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एसएसबी 21 वीं वाहिनी के इन चार जवानों के आगे परिंदा भी नहीं मार सकता पर

* इंडो नेपाल सीमा वाल्मिकीनगर में दिखता है, इनके देशभक्ति का जुनून…?
* इनकी, उपस्थिति से रूह तक कांपती है अपराधी और तस्करों की….?

वाल्मिकीनगर, (नंदलाल पटेल)। इंडो नेपाल सीमा की सुरक्षा की अहम जिम्मेदारी रोमियो, कांची, कुकी और मंक के कंधों पर है। बॉर्डर पर तैनात एसएसबी 21वीं बटालियन के ये चार जवान उनके लिए तीसरी आंख का काम करते हैं। दरअसल ये चारों जवान सिर्फ एसएसबी के ऑर्डर्स फॉलो करते हैं। आदेश मिलने के साथ ही काम में लग जाते हैं और नारकोटिक्स समेत विस्फोटक पदार्थों को मिनटों में पहचान लेते हैं। कौन हैं ये एक्सपर्ट, जिनसे सीमा की सुरक्षा में नहीं हो सकती है चूक, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर…

इंडो नेपाल सीमा स्थित वाल्मीकिनगर गंडक बराज पर एसएसबी 21वीं बटालियन अपनी सेवा, बंधुत्व और सुरक्षा के लिए जानी जाती है। इनके चार साथी कुकी, कांची, मंक और रोमियो ऐसे जवान हैं। जो, विस्फोटक और नशे की चीजों की विशेष पहचान रखते हैं। लिहाजा सीमा पर इन पदार्थों की तस्करी करने वालों के पसीने छूट जाते हैं। बॉर्डर पर एसएसबी की तीसरी आंख और सबसे भरोसेमंद साथी डॉग स्क्वायड हैं। एसएसबी के पास चार डॉग स्क्वायड हैं, जिनको पूरी तरह से प्रशिक्षित किया गया है। कुकी और कांची फीमेल हैं, इनको नारकोटिक्स सामग्रियों की विशेष पहचान है। इनके नजर से कोई भी ड्रग्स सप्लायर बच कर नहीं जा सकता। वहीं मंक और रोमियो मेल स्क्वायड हैं। इनको विस्फोटक सामग्रियों की पहचान में विशेष महारत हासिल है। जमीन के अंदर बारूदी सुरंग बिछाई गई हो या किसी भी तरह का विस्फोटक पदार्थ हो, ये मिनटों में उसकी तहकीकात कर लेते हैं। रोमियो, कुकी, कांची और मंक इंडो नेपाल सीमा पर एसएसबी जवानों के कंधे से कंधा मिलाकर तो चलते ही हैं। साथ ही स्थानीय मामलों में भी इनकी मदद पुलिस प्रशासन के अधिकारी लेते हैं। वहां भी यह बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। स्थानीय प्रशासन भी लेता है इनकी मदद : एसएसबी कमांडेंट श्री प्रकाश ने बताया कि डॉग स्क्वायड टीम को बखूबी प्रशिक्षित किया गया है। यह उनके सबसे भरोसेमंद सिपाही हैं, जो 24 घंटे सीमा पर निगरानी करते हैं। ऐसे में क्या मजाल कि कोई अपराधी रात के अंधेरे में भी इनकी आंखों में धूल झोंक सके। इंडो-नेपाल सीमा स्थित गंडक बराज पर तैनात बी. कॉय कंपनी कमांडर अमित शर्मा ने बताया कि बॉर्डर पर नारकोटिक्स और विस्फोटक सामग्रियों की तस्करी समेत अन्य प्रतिबंधित पदार्थों पर नजर रखने के लिए डॉग स्क्वायड के ये जवान उनके लिए तीसरी आंख की तरह काम करते हैं। सीमा सुरक्षा में तैनात जवानों के लिए ये सबसे भरोसेमंद साथी हैं। वहीं स्थानीय प्रशासन भी इनकी मदद से कई गंभीर मामलों को सुलझाने में मदद लेती रहती है।”डॉग स्क्वायड टीम को बखूबी प्रशिक्षित किया गया है। यह हमारे सबसे भरोसेमंद सिपाही हैं, जो 24 घंटे सीमा पर निगरानी करते हैं। ऐसे में क्या मजाल कि कोई अपराधी रात के अंधेरे में भी इनकी आंखों में धूल झोंक सके।”

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