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Post: मलिन बस्ती के बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगा रही संध्या पाठशाला

मलिन बस्ती के बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगा रही संध्या पाठशाला

जिला ब्यूरो संतोष कुमार की रिपोर्ट :

हौसला अफजाई को पहुंचे शिक्षा विभाग के डीपीओ महताब रहमानी

न्यूज़ डेस्क, जिला सुपौल 

संतोष कुमार

– अमिट लेख
सुपौल, (ए.एल.न्यूज़)। जिले के त्रिवेणीगंजत नगर परिषद क्षेत्र के मलिन बस्तियों में बीते एक जुलाई से ई. रिकेश व राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक सौरभ सुमन व उनकी टीम की ओर से निःशुल्क संध्या पाठशाला संचालित है।

फोटो : संतोष कुमार

एएलवाई कॉलेज के समीप मलिन बस्ती स्थित झुग्गियों में संध्या पाठशाला की आरंभ की गई है। फिलहाल पचासी से अधिक बच्चों को उनकी प्रतिभा के हिसाब से शिक्षा दी जा रही हैं। रिंकेश रिसर्च एंड रीहैब नामक फाउंडेशन के बैनर तले संचालित संध्या पाठशाला से सुशिक्षित समाज का उद्देश्य लेकर इस महत्वपूर्ण कार्य में जुटी हैं।

छाया : अमिट लेख

संध्या पाठशाला विशेष तौर पर मलिन बस्तियों के झुग्गियों के बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से चलाई जा रही है। हाथ पकड़कर बच्चों को लिखना सिखाया जाता है। पढ़ाई से संबंधित सामग्री भी निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। बीते शुक्रवार को संचालित संध्या पाठशाला में डीपीओ महताब रहमानी सहित पीओ एवं डीपीएम पहुंचकर बच्चें व अभिभावकों से मिले और बच्चों का दाखिला से संबंधित समस्याओं को दूर करने का निर्देश नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत मेला ग्राउंड स्थित रामजीदास मध्य विद्यालय के एचएम को दिया और बच्चों को नियमित स्कूल जाने के लिए प्रेरित किया।

इस दौरान उन्होंने कहा शिक्षा पर सबका अधिकार है। मगर कुछ बच्चे शिक्षा से इसलिए महरूम रह जाते हैं कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होती है। ऐसे बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने का बीड़ा ई.रिकेश, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक सौरभ सुमन व उनकी टीम ने उठाया है। उन्होंने हौसला अफजाई करते हुए कहा संध्या पाठशाला शिक्षा दान का उत्कृष्ट उदाहरण है। जितनी सराहना कि जाय कम है। ई.रिकेश व उनकी टीम बढ़िया कार्य कर रहे है। संध्या पाठशाला संचालक ई.रिंकेश कुमार ने बताया कि मलिन बस्तियों के झुग्गी में संध्या पाठशाला शुरू करने के दौरान काफी परेशानी सामने आई । अभिभावकों को शिक्षा का महत्व समझाया गया। इसके बाद अभिभावकों ने पाठशाला में बच्चों को भेजना शुरू किया। संध्या पाठशाला प्रतिदिन शाम के पांच बजे से छः बजे तक तक चलती है। संध्या पाठशाला इन अंतिम श्रेणी के बच्चों और परिवारों को हर सप्ताह कुछ खास लोगों से मिलवाते आ रहे है। जिसमें शुक्रवार को सुपौल शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी महताब रहमानी, पीओ एवं डीपीएम संध्या पाठशाला के सभी बच्चों और उनके अभिभावकों से मिले । बच्चों के सर्वांगीण विकास एवं उनके अभिभावकों के बदलते अच्छे व्यवहार को देख काफी खुश हुए और कार्यो की सराहना की है। उन्होंने बताया की संध्या पाठशाला का मुख्य उद्देश्य है सभी बच्चों को सरकारी स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करना साथ ही संध्या में उन बच्चों के शिक्षा से संबंधित सर्वागीण विकास पर काम करना। जिसके लिए अभी पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर एएलवाई कॉलेज के समीप के मलिन बस्ती से इसकी शुरुआत की गई। जो आने वाले समय में हर वार्ड में इस पाठशाला को स्थापित की जाएगी। समाज के कई लोग मदद के लिए सामने आ रहे हैं इस बात की आर.आर.आर फाउंडेशन को काफी खुशी है।

संध्या पाठशाला एक संकल्प है एक अथक प्रयास : डॉ. सगीर आदिल

स्थानीय डॉ.सगीर आदिल ने कहा कि संध्या पाठशाला एक संकल्प है एक अथक प्रयास है। ई.रिंकेश,राष्ट्रपति प्रशंसित सौरभ सुमन व उनकी पूरी टीम का जो प्रारंभिक शिक्षा प्रणाली में एक मिल की पत्थर साबित होगा। जहां समाज के दबे कुचले और आखिरी पायदान पर जीवन यापन करने वाले परिवार के बच्चों के लिए एक अलख है एक चिंगारी जो सुलग उठेगी। संध्या पाठशाला जो कि इनलोगों की ब्रेन चाइल्ड और एक पायलट प्रोजेक्ट है। जो सिर्फ अक्षर ज्ञान ही नही जो बच्चों में नैतिक ऊर्जा और नवीन स्फुरण देती है। साथ ही साथ अभिभावकगण को भी शिक्षा की महत्ता को बताने में अपनी भूमिका सुनिश्चित कर रही है। उन्होंने शिक्षा समाज का दर्पण है और बच्चे देश के भविष्य है। हम सबकी जिम्मेदारी व पुनीत कर्तव्य है कि इसकी अलख जागते रहे ।

बच्चों के व्यक्तित्व विकास का अद्भुत और शानदार प्रयास है : आनंद शर्मा

स्थानीय आनंद शर्मा ने बताया कि ई.रिंकेश कुमार, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक सौरभ सुमन गौरीशंकर साह सहित अन्य सदस्यों ने संध्या पाठशाला के माध्यम ज्ञान का दीपक जलाने का प्रण लिया है। और हाथ थाम लिया है। उन बच्चों का जिन्हें शिक्षा का “श” भी मालूम नहीं। यह एक मुश्किल कार्य है। सौभाग्य से विगत सत्रह जुलाई को मुझे गरीब और वंचित बच्चों को शिक्षित कर समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के रिंकेश रिसर्च एंड रीहैब फाउंडेशन के इस प्रयास में सम्मिलित होने का अवसर मिला। संध्या पाठशाला के माध्यम से बच्चों को शिक्षित करने और उनके व्यक्तित्व विकास का यह प्रयास अद्भुत और शानदार है। मैंने महसूस किया की यह एक कठिन काम है। यह बच्चे उस माहौल से आए हैं जहां शिक्षा के महत्व को कोई तवज्जो ही नहीं दी जाती। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इसमें अधिकांश बच्चे उस मलिन बस्ती के हैं जहां आजादी के छियतर साल बाद भी आज तक एक भी बच्चें ने दसवीं की बोर्ड परीक्षा पास नहीं की है। इन बच्चों के अभिभावकों की प्राथमिकता भर पेट भोजन से आगे बढ़ी ही नहीं कभी। ऐसे में इन अभिभावकों को बच्चों की पढ़ाई के लिए समझाना और फिर शिक्षा से पहले इन बच्चों को सामान्य व्यावहारिक ज्ञान देना भी चुनौतीपूर्ण है। इस कार्य को अंजाम देने में ई• रिंकेश कुमार व उनकी पूरी टीम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

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