॉ. कुमार राजेश रंजन ने बताया कि मिनी-पीसीएनएल मिनिमम इनवेसिव परक्यूटेनियस नेफ्रो लिथोट्रिप्सी है, जिसे मिनी- पीसीएनएल के रूप में जाना जाता है, यह गुर्दे की पथरी को निकालने के लिए एक एंडोस्कोपिक प्रक्रिया है. इसमें बहुत छोटे आकार के विशेष उपकरणों का उपयोग किया जाता है और इसलिए सर्जरी अधिकतम जोखिम मुक्त होती है. उन्होंने कहा कि इन दिनों स्टोन निकालने के लिए यह एक सामान्य प्रक्रिया है लेकिन छोटे बच्चे में यह करना काफी मुश्किल काम होता है, क्योंकि छोटे बच्चों की किडनी का आकार काफी छोटा होता है। जानकारी देते हुये डॉक्टर अमृता ने बताया कि आम तौर पर छोटे बच्चों का स्टोन मुलायम होता है लेकिन इस बच्चे का स्टोन कठोर था। इतने छोटे बच्चे के किडनी के स्टोन का ऑपरेशन आमतौर पर चिकित्सकों के लिए एक कठिन कार्य होता है. उन लोगों ने बच्चे का सफलता पूर्वक ऑपरेशन संपन्न किया है और अब बच्चा पूरी तरह से खतरे से बाहर है और स्वस्थ हो रहा है।

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