चम्पारण के भाई ने भाई के शव के लिये भटका तीन हजार किलो मीटर
✍️ दिवाकर पाण्डेय, जिला न्यूज़ ब्यूरो
– अमिट लेख
मोतिहारी, (विशेष)। एक पल में लोगों ने अपनों को खो दिया। अभी भी कई लोग प्रियजनों के शवों की आस में भटक रहे हैं। ऐसी ही एक दुखभरी कहानी बिहार के युवक की है, तकरीबन दो हफ्ते बाद उसे अपने लापता भाई का शव मिला। लेकिन इसके लिए उसे तकरीबन 3000 किलोमीटर तक भटकना पड़ा।
हुआ यूं कि उसके भाई का शव गलती से पश्चिम बंगाल में किसी दूसरे परिवार के पास चला गया था। फिर कैसे उसकी यह तलाश खत्म हुई जानते हैं। पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी ब्लॉक के अंतर्गत लखौरा गांव का रहने वाला 22 वर्षीय राज उन अभागों में से एक था, जो दुर्घटना के दिन 2 जून को चेन्नई जाने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार था। 10 में से आठ मामूली चोटों के साथ बच गए लेकिन, एक की मौत हो गई, जबकि राजा का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा था। सुभाष के मुताबिक, हादसे वाले दिन शाम 4 बजे उसकी अपने भाई राजा से बात हुई थी। हादसा मोतिहारी से करीब 800 किलोमीटर दूर बालासोर में शाम करीब सात बजे हुआ। हादसे की खबर सुनते ही सुभाष और परिवार के पैरों तले जमीन खिसक गई। सुभाष अपनी मां लीलावती देवी और उनके गांव के आठ अन्य लोगों के साथ 40,000 रुपये में एक वाहन किराए पर लेकर बालासोर के लिए निकल पड़ा। उसे हादसे वाली जगह पहुंचने में एक दिन लगा। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुभाष आगे बताते है। हमने लगभग तीन दिनों तक विभिन्न अस्पतालों में राजा की तलाश की, लेकिन वह नहीं मिला। फिर हमने घर लौटने का फैसला किया क्योंकि हमारे पास पैसे खत्म हो गए थे। सुभाष हिमाचल प्रदेश के टापरी में राजमिस्त्री का काम करता है। पटना में, सुभाष ने अपने भाई के लापता होने के बारे में बिहार सरकार के हेल्प डेस्क को सूचित किया, लेकिन कोई बात नहीं बनी। वह फिर से अपने परिवार के कुछ सदस्यों के साथ ओडिशा गया, इस बार वह भुवनेश्वर गया, जहां उन्हें पता चला कि कई शव एम्स में रखे गए हैं। सुभाष बताते हैं, “एक एलईडी स्क्रीन पर प्रदर्शित मृतक की तस्वीरों में से, मैंने राजा को पहचान लिया, जिसके बाएं हाथ पर एक टैटू है। लेकिन अधिकारियों ने कहा कि पश्चिम बंगाल के किसी व्यक्ति ने पहले ही शव पर दावा किया था। इसलिए शव पश्चिम बंगाल भेजा जा चुका है। ” अब भी सुभाष का इंतजार खत्म नहीं हुआ था। आगे क्या करना है इसका कोई अंदाजा नहीं होने पर, सुभाष ने बिहार के एक पुलिस अधिकारी से संपर्क किया, जो एम्स, भुवनेश्वर में प्रतिनियुक्त था। अधिकारी की सलाह पर सुभाष की मां ने डीएनए जांच के लिए रक्त के नमूने दिए। उन्हें डीएनए रिपोर्ट आने तक इंतजार करने को कहा गया। शुक्रवार को, राजा के शव को पश्चिम बंगाल के काकद्वीप से वापस भुवनेश्वर लाया गया, जब शव लेने वाले परिवार को राजा का आधार कार्ड उसकी पेंट की जेब में मिला। सुभाष ने कहा, आधार कार्ड के अलावा, हमने पहले ही अधिकारियों को उनके बाएं हाथ पर टैटू के बारे में सूचित कर दिया था। हालांकि सुभाष के परिवार को रेलवे से 10 लाख रुपये का मुआवजा मिला है, उन्होंने कहा कि उन्हें अब तक बिहार सरकार से कोई सहायता नहीं मिली है। उन्होंने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि हमारी सरकार पश्चिम बंगाल की तरह परिवार के एक सदस्य को नौकरी देगी।