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Post: पचहत्तर साल में पहली बार…!

पचहत्तर साल में पहली बार…!

(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)

ये एंटीनेशनल यह बात आप को याद नहीं दिलाएंगे कि यह पुनर्जन्म में विश्वास करने वालों का देश है। यहां लोग मरने के बाद जिंदा भी हो जाते हैं

✍️ कार्यालय संवाददाता

– अमिट लेख

पटना, (विशेष आलेख)। कौन कह सकता था कि एंटीनेशनल इस हद तक चले जाएंगे! बताइए, मोदी जी के ऐतिहासिक अमरीका दौरे का शगुन बिगाड़ने के लिए, उनके खिलाफ साइक्लोन बिपरजॉय के साथ जाकर खड़े हो गए हैं। कह रहे हैं कि बाकी हर चीज की तरह, मोदी जी के भक्त एंकरों-एंकरनियों का यह प्रचार भी झूठा है कि उनके भगवान ने कहा थम जा और तूफान थम गया। मोदी जी ने ढाल बनकर, एक-एक गुजराती की जान बचा ली। पचहत्तर साल में पहली बार ऐसा हुआ कि समुद्री तूफान आया, गुजरात के तट से टकराया भी, पर समुद्री तूफान भी मोदी जी को बस सलाम कर के चला गया; एक भी जान का नुकसान नहीं हुआ। और सिर्फ एंकर-एंकरनियों के मुंह से ये बात निकली होती, तो फिर भी इसमेें कुछ घट-बढ़ की गुंजाइश हो सकती थी। यहां तो खुद देश के गृहमंत्री, अमित शाह ने खुद गुजरात में जाकर, गुजरातियों को बताया है कि उनके यहां जान का कोई नुकसान नहीं हुआ है। गुजरात के मुख्यमंत्री, छोटे-बड़े सब मंत्री, नौकरशाह, सब ने तस्दीक भी कर दी कि मोदी जी ने एक-एक गुजराती को पर्सनली बचाया है। फिर भी, सिर्फ मोदी जी की कामयाबी को घटाकर दिखाने के लिए ये एंटीनेशनल, इस में भी फैक्ट चैक की पँख लगा रहे हैं और इसे भी आधा झूठ और आधा सच बता रहे हैं। कहते हैं कि दो मौतों और एक कम दो दर्जन के घायल होने की बात तो, खुद एनडीआरएफ ने मानी है। फिर सौ फीसद जानें बचाने का झूठा दावा क्यों — मोदी जी की छवि चमकाने के लिए! पर अमरीका के दौरे से ऐन पहले मोदी जी की छवि के लिए विपर्यय खड़ा करने वाले कैसे जानेंगे मोदी के तप की महिमा! ये तो काल को अटल मानकर चलने वालेे अधर्मी या विधर्मी हैं। तभी तो एक ही चीज की रट लगाए हुए हैं कि जब एनडीआरएफ ने 16 जून को 10 बजकर 13 मिनट के ट्वीट में दो की मौत और 23 के घायल होने की बात कही थी, तो 17 जून को शाम 7 बजकर 20 मिनट के पीटीआइ के ट्वीट के हिसाब से अमित शाह की, साइक्लोन से एक भी मौत नहीं होने की बात कैसे सच हो सकती है? अब दोनों बातें तो सच हो नहीं सकतीं। और एनडीआरएफ, मौतों की झूठी गिनती देने से रहा। मामला चूंकि मौतों का है, इसलिए पहले वाली बात ही सही होनी चाहिए। यानी अमितशाह की बात गलत है। यानी शाह जी झूठ बोल रहे हैं? देश का गृहमंत्री झूठ बोल रहा है? मोदी का नंबर-टू झूठ बोल रहा है? और वह भी सिर्फ दो मौतों को छुपाने के लिए! जिस गृहमंत्री ने मणिपुर में सौ से ज्यादा मौतों को छुपाने की परवाह नहीं की, वह सिर्फ दो मौतों को छुपाने के लिए झूठ बोलेगा? वह भी साइक्लोन की मौतों को छुपाने के लिए? जिसने मणिपुर में डबल इंजन राज की मौतों को छुपाने के लिए झूठ नहीं बोला, अब प्राकृतिक आपदा की मौतों को छुपाने के लिए झूठ बोलेेगा? ये एंटीनेशनल यह बात आप को याद नहीं दिलाएंगे कि यह पुनर्जन्म में विश्वास करने वालों का देश है। यहां लोग मरने के बाद जिंदा भी हो जाते हैं। सावित्री ने सत्यवान को दोबारा जिंदा कराया ही था। बस तपस्या पूरी होनी चाहिए। और मोदी जी की तपस्या कभी कम नहीं पड़ सकती। एनडीआरएफ की बात गलत नहीं थी, तब भी शाह साहब की बात सही थी। कैसे? मोदी जी मरने वालों तक को जिंदा कर लाए; और ये एंटीनेशनल इसके लिए और जोर से मोदी-मोदी करने के बजाए, झूठ-झूठ का शोर मचाकर, भारत की बदनामी कर रहे हैं। पैसे वाले कट्टर देशभक्त ही कब तक ‘‘भारत छोड़ो’’ करते रहेंगे; एंटी-नेशनलों, तुम कब भारत छोडक़र जाओगे!?

(व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार और साप्ताहिक ‘लोकलहर’ के संपादक हैं।)

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