बिहार विशेष ब्यूरो दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट :
राज्य के सबसे बड़े सरकारी संस्थान आईजीआईएमएस के कैंसर सेंटर में मात्र सौ बेड
महावीर कैंसर संस्थान में है कुल 651 बेड
न्यूज़ डेस्क, राजधानी पटना
दिवाकर पाण्डेय
– अमिट लेख
पटना, (विशेष ब्यूरो)। इस वर्ष अस्पतालों में गॉल ब्लाडर के कैंसर से पीड़ितों की संख्या अचानक बहुत तेजी से बढ़ने लगी है। गंगैटिक बेल्ट यानी गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे के इलाके में इस कैंसर के पीड़ित सर्वाधिक मिल रहे हैं। पानी में आर्सेनिक और खेती में कीटनाशक और रसायनिक खादों का ज्यादा प्रयोग इसका बड़ा कारण है। जिला स्तर पर और छोटे शहरों में प्रारंभिक अवस्था में जांच की सुविधा नहीं होने के कारण 90 प्रतिशत मरीज तीसरे और चौथे स्टेज में अस्पताल पहुंचते हैं। पटना के कैंसर अस्पतालों में आनेवाले मरीजों की संख्या और वहां इलाज से जुड़े चिकित्सकों से बातचीत करने पर यह सच्चाई सामने आई है। आईजीआईएमएस के कैंसर सर्जरी विभाग के प्रभारी डॉ. मनीष कुमार, महावीर कैंसर संस्थान की निदेशक डॉ. मनीषा सिंह, मगध कैंसर सेंटर के निदेशक डॉ. रिदु शर्मा, मेदांता की डॉ. निहारिका रॉय, बुद्धा कैंसर के डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि पूरे राज्य से कैंसर मरीज अस्पतालों में आ रहे हैं। लेकिन तंबाकू की खेती वाले जिले समस्तीपुर, वैशली, मुजफ्फरपुर इलाके से मुंह और गले का कैंसर, गंगा किनारे के जिले में गॉल ब्लाडर के कैंसर का प्रकोप ज्यादा है। शहरी इलाके में पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर और महिलाओं में स्तन कैंसर जबकि ग्रामीण इलाके की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का प्रकोप अपेक्षाकृत ज्यादा है। इन सबके अलावा लिवर और फेफड़े का कैंसर, यूटेरस कैंसर भी लगातार जानलेवा बनता जा रहा है। राज्य के सबसे बड़े सरकारी संस्थान आईजीआईएमएस के स्टेट कैंसर सेंटर में मरीजों के लिए मात्र 100 बेड ही हैं। यहां एक साल में 15 से 16 हजार नए मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं। इनमें से 50 प्रतिशत से ज्यादा में सर्जरी और कम से कम एक सप्ताह से 10 दिन तक भर्ती रहने की जरूरत पड़ती है। दूसरी ओर महावीर कैंसर संस्थान में कुल 651 बेड हैं। यहां सालभर में 24 हजार नए मरीज इलाज के लिए आते हैं। एम्स पटना, पीएमसीएच में कैंसर विभाग तो है लेकिन चिकित्सकों व उपकरणों की कमी के कारण इसका पूरा लाभ मरीजों को नहीं मिल पाता है। हाल ही के दिनों में निजी क्षेत्र के कई बड़े कैंसर अस्पताल भी खुले हैं। इलाज की सुविधा : कैंसर के इलाज में दवा, कीमोथेरेपी, सर्जरी, रेडियोथेरेपी की जाती है। आईजीआईएमएस, महावीर, एम्स पटना में इलाज की पूरी सुविधा है। कीमोथेरेपी की जगह अब इम्यूनोथेरेपी कैंसर के इलाज का नया और प्रभावी विकल्प बन रहा है। सरकार के मूल्य निर्धारण के दायरे में आने के कारण यह सामान्य मध्यम परिवार के लोगों तक इसकी पहुंच होने लगी है। डॉ. रिदु शर्मा ने बताया कि कीमोथेरेपी की तरह इसमें जलन, दर्द नहीं होता और ना ही कोई बड़ा साइड इफेक्ट है।
क्या हैं कैंसर के लक्षण :
अचानक वजन कम होने लगना,
बुखार, खांसी लगातार बने रहना,
मुंह अथवा मलद्वार से खून आना,
घावों का जल्दी नहीं सूखना, शरीर में गांठ होना, गांठों का बढ़ना,
पेशाब और शौच के दौरान खून आना