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Post: बेतिया जीएमसीएच की लगातार बिगड़ती व्यवस्था पर बड़ा सवाल, सुअरों का अड्डा बनते जा रहा अस्पताल परिसर

बेतिया जीएमसीएच की लगातार बिगड़ती व्यवस्था पर बड़ा सवाल, सुअरों का अड्डा बनते जा रहा अस्पताल परिसर

बेतिया से उप- संपादक का चश्मा : 

हालात यह हैं की एक तरफ बिल्डिंग के अंदर बेड पर मरीज है, तो, वही दीवाल के उस पार दूसरी तरफ  सूअरों का झुंड लेटा हुआ है

न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण 

मोहन सिंह

– अमिट लेख

बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। पश्चिम चंपारण जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल जीएमसीएच बेतिया इन दिनों अपनी बदहाल व्यवस्था को लेकर लगातार सुर्खियों में है। आए दिन अस्पताल से जुड़े ऐसे वीडियो सामने आते हैं जो व्यवस्था की पोल खोलकर रख देते हैं। कभी डॉक्टरों की लापरवाही से मरीज की मौत, कभी नवजात को गोद में लेकर परिजन ऑक्सीजन सिलेंडर से सांस दिलाते नजर आते हैं—यह सभी घटनाएँ प्रशासनिक उदासीनता और सिस्टम की कमजोरी की ओर साफ इशारा करती हैं।

फोटो : मोहन सिंह

अब एक नयी तस्वीर सामने आयी है, जिसने अस्पताल प्रबंधन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अस्पताल परिसर में खुलेआम सूअर घूमते और आराम फरमाते दिखाई दे रहे हैं। हालात यह हैं की एक तरफ बिल्डिंग के अंदर बेड पर मरीज है, तो, वही दीवाल के उस पार दूसरी तरफ  सूअरों का झुंड लेटा हुआ है। यह दृश्य किसी भी अस्पताल में कल्पना से परे है, लेकिन बेतिया जीएमसीएच में यह रोजमर्रा का नजारा बनता जा रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि गई सौ करोड़ों की लागत से बने इस अस्पताल को सुरक्षित बताया जाता है, चारों तरफ boundary wall और कई प्रवेश द्वारों पर गेट लगाए गए हैं। सुरक्षा के नाम पर सैकड़ों कर्मियों की तैनाती का दावा भी किया जाता है। फिर आखिर ऐसे जानवर अस्पताल तक पहुँच कैसे जाते हैं? ये तस्वीरें साफ कहती हैं कि सुरक्षा व्यवस्था कागज़ों में सख्त और जमीन पर बेहद कमजोर है। सरकार एजेंसियाँ के सुरक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करती हैं, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि इतनी भारी-भरकम व्यवस्था के बाद भी अस्पताल परिसर में सूअर का झुंड पहुंच जाना खुद एक बड़ी लापरवाही और व्यवस्था पर तमाचा है। स्थानीय लोग और मरीज सवाल पूछ रहे हैं —

*  क्या यही सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था है?
*  क्या ऐसे हालात में मरीज सुरक्षित हैं?
*  क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होगी?

अस्पताल प्रबंधन पूरी तरह कठघरे में है और सवाल उठ रहा है कि आखिर बेतिया जीएमसीएच की व्यवस्था दिन-ब-दिन क्यों चरमरा रही है?

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