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कृष्णदत्त राम, तत्कालीन पंचायत सचिव, प्रखंड-पिपरासी सम्प्रति गौनाहा प्रखंड को दी गयी अनिवार्य सेवानिवृत्ति

बेतिया से उप-संपादक का चश्मा :

 

न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण 

मोहन सिंह

– अमिट लेख

बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। आवेदक जगदीश यादव, पिता-स्थल यादव, सा० लछनहीं भगड़वा से प्राप्त पत्र दीपू कुमार, वरीय उप समाहर्त्ता, पश्चिम चम्पारण, बेतिया एवं वृन्दालाल, भूमि सुधार उप समाहर्ता, बगहा से कराई गई। जाँच दल द्वारा समर्पित संयुक्त जाँच प्रतिवेदन के आधार पर मुखिया श्रीमती मीना देवी, मुखिया पति सुरेश पाण्डेय एवं तत्कालीन पंचायत सचिव कृष्णदत्त राम के विरूद्ध ग्राम पंचायत राज-डुमरी भगड़या, प्रखंड-पिपरासी में अनेको योजनाओं की राशि गबन कर लिए जाने के संबंध में स्थानीय थाना में प्राथमिकी दर्ज किया गया एवं कृष्णदत्त राम, तत्कालीन पंचायत सचिव के विरूद्ध आरोप पत्र प्रपत्र “क” में गठित किया गया। संचालन पदाधिकारी-सह-अनुमंडल पदाधिकारी, बगहा द्वारा कृष्णदत्त राम, तत्कालीन पंचायत सचिव, ग्राम पंचायत राज-डुमरी भगड्या, प्रखंड-पिपरासी सम्प्रति प्रखंड-गौनाहा के विरूद्ध संचालित विभागीय कार्यवाही पूर्ण करते हुए जाँच प्रतिवेदन उपलब्ध कराया गया। जिसमें कदाचार निम्न प्रकार है :-

1. ग्राम पंचायत राज-डुमरी भगडया में विभिन्न योजनाओं में सरकार के निर्देश के अनुसार किसी भी प्रकार की पंजी का संधारण नहीं करना।

2. ग्राम पंचायत डुमरी भगड़वा में विभिन्न योजनाओं से संबंधित खाता से बिना प्रशासनिक स्वीकृति के ही राशि की निकासी कर ली गयी है। जैसे तेरहया वित्त आयोग बी०आर०जी० ए५० एवं चतुर्थ वित्त आयोग इत्यादि योजनाओं से मो0 56,83000 (छप्पन लाख तिरासी हजार) रू० मात्र का गबन।

3. पंचायत सचिव जटाशंकर टाकुर को योजनाओं से संबंधित संचिका का प्रभार नही देने का आरोप।

संचालन पदाधिकारी के जाँच प्रतिवेदन का अवलोकन एवं परिशीलन किया गया। संचालन पदाधिकारी के जाँच प्रतिवेदन के अनुसार आरोपी कर्मी के विरूद्ध आरोप आंशिक रूप से प्रमाणित होता है। इस तरह श्री कृष्णदत्त राम, तत्कालीन पंचायत सचिव, ग्राम पंचायत राज-हुमरी भगड़या, प्रखंड-पिपरासी सम्प्रति प्रखंड-गौनाहा के विरूद्ध बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली-2005 के तहत् शास्ति प्रदान करना आवश्यक प्रतीत होता है। नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के तहत् संचालन पदाधिकारी के जाँच प्रतिवेदन के आधार पर दण्डात्मक आदेश पारित करने के पूर्व आरोपी कर्मी को एक और मौका देते हुए अपना पक्ष रखने हेतु संचालन पदाधिकारी के जाँच प्रतिवेदन की प्रति उपलब्ध कराते हुए श्री कृष्णदत्त राम, तत्कालीन पंचायत सचिव, ग्राम पंचायत राज-बुडुमरी भगड़वा, प्रखंड-पिपरासी सम्प्रति प्रखंड-गौनाहा से द्वितीय कारण-पृच्छा की मांग की गई तथा आरोपी कर्मी को अपने बचाव पक्ष रखने हेतु अवसर प्रदान किया गया। आरोपी कर्मी द्वारा अपना द्वितीय कारण-पृच्छा समर्पित करते हुए आरोपों से मुक्त करने हेतु अनुरोध किया गया। श्री राम द्वारा समर्पित द्वितीय कारण-पृच्छा तथा संचालन पदाधिकारी से प्राप्त जाँच प्रतिवेदन पर सम्यक् विचारोपरान्त कारण-पृच्छा में कोई नया तथ्य प्रस्तुत नहीं करने के फलस्वरूप कारण-पृच्छा को असंतोषप्रद पाया गया। उपरोक्त तथ्यों एवं संचिका में उपलब्ध कागजातों, संबंधित कर्मी के द्वारा समर्पित स्पष्टीकरण, संचालन पदाधिकारी द्वारा विधिवत् सुनवाई के पश्चात् समर्पित प्रतिवेदन का अवलोकन करने के पश्चात् यह निष्कर्ष प्राप्त हुआ कि आरोपी कर्मी को विभागीय कार्यवाही में संचालन पदाधिकारी द्वारा गठित आरोप पत्र के संबंध में अपना पक्ष रखने का पर्याप्त मौका दिया गया, किन्तु वे कागजी साक्ष्यों के आधार पर आरोप को असत्य साबित करने में असफल रहे। संचालन पदाधिकारी द्वारा कृष्णदत्त राम, तत्कालीन पंचायत सचिव, प्रखंड-पिपरासी सम्प्रति गौनाहा प्रखंड पर ग्राम पंचायत राज-डुमरी भगड़वा में विभिन्न योजनाओं से संबंधित खाता से बिना प्रशासनिक स्वीकृति के राशि की निकासी कर गबन का आरोप आशिक रूप से प्रमाणित पाया गया है। अतएव सरकारी राशि का गबन करना सरकारी सेवक का सेवा के प्रति भ्रष्ट आचरण को दर्शाता है। श्री राम का यह कृत्य सरकारी सेवक आचार नियमवाली-1976 की कंडिका-3 के प्रतिकूल है। उपर वर्णित प्रमाणित आरोप के आधार पर ये सरकारी सेवा में बने रहने के योग्य नहीं है। उपर्युक्त वस्तुस्थिति एवं तथ्यों के सम्यक विद्यारोपरान्त पाया गया कि कृष्णदत्त राम, पंचायत सचिव पर बृहद शास्तियाँ अधिरोपित करने योग्य है। धर्मेन्द्र कुमार, जिला पदाधिकारी, पश्चिम चम्पारण, बेतिया के द्वारा बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली 2005 के नियम-14 (ix) में निहित शक्तियों के तहत् यथावर्णित आरोपों के प्रमाणित होने के कारण कृष्णदत्त राम, तत्कालीन पंचायत सचिव, प्रखंड-पिपरासी सम्प्रति गौनाहा प्रखंड को आदेश निर्गत की तिथि से अनिवार्य सेवानिवृत्ति करने का दण्ड अधिरोपित किया गया।

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