प्रखंड के कई इलाकों में लंपी बीमारी आजकल बहुत बड़ा खतरा बनी हुई है
न्यूज़ डेस्क
– अमिट लेख
अरेराज, (अमिट लेख)। प्रखंड के कई इलाकों में लंपी बीमारी आजकल बहुत बड़ा खतरा बनी हुई है। पशु इस बीमारी से परेशान हैं। पंचायत अंतर्गत भेलानारी निवासी अवधेश सिंह द्वारा दूरभाष पर सूचना प्राप्त कर चिकित्सा हेतु पहुंचे भ्रमणशील चिकित्सा पदाधिकारी जमीरुद्दीन ने बताया कि लंपी एक त्वचा रोग है जो वायरस से फैलता है और गाय-भैंसों में प्रमुखता से असर करता है। यह वीषाणु जनित संक्रामक रोग है, पशुओं में यह वायरस बहुत तेजी से फैलता है और इसके लिए वह खास माध्यम का सहारा लेता है। अगर कोई पशु लंपी वायरस से संक्रमित हो जाए तो उसके शरीर पर परजीवी कीट, किलनी, मच्छर, मक्खियों से और दूषित जल, दूषित भोजन और लार के संपर्क में आने से यह रोग अन्य पशुओं में भी फैल सकता है। इस रोग से प्रभावित पशुओं में मृत्यु दर बहुत कम होती है और सामान्य तौर पर 2 से तीन हफ्ते में पशु स्वस्थ हो जाता है। लंपी बीमारी जूनॉटिक नहीं है, इसलिए पशुओं का संक्रमण इंसानों में नहीं फैलता।
रोग के लक्षण :
श्री जमीरुद्दीन ने बताया की लंपी वायरस से संक्रमित पशु को हलका बुखार रहता है, मुंह से लार अधिक निकलती है और आंख-नाक से पानी बहता है। पशुओं के लिंफ नोड्स और पैरों में सूजन रहती है। संक्रमित पशु के दूध उत्पादन में गिरावट आ जाती है। गर्भित पशु में गर्भपात का खतरा रहता है और कभी-कभी पशु की मौत भी हो जाती है। पशु के शरीर पर त्वचा में बड़ी संख्या में 02 से 05 सेमी आकार की कठोर गठानें बन जाती हैं।
रोकथाम और बचाव के उपाय :
जो पशु संक्रमित हो उसे स्वस्थ पशुओं के झुंड से अलग रखें ताकि संक्रमण न फैले। कीटनाशक और बिषाणुनाशक से पशुओं के परजीवी कीट, किल्ली, मक्खी और मच्छर आदि को नष्ट कर दें। पशुओं के रहने वाले बाड़े की साफ-सफाई रखें। जिस क्षेत्र में लंपी वायरस का संक्रमण फैला है, उस क्षेत्र में स्वस्थ पशुओं की आवाजाही रोकी जानी चाहिए किसी पशु में लंपी वायरस के लक्षण दिखें तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। संक्रमित क्षेत्र में जब तक लंपी वायरस का खतरा खत्म न हो, तब तक पशुओं के बाजार मेले आयोजन और पशुओं की खरीद-बिक्री पर रोक लगनी चाहिए। स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराना चाहिए ताकि अगली बार उन्हें किसी तरह का संक्रमण न लगे।
देशी इलाज भी है कारगर :
डॉक्टर जमीरुद्दीन ने बताया कि पान का पत्ता 10 प्रति काली मिर्च 10 ग्राम नमक 10 ग्राम आवश्यकता अनुसार गुड़ को पीस कर मिला लें निर्देशानुसार खिलाएं पशु निरोग हो जाएगा।