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श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन सरस जी महाराज ने भक्त प्रह्लाद के चरित्र व भगवान नरसिंह अवतार की कथा सुनाई

झांकियों ने मोहा श्रोताओं का मन

-अमिट लेख
छपरा, (प्रो. अजीत कुमार सिंह सेंगर)। जिले के एकमा नगर पंचायत के जय शंकर सिनेमा हॉल के समीप स्थित राहुल नगर में भागवत सेवा समिति की ओर से आयोजित हो रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन की शाम वृंदावन से पधारे आचार्य श्री सरस जी महाराज ने भगवान के भक्त प्रहलाद चरित्र व हिरणकश्यपु वध तथा नरसिंह अवतार की कथा का व्याख्यान मार्मिक चित्रण के साथ किया।

उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का केंद्र आनंद है। आनंद की तल्लीनता में पाप का स्पर्श भी नहीं हो पाता। भागवत कथा एक ऐसा अमृत है कि जिसका जितना भी पान किया जाए मन तृप्त नहीं होता है। उन्होंने कहा कि हिरणकश्यपु नामक दैत्य ने अपने भाई के बंध के बाद से ही भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानने लगा था। उसने घोर तप किया। तप से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी प्रकट हुए और कहा कि मांगों जो मांगना है।

हिरण्यकश्यपु ने अपनी आंखें खोली और ब्रह्माजी को अपने समक्ष खड़ा देखकर कहा- प्रभु मुझे केवल यही वर चाहिए कि मैं न दिन में मरूं, न रात को, न अंदर, न बाहर, न कोई हथियारसे, न आग जला सके, न ही मैं पानी में डूबकर मरूं, न दिन में न रात में मरुं, सदैव जीवित रहूं। उन्होंने उसे वरदान दे दिया। हिरणकश्यपु के पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। हिरणकश्यप भागवत विष्णु को शत्रु मानता था। उन्होंने अपने पुत्र को मारने के लिए तरह तरह की यातनाएं दी और योजना बनाई। लेकिन मार न सका। एक दिन उसने तलवार उठाया था कि खंभा फटा और उस खंभे में से विष्णु भगवान नरसिंह का रूप धारण करके, मुख शेर का व धड़ मनुष्य का लिए हुए प्रकट हुए।

 

भगवान नरसिंह अत्याचारी दैत्य हिरण्यकशिपु को पकड़ कर उदर चीर कर वध कर दिए। इसके बाद भक्त प्रहलाद के आग्रह पर उसे मोक्षोद्धार भी प्रदान किया। आचार्य सर जी महाराज ने कहा कि जो भगवान के भक्त होते हैं। उनकी 21 पीढ़ियों का भी उद्धार हो जाता है। जिसमें से सात उसके कुल के, सात ननिहाल के और साथ ससुराल पक्ष के होते हैं। इस दौरान देवी देवताओं के आकर्षक झांकियों को देखकर श्रद्धालु भक्त झूमते रहे जो कथा के दौरान आकर्षण का केंद्र भी रहा। इस अवसर पर में कथा श्रवण करने वालों में यजमान भूपेंद्र प्रसाद सिंह, लोजपा (रामविलास) नेता कामेश्वर कुमार सिंह मुन्ना, प्रो अजीत कुमार सिंह, अजय कुमार, अनिल वर्मा, अभिषेक तिवारी, राजीव कुमार, सोनू कुमार, शैलेंद्र कुमार, दिनेश प्रसाद, राज रस्तोगी, राजा बाबू, चंद्रशेखर सिंह, वैभव राठौर, अराध्या सिंह, डॉ कृष्ण कुमार चतुर्वेदी, कमल कुमार सिंह सेंगर, रुचि सिंह, उमेश प्रसाद, कल्याण जी, छोटे लाल, संग्राम सिंह, सिंकू सिंह, देवकुमार शर्मा, शैलेंद्र सिंह, डॉ जयप्रकाश प्रसाद, डॉ के एम प्रसाद आदि काफी संख्या में नगर के महिला-पुरुष श्रद्धालु मौजूद रहे ।

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